विचार हैं ,कि दिमाग़ को खाली रहने ही नहीं देते। दिमाग़ खाली होगा ,तभी तो नवीन विचारों का आगमन होगा। कहने को तो कहने वाले कह देते हैं -''ख़ाली दिमाग़ ,शैतान का घर ''किन्तु इससे उनके कहने का तात्पर्य यही होता है। जब इंसान ख़ाली बैठा रहता है ,उसके दिमाग़ में कोई सकारात्मक सोच नहीं आ पाती है ,कुछ न कुछ खुरापात आ ही जाती है। ऐसे में यदि मन उदास हो ,अथवा किसी ने दिल दुखाया हो तो सकारात्मक सोच आ ही नहीं सकती किन्तु यदि वह व्यक्ति अपने कार्य में व्यस्त रहेगा तो उसे ज्यादा सोचने के लिए समय ही नहीं मिलेगा।
ऐसा नहीं है ,बात यहीं तक सीमित नहीं रह जाती है , बालपन की हरकतें भी खुरपती होती हैं किंतु उन्हें ''खाली दिमाग'' की उपज नहीं कह सकते। बचपन की शरारतें और चंचलता होती है। ऐसे भी बच्चे, अपने मस्ती और मनोरंजन के लिए, कुछ भी ऊलजलुल हरकतें करते रहते हैं। उसे पर फिर चाहे किसी को सताना हो, या फिर किसी की खिल्ली उड़ाना हो। तब बड़े बुजुर्ग कहते हैं - कि इन्हें काम में लगाइए ! किंतु खाली दिमाग होगा , तभी तो उसके मन में, कुछ नया करने का विचार आएगा ,उसे पूर्ण करने का जुनून पैदा होगा, कुछ नया करने की सोचेगा। यदि वह सारा दिन काम में ही व्यस्त रहता है ,उसके पास समय ही नहीं होगा तब अपनी सोच के आधार पर, कहां कुछ कर पाएगा ? जब समय होगा, तब उसके दिमाग में नवीन विचारों की उपज होगी। हां, यह उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है कि वह कहां तक, कितना और कैसे सोचता है ?
बच्चे तो चंचल प्रकृति के होते ही हैं, तब भी उनके मन में अनेक खुरापातें आती रहती हैं। यदि वह खेलने के विषय में सोचता है तो खेलने के लिए ही ,वह अनेक तिगड़में लड़ायेगा। यदि कलाकार है, वो नई - नई कलाकृतियां बनाने की सोचेगा। लेखक है ,तो लेखन के लिए कुछ नया सोचेगा ,लेखन में भी लेखक की जैसी मनःस्थिति होती है ,वही आ जाती है।
जो जीवन से निराश हो चुका ,थका है ,उसके मन में तो पहले से ही नकारात्मकता भरी होगी ,तब उसका ख़ाली दिमाग स्वयं तो परेशान होगा ही ,हो सकता है वह दूसरों को भी कष्ट दे इसीलिए शैतान तो परिस्थितिवश आता -जाता रहता है। इसी प्रकार शांत मन में ,जब सुकून होता है ,तब ''भगवान''सदविचारों के रूप में आते हैं ,जो दूसरों की सेवा का भाव लिए होता है।मन प्रफुल्लित रहता है। सब कुछ अच्छा -अच्छा सोचता है। सकारात्मकता से उसका मन और तन दोनों हल्का महसूस करते हैं।
शैतान हो या भगवान !एक बात तो है ,दोनों हर समय साथ नहीं रहते,समय -समय पर किरायेदार की तरह परिस्थितिवश आते -जाते रहते हैं।