Dhokha [part 7]

अभी तक आपने पढ़ा -प्रतीक के मम्मी -पापा ,नंदिनी के मम्मी -पापा को अपने यहां रिश्ते की बात करने के लिए बुलाते हैं किन्तु उनके आने पर कल्पेशजी ने उनका अपमान किया। तब नंदिनी और प्रतीक घरवालों को समझाने के लिए एक योजना बनाते हैं किन्तु उस योजना के तहत प्रतीक अपनी जान गँवा देता है ,अब आगे -
                 प्रतीक के भाई को उसकी डायरी मिलती है ,और वो पढ़ने लगता है ,-ये तो वो जानता था कि प्रतीक नंदिनी से प्रेम करता है किन्तु नंदिनी और प्रतीक की क्या योजना है ,उसके विषय में ,उसे इस डायरी से पता चला और वो तुरंत ही घर से बाहर आ जाता है और अपनी दुपहिया नंदिनी के घर की ओर दौड़ाता है। उसके घर जाकर वो सीधा घर में घुस जाता है। वहां सब शांतिपूर्वक अपने -अपने काम में लगे थे। रोहन को इस तरह तेजी से घर में घुसते देखकर कोई कुछ नहीं समझ पाता। रोहन ,नंदिनी  .......  नंदिनी ......... पुकारता है ,तभी अस्थाना जी कमरे से बाहर आते हैं और पूछते हैं - क्यों ,क्या बात है ,क्यों चिल्ला रहे हो ?तभी नंदिनी की मंम्मी आती हैं और कहती हैं -अब तुम लोग गुंडागर्दी पर उतर  आये ,ये क्या तरीका है ?किसी सज्जन व्यक्ति के घर में घुसने का और नंदिनी ने ऐसा क्या किया जो उसे पुकार रहे हो। रोहन बोला -आप नंदिनी को बुलाइये ,कुछ हुआ नहीं तो हो जायेगा। उनके वार्तालाप का शोर सुनकर नंदिनी बाहर आती है ,उसे देखकर उसके पापा कहते हैं -लो आ गयी नंदिनी !अब बताओ !तुम इस तरह हमारे घर में क्यों घुसे चले आये ?उसे देखकर रोहन शांत हुआ ,बोला -इन दोनों की योजना थी ,वो तो गया ,मेरा भाई अब नहीं रहा, कहकर वो फूट -फूटकर रोने लगा। अस्थाना जी ने अपनी पत्नी से पानी  लाने  का इशारा किया ,उन्होंने बात की गंभीरता को समझते हुए ,रोहन को बैठाया और पानी पिलाया और बोले -अब बताओ ,क्या बात है ?तुम इस तरह यहां कैसे ?तब रोहन ने जो डायरी में पढ़ा वो उन्हें विस्तार से बताया कि हमें डराने के लिए जहर खाकर ये दोनों हमें विवाह के लिए विवश करना चाहते थे और प्रतीक ने ऐसा ही किया ,क्या आप लोगों को पता नहीं चला कि प्रतीक ......... कहकर फिर से रोने लगा। अनिष्ट की आशंका से नंदिनी का दम घुटने लगा और वो वहीं बैठ गई। 

