Nahi chhoda !

चाह तो, मेरी भी थी -
कि दौलतमंद होऊं ,
 और महलों की रानी बनूँ ,
   वायुयान में उड़ती फिरूं।
ये सब कुछ न मिला ,
 फिर भी मैंने ,उड़ना नहीं छोड़ा। 
   चाह थी ,लोग सराहें ,
     खुली आँखों, सपने देखूं ,सब 
      प्रेम करें ,ये सब भी नहीं मिला। 
         मैंने भी उम्मीदों का दामन नहीं छोड़ा। 
ज़िंदगी ने पल -पल रुलाया ,मुझे , 
   गिरती , फिर सम्भलती ,
       रोती फिर मुस्कुराती , 
               फिर भी मैंने ,साहस नहीं छोड़ा। 
मैं कभी दौड़ती ,फिर चलती ,
  लड़ती रही ,कभी अपने आपसे ,
     कभी अपनों से ,ज़िंदगी से ,
        फिर भी मैंने ,विश्वास की डोर को नहीं छोड़ा। 

वायुयान में तो नहीं उड़ी ,
    फिर भी उड़ती हूँ ,अपने अरमानों की दुनिया में ,
          कभी दुःख दे जाते हैं ,अपने भी ,
             साथ छोड़ जाते हैं ,अपने भी। 
             मैंने ,तब भी मुस्कुराना नहीं छोड़ा।
कहते हैं -किस्मत से ज्यादा ,कुछ नहीं मिलता। 
      चलती हूँ ,थककर रुक जाती हूँ। 
          ठहरकर ,नव जीवन सी ,आगे बढ़ जाती हूँ। 
                  कभी अपनों का, साथ नहीं छोड़ा।
रंग भरती  हूँ, ज़िंदगी में ,
    शब्दों से ,रंगों से ,उम्मीदों से ,
        काल्पनिक कूंची से ,दिल की कलम से 
         मैंने आज भी ज़िंदगी को सजाना नहीं छोड़ा। 
    नहीं छोड़ा ,अपनों से प्रेम। 
   नहीं छोड़ा ,उम्मीदें लगाना। 
   नहीं छोड़ा, सपने देखना। 
   नहीं छोड़ा ,आत्मविश्वास।   
   नहीं छोड़ा ,उड़ान भरना। 
   नहीं छोड़ा , मुस्कुराना। 
   नहीं छोड़ा ,स्वयं से लड़ना। 
तुम भी साहस न छोड़ो ,बशर्ते 
तुम्हारी सोच ,उद्देश्य सार्थक हों।  
 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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