बालों में सफेद ,चाँदी लिए ,
मन में ,प्यार -दुलार।
चेहरे पर ममता दिखे ,
बलाएँ ले ,वो बार -बार।
ढूंढता हूँ ,ऐसी ''दादी '',
जिसके आँचल में छिप जाऊँ।
पिता यदि ,पीटें तो ,
वो अपने सीने से लगा लेती ,
सबसे छुपाकर ,मुझे, मेरी ,
पसंद की चीजें खिलाती।
मैं ऐसी' दादी 'ढूंढता हूँ।
मेरे पीछे ,दूर तक चली आती ,
दबे पाँव ,कमरे में आ ,
मुझे गोद में ले , भोजन कराती।
जब तक मैं न खा लूँ ,खुद न खाती।
उसकी दूनिया मेरे इर्द -गिर्द ,
घूमती नजर आती।
मैं ऐसी ''दादी ''ढूंढता हूँ।
मैं पढ़ता तो ,देर तक निहारती ,
पास होने पर, पूरा गांव घूम आती।
नज़र उतार ,मिठाई बटवाती।
मैं ऐसी दादी ढूंढता हूँ।
रात में जब मैं सोता ,
लोरी गा ,परियों के देश ले जाती।
नीद आने पर ,संग अपने सुलाती।
दूध से मूछें बन जाने पर,मुस्कुराती।
मुझे प्यार कर ,अपने आँचल में छुपाती।
कहीं नींद में ,डर न जाऊँ ,
अपने पास खेंच लेती।
अब ऐसी दादी ,कहाँ गई ?
बालों की चाँदी ,कहाँ गई ?
उसका वो प्यार -दुलार ,
वो ममता भरी छाँव ,ले
गयी किट्टी और ,चैटिंग ,
आज, दादी भी अपना जीवन जीती है।
काले बालों में ,
ममतामयी दादी कहाँ दिखती है ?
उसके मन में ,ख़ुशियों का अम्बार ,
कहाँ गया ,वो प्यार - दुलार ?
मैं ऐसी ''दादी ''ढूंढता हूँ।
😂😂😂👌👌👌💖💖💖
ReplyDeletethank you
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