मैं चाहुँ , ये'' लालच ''मेरा ,
दिन ,प्रतिदिन बढ़ता जाये।
लूँ ,प्रभु का नाम निशदिन।
इक पल चैन न मुझको आये।
तुझसे मिलने की लालसा ,
मुझसे न जाने क्या -क्या करवाए ?
मोह -माया से होऊं, विरक्त ,
प्रभु चरनन में मन रम जाये।
भक्ति का दीजो लालच मुझको ,
दरश की लालसा बढ़ती जाये।
मांगू मैं, वरदान यही.......
बनी रहे , कृपा दृष्टि मुझ पर ,
न हों , कभी बुरे कर्म मुझसे ,
मन बस, तुझमें ही रम जाये।
जिन्दा रहूं ,जब तक.......
मन' प्रभु भाव' में ही, रम जाये।
जिधर देखूं ,तू ही तू नजर आये।
बात करूं जब सबमें तू ही आये।
भक्ति का दो !लालच मुझको !
भक्ति और श्रद्धा बढ़ती जाये।
इक पल तुझ बिन चैन न मुझको आये।
सुंदर भावपूर्ण भक्ति भाव व प्रेम से भरपूर 👌👌🙏🙏
ReplyDeletedhanyvaad apka
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