नंदिनी के गर्भवती होने बात सुनकर उसकी मम्मी की परेशानी बढ़ जाती है ,वे एक महिला डॉक्टर से मिलकर उसके गर्भपात की योजना बनाती हैं ताकि उसके जीवन में आई परेशानियों से, उसे सदा -सदा के लिए छुटकारा मिल जाये। इसकी खबर अभी स्वयं नंदिनी को भी नहीं है। प्रतीक की मम्मी को जब सच्चाई का पता चलता है तो वे उसे बद्दुआएं देती हैं। अब आगे -
नंदिनी अपने घर में शांत खिड़की के पास बैठकर बाहर की तरफ देखती रहती है ,तभी उसे एहसास होता है ,जैसे खिड़की के नीचे खड़ा प्रतीक उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा है और बुला रहा है , वो मुस्कुराती है फिर उठकर चुपचाप चल देती है। उसकी मम्मी रसोईघर में होती हैं किन्तु दादी उसे देख लेती है। उसे इस तरह जाता देख ,आवाज़ लगाती हैं किन्तु नंदिनी का ध्यान, उनकी तरफ नहीं जाता और चली जाती है। तभी उसकी मम्मी बाहर आती हैं और अपनी सास से पूछती हैं -क्या बात है ?वो घबराती हुई कहती हैं -नंदिनी बाहर गई है ,वो उसके पीछे दौड़ती हैं। बाहर नंदिनी को किसी का इंतजार करते देखती हैं
,कहती हैं -क्या हुआ ?नंदिनी उनकी तरफ देखती है और सोचती है -यदि मम्मी को बताया तो प्रतीक को यहां कभी आने नहीं देंगी और चुपचाप मम्मी के साथ अंदर आ जाती है और मन ही मन सोचती है -प्रतीक शायद मम्मी को देखकर छिप गया हो। रात को प्रतीक उसके स्वप्न में आता है ,कहता है ,मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है ,किन्तु पता नहीं, किन लोगों ने मुझे यहाँ बेड़ियों में जकड़ा है ?मैं तुम्हारे पास आना चाहता हूँ किन्तु मुझे वे लोग जाने नहीं दे रहे ,कहकर रोने लगा। नंदिनी उसकी बेड़ियाँ खोलने का प्रयत्न करती है किन्तु लोहे की मोटी जंजीरे, कैसे तोड़ सकती है ?तभी उसे पास पड़ा पत्थर दिखता है और उससे उन बेड़ियों को तोड़ने का प्रयत्न करती है तभी एक विशालकाय व्यक्ति एक फ़रसा जैसा शस्त्र लेकर आता है और नंदिनी को देख लेता है ,उसे पकड़कर अपने महाराज के पास ले जाता है ,तब वो कहता है -लगता है ,वो इसका प्रेमी है ,इसकी यही सज़ा है कि उसे ही मार दो तो ये स्वयं ही जीते जी मर जायेगी। वो व्यक्ति प्रतीक को लाता है और नंदिनी के सामने ही प्रतीक की गर्दन उड़ा देता है ,जिसे देखकर नंदिनी की चीख़ निकल जाती है ,उसकी मम्मी दौड़ी -दौड़ी नंदिनी के पास आती हैं ,और अपनी बेटी को इस तरह पसीने से लथपथ और डरा हुआ देखती हैं तो उसे पानी पिलाती हैं और उसे सपने में से बाहर आने के लिए कहती हैं। नंदिनी बार -बार कह रही है ,उसे मार दिया ,उसे मार दिया। किसे मार दिया और किसने ?वे बार -बार पूछती हैं। जब नंदिनी को एहसास होता है तब वो थोड़ा शांत होती है और अपनी मम्मी से लिपट जाती है।
