Dadi

  बालों में सफेद ,चाँदी लिए ,
  मन में ,प्यार -दुलार। 
 चेहरे पर ममता दिखे ,
 बलाएँ ले ,वो बार -बार। 
 ढूंढता हूँ ,ऐसी ''दादी '',
जिसके आँचल में छिप जाऊँ। 
 पिता यदि ,पीटें तो ,
 वो अपने सीने से लगा लेती ,
 सबसे छुपाकर ,मुझे, मेरी  ,
 पसंद की चीजें खिलाती। 
 मैं ऐसी' दादी 'ढूंढता हूँ। 
 मेरे पीछे ,दूर तक चली आती ,
 जब तक ओझल न होऊं ,निहारती। 

 दबे पाँव ,कमरे में आ ,
 मुझे गोद में ले , भोजन कराती। 
जब तक मैं न खा लूँ ,खुद न खाती।
उसकी दूनिया मेरे इर्द -गिर्द ,
घूमती नजर आती।  
 मैं ऐसी ''दादी ''ढूंढता हूँ।
 मैं पढ़ता तो ,देर तक निहारती ,
पास होने पर, पूरा गांव घूम आती। 
 नज़र उतार ,मिठाई बटवाती।
 मैं ऐसी दादी ढूंढता हूँ।
 रात में जब मैं सोता ,
 लोरी गा ,परियों के देश ले जाती। 
 नीद आने पर ,संग अपने सुलाती। 
 दूध से मूछें बन जाने पर,मुस्कुराती। 
 मुझे प्यार कर ,अपने आँचल में छुपाती।  
 कहीं नींद में ,डर न जाऊँ ,
 अपने पास  खेंच लेती। 
  
 अब ऐसी दादी ,कहाँ गई ?
 बालों की चाँदी ,कहाँ गई ?
 उसका वो प्यार -दुलार ,
 वो ममता भरी छाँव ,ले 
 गयी किट्टी और ,चैटिंग ,
 आज, दादी भी अपना जीवन जीती है। 
 काले बालों में ,
 ममतामयी दादी कहाँ दिखती है ?
 उसके मन में ,ख़ुशियों का अम्बार ,
 कहाँ गया ,वो प्यार - दुलार ?
 मैं ऐसी ''दादी ''ढूंढता हूँ। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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