अपने -आपको भुला ,
मुस्कुराकर देख ,
मुस्कुराना भी यूँ ,
आसान नहीं होता।
अपना हर ग़म भुलाना होता है।
दुःख की लकीरें छुपा ,
मुस्कुराना होता है।
कहते हैं लोग ,
मुस्कुराया कीजिये ,
ये ग़म अपनों का ही दिया होता है।
ज़िंदगी को भुला ,
मुस्कुराना होता है ,
अपनों के ही दिए,
दर्द को भुलाना होता है।
शब्दों के चुभे तीर ,
छुपाना होता है।
फिर भी लोग कहते हैं ,
मुस्कुराया कीजिये।
तब कहीं जाकर आती है ,
इक फ़ीकी सी मुस्कान।
दिल जब बच्चा होता है ,
तब मुस्कुराता है ये दिल।
खिलखिलाता है ,
भूल जाता है ,सारे ग़म।
मुस्कुराकर तो देखिये ,
मुस्कुराना भी आसान नहीं होता।