                   रोहन नंदिनी को बचाने के लिए ,उनके घर दौड़ा आया किन्तु नंदिनी तो सही -सलामत थी ,अब उसके मन में प्रश्न उठा कि नंदिनी ने तो जहर खाया ही नहीं तब मेरे ही भाई को जहर खाने के लिए क्यों विवश किया ?अब उसका क्रोध नंदिनी पर उमडा ,तुमने तो दोनों ने ही योजना बनाई थी फिर तुम पीछे क्यों रह गयीं ?नंदिनी को बचाने का जज़्बा क्रोध में बदल गया ,वो तो दौड़ा -दौड़ा उसे बचाने के लिए आया था किन्तु ये तो ठीक -ठाक है फिर मेरे ही भाई की बलि ले ली या उसे मूर्ख बनाकर ''धोखा ''दिया या अपने माता -पिता की बेइज्जती का बदला , मेरे भाई से लिया ,वो कहे जा रहा था और नंदिनी बिल्कुल शांत किसी पुतले की तरह बैठी थी। अस्थाना जी को प्रतीक के विषय में पता चला तो वो भी अत्यंत दुःखी हुए और रोहन नंदिनी पर इल्ज़ाम पर इल्ज़ाम लगाए जा रहा था। नंदिनी बुत बनी बैठी रही ,उसकी मम्मी ने भी अपनी बेटी का बचाव नहीं किया ,वो समझती थीं ,कि रोहन ने अपना जवान भाई खोया है किन्तु उन्हें मौहल्ले -पड़ोस की भी चिंता थी ,कहीं कोई कान  लगाए न बैठा हो। बोलीं -बेटा वो तो सब ठीक है किन्तु इसमें हमारी बेटी का क्या दोष ?ये तो उसका अपना निर्णय था। उनकी बात सुनकर रोहन तिलमिला गया ,बोला -इसका दोष  नहीं ,तो फिर किसका है ?इसके कारण मेरे भाई ने जहर खाया ,इसके कारण मेरी माँ हस्पताल में है ,इस उम्र में उसने अपना जवान बेटा खोया और मैंने अपना भाई। इसी के उकसाने पर ही आज हम इन परेशानियों में घिरे हैं ,आज मेरे पिता की हालत तो देखिये ,वो दस साल और बूढ़े हो गए हैं ,जो अपने उस बेटे को देख -देखकर प्रसन्न रहते थे ,आज उनकी नजरें उसे सारे घर में ढूँढ रही हैं। सब इसी के कारण और ये ,यहाँ आराम से है। 
                       नंदिनी की मम्मी की नज़र अपनी बेटी पर गयी ,उन्हें उसका चेहरा निर्जीव सा लगा ,वो उसके पास गयीं तो उन्हें लगा वो तो जैसे यहां है ही नहीं ,उन्होंने नंदिनी को पुकारा ,कोई जबाब न पाकर उसके नजदीक गयीं और उसे हिलाया तो वो एक तरफ लुढ़क गयी। उसकी मम्मी की चीख निकल गयी और बोली -नंदिनी के पापा !देखिये इसे क्या हुआ ?वो दौड़कर उसके नजदीक आये ,उसे उठाकर पलंग पर लिटाया ,तभी रोहन अपनी बातें भूलकर बाहर की ओर दौड़ा और सीधा डॉक्टर को बुला भेजा किन्तु स्वयं नहीं आया ,न ही उसने यह जानने का प्रयास किया, कि नंदिनी को हुआ क्या है ?घर में उसके पापा डॉक्टर को बुलाने जा ही रहे थे तभी डॉक्टर ने घर में प्रवेश किया ,उसे देखकर वो चौंक गए ,बोले -आप !प्रश्नात्मक नज़रों से उन्हें देखा। डॉक्टर ने  उनके मन में घुमड़ रहे ,प्रश्नों का जबाब दिया, कहा -रोहन ने बताया ,उसी ने यहां भेजा है कि आपकी बिटिया .......  बीच में ही उन्होंने अपनी बात रोक दी। परिस्थिति को समझते हुए ,बोले -ओह !आइये ,आइये। वो उन्हें अंदर ले गए। डॉक्टर ने ,नंदिनी की जाँच की और गंभीर हो गया। उसका चेहरा देखकर ,नंदिनी के माता -पिता भी परेशान हो उठे और अधिक देर तक अपने को रोक न सके और बोले -क्या बात है ? डॉक्टर !डॉक्टर साहब बोले -इसे किसी बात का सदमा लगा है ?नंदिनी के माता -पिता ने एक -दूसरे की तरफ देखा। डॉक्टर ने फिर से कहना आरम्भ किया ,इतना ही नहीं ,इसकी कुछ जाँच करानी पड़ेंगी ,जहां तक मुझे लगता है ,इसका विवाह भी नहीं हुआ। नंदिनी की मम्मी बोली -डॉक्टर साहब अभी तो ये पढ़ ही रही है किन्तु क्या बात है ?उन्होंने अपनी घबराहट छुपाते हुए पूछा। डॉक्टर ने गहरी नजरों से उन्हें देखा और बोला -ये गर्भवती भी है ,बाक़ी जाँच के बाद पता चलेगा। उसकी मम्मी बुरी तरह घबरा गयीं और बोलीं -डॉक्टर साहब हमें कोई जाँच नहीं करानी ,अरे !अभी तो इसका विवाह भी नहीं हुआ। ये सदमे में है ,आप दवाई दीजिये ,ये ठीक हो जाएगी। 

                    डॉक्टर के जाने के बाद नंदिनी की मम्मी ने सिर पकड़ लिया। अस्थाना तो जी ऐसे हो गए जैसे किसी ने प्राण ही निचोड़ लिए हों। वे नंदिनी की तरफ देखते हुए बोलीं -इस लड़की ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा। अब तक उन्हें प्रतीक के मरने का दुःख था किन्तु अब बोलीं -वो मर तो गया किन्तु मरने के पश्चात भी हमारी बेटी का पीछा नहीं छोड़ेगा और रोने लगीं। उन्हें रोता देखकर अस्थाना जी ने हिम्मत दिखाई और बोले -ये डॉक्टर का भ्रम   भी हो सकता है ,पूर्णतः अभी सिद्ध नहीं हुआ है।पहले नंदिनी को होश में तो आने दो। रात भर नंदिनी अचेत अवस्था में रही अगले दिन सुबह उसने आँखें खोलीं। वो  घर को इस तरह देख रही थी ,जैसे किसी और लोक से आई हो ,अजनबियों के शहर में आ गयी हो। उसकी आँखें खुलते ही उसकी मम्मी ने आव देखा न ताव उसके पास आ गयीं और बोलीं -अब कैसी है ?वो अपनी मम्मी को अजनबियों की तरह देख रही थी ,उसकी आँखें एकदम खामोश थीं जिनमें कोई भाव नहीं थे। उसकी मम्मी ने दवाई दी ,इच्छा तो हो रही थी कि इससे प्रश्न पूंछूं किन्तु उसकी ख़ामोशी देखकर ,उनकी हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने उसे दवाई दी और सोने के लिए कह दिया ,वो भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह सो गयी। वे अस्थाना जी से बोलीं  -यदि डॉक्टर की बात सच हुई तो क्या करेंगे ?कहकर रोने लगीं। उधर  प्रतीक के घर ''शोक सभा ''हो रही थी ,लोग आ रहे थे और चुपचाप जा भी रहे थे। तभी एक लड़की सफ़ेद कपड़ों में उस घर में घुसी ,पहले तो काफी देर तक उसे देखती रही फिर अंदर चली गयी। अनजान जगह में ,एक -एक कमरे को देखती हुई ,वहां पहुंच गयी ,जहां प्रतीक की तस्वीर थी। वो वहाँ बैठ गई और उस तस्वीर को देर तक घूरती रही ,उसे रोहन ने देख लिया था किन्तु वो चुप रहा। किसी को भी उसकी सच्चाई बताना बेहतर नहीं समझा। पता नहीं घर में क्या तूफ़ान आ जाये ?नंदिनी की  सूनी आँखें ,उसके उजाड़ जीवन की दास्ताँ कह रहीं थीं फिर एकाएक उठी और चली गयी। 
                  रोहन उसकी हालत देख उसके पीछे गया ,वो अपने घर की तरफ ही जा रही थी ,निश्चिन्त होकर वापस आ गया। तभी अस्थाना जी उसे खोजते हुए ,वहां आ गए ,बोले -बिना बताये ,कहाँ चली गयी थी ?उसने अपने पापा की तरफ देखा और चुपचाप उनके साथ चल दी। नंदिनी की मम्मी के मन में तो एक ही बात समाई थी कि कहीं वो गर्भवती तो नहीं ?और अपने शक को ,ग़लत साबित करने के लिए ,नंदिनी की जाँच आवश्यक थी। नंदिनी तो जैसे हंसना ही भूल गयी थी वो देर तक बैठी शून्य में तकती रहती। उन्होंने उससे पूछना भी चाहा किन्तु हिम्मत नहीं हुई। जो जाँच के पर्चे डॉक्टर ने उन्हें दिए थे ,वो कहीं  दूर जाकर किसी अन्य महिला चिकित्सक को दिखाना बेहतर समझा ,इस विषय में वो देर करना नहीं चाहती थीं। एक दिन उसको लेकर दूसरे किसी शहर में ले गयीं और वहाँ उसकी जाँच कराई। जाँच में पता चला कि उस डॉक्टर का शक़ सही था। उनके पैरों तले से जैसे ''जमीन निकल गयी। ''बहुत देर तक बैठी रहीं ,क्या करें ?कहाँ जाएँ ?बदनामी से कैसे पीछा छूटे ?वो तो अपना काम करके चला गया किन्तु झेलना तो अब इसको होगा। किस -किससे क्या कहेगी ? जहर खा लेती तो कुछ समय की पीड़ा होती किन्तु बदनामी का ये दाग़ तो जीवन भर नहीं छूटेगा और पल -पल पीड़ा देगा। कुँवारी माँ बनने की। उन्होंने मन ही मन एक फैसला किया और उस चिकित्सक से बात की ,वो भी तैयार हो गयी। एक दिन तय किया गया और नंदिनी को लाना था ,सब झंझट खत्म। 

                   प्रतीक की मम्मी घर तो आ गयीं किन्तु  अपने बेटे को उनकी नज़रें ढूँढ रही थीं और फिर रोने लगीं ,खा गयी मेरे बेटे को ,वो डायन  खा गयी। मैं उसे कभी क्षमा नहीं करूंगी ,भगवान उसे भी कभी खुश नहीं रहने देंगे। कहतीं और रोने लगतीं।जब रोहन ने उन्हें बताया कि हमें ही प्रतीक को डॉक्टर के यहां ले जाने में देर हो गयी ,वरना ,उन दोनों का उद्देश्य तो बस हमें डराना था। तब उन्होंने पूछा -क्या अस्थाना की लड़की ने भी जहर खाया या मेरे बेटे को ही खिला दिया। तब वो चुप हो गया और बोला -वो तो ठीक -ठाक है किन्तु अस्वस्थ है। तब वो तिलमिलाकर बोलीं -मर क्यों नहीं गयी ,मेरे बेटे को खा गयी और रोने लगीं।  

           'क्या नंदिनी की मम्मी को सब झंझटों से छुटकारा मिला ,नहीं तो आगे नंदिनी की ज़िंदगी में क्या हुआ ? नंदिनी ने उनकी योजना के आधार पर स्वयं ज़हर क्यों नहीं खाया ?क्या वो प्रतीक के ग़म से उबर पाई ,उसकी ज़िंदगी क्या मोड़ लेती है ?जानने  के लिए पढ़िए - ''धोखा ''भाग ८ 




















laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post