,कहती हैं -क्या हुआ ?नंदिनी उनकी तरफ देखती है और सोचती है -यदि मम्मी को बताया तो प्रतीक को यहां कभी आने नहीं देंगी और चुपचाप मम्मी के साथ अंदर आ जाती है और मन ही मन सोचती है -प्रतीक शायद मम्मी को देखकर छिप गया हो। रात को प्रतीक उसके स्वप्न में आता है ,कहता है ,मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है ,किन्तु पता नहीं, किन लोगों ने मुझे यहाँ बेड़ियों में जकड़ा है ?मैं तुम्हारे पास आना चाहता हूँ किन्तु मुझे वे लोग जाने नहीं दे रहे ,कहकर रोने लगा। नंदिनी उसकी बेड़ियाँ खोलने का प्रयत्न करती है किन्तु लोहे की मोटी जंजीरे, कैसे तोड़ सकती है ?तभी उसे पास पड़ा पत्थर दिखता है और उससे उन बेड़ियों को तोड़ने का प्रयत्न करती है तभी एक विशालकाय व्यक्ति एक फ़रसा जैसा शस्त्र लेकर आता है और नंदिनी को देख लेता है ,उसे पकड़कर अपने महाराज के पास ले जाता है ,तब वो कहता है -लगता है ,वो इसका प्रेमी है ,इसकी यही सज़ा है कि उसे ही मार दो तो ये स्वयं ही जीते जी मर जायेगी। वो व्यक्ति प्रतीक को लाता है और नंदिनी के सामने ही प्रतीक की गर्दन उड़ा देता है ,जिसे देखकर नंदिनी की चीख़ निकल जाती है ,उसकी मम्मी दौड़ी -दौड़ी नंदिनी के पास आती हैं ,और अपनी बेटी को इस तरह पसीने से लथपथ और डरा हुआ देखती हैं तो उसे पानी पिलाती हैं और उसे सपने में से बाहर आने के लिए कहती हैं। नंदिनी बार -बार कह रही है ,उसे मार दिया ,उसे मार दिया। किसे मार दिया और किसने ?वे बार -बार पूछती हैं। जब नंदिनी को एहसास होता है तब वो थोड़ा शांत होती है और अपनी मम्मी से लिपट जाती है।
अगले दिन नंदिनी को तैयार होने के लिए कहती है ,उसकी मंम्मी अपनी सास को कोई आवश्यक काम बताकर ,नंदिनी के साथ बाहर आ जाती है। वो नहीं चाहती कि किसी को भी नंदिनी की मनोदशा अथवा हालत के विषय में पता चले। वो सीधे उस डॉक्टर के पास जाती हैं और उससे कुछ बातें कर नंदिनी को इंतजार करने के लिए कहकर ,कुछ दवाई और सुईं लेने जाती हैं ,जो भी सामान लाई ,उसे एक नर्स को दे दिया। कुछ समय पश्चात, नर्स नंदिनी को लेकर जाती है ,नंदिनी को अच्छा नहीं लगता वो पूछती है -ये क्या कर रही हो ?नर्स हँसते हुए कहती है -क्या तुम्हें कुछ नहीं पता ?ये तुम्हारे गर्भपात की तैयारी चल रही है ,नंदिनी घबराकर कहती है -क्यों ?मुझे नहीं करवाना कुछ भी। तब उसे एहसास होता है कि उसकी मम्मी उसकी कोख़ में पल रही ,प्रतीक की निशानी को मिटा देना चाहती हैं। उसके सामने सारी बातें ,एक चलचित्र की तरह घूमती हैं और उसे ये भी स्मरण होता है ,कि किस तरह दोनों ने मरने की योजना बनाई थी किन्तु उसे कुछ एहसास हुआ तब उसने वो ज़हर नहीं खाया। पहले तो घबराहट हुई, कि कहीं प्रतीक ज़हर न खा ले किन्तु प्रतीक ने उसे विश्वास दिलाया था, कि उसे कुछ नहीं होगा। इस तरह आश्वस्त हो गयी थी और वो प्रतीक को ये सूचना देने वाली थी कि शायद वो माँ तो नहीं बनने जा रही और प्रतीक की मौत ने उसे सब भुला दिया जो अब उस नर्स के कहने पर याद आया और जो वो महसूस कर रही थी वो उसका शक़ सही था। अब उसे प्रतीक की बहुत याद आई और ज़ोर -ज़ोर से रोने लगी। अब तक वो रोई भी नहीं थी। उसे इस बात का भी दुःख हुआ कि उसकी स्थिती का ,उसकी मम्मी ने लाभ उठाने का प्रयत्न किया। उसके रोने की आवाज़ सुनकर नर्स बोली -शुरू -शुरू में सबको डर लगता है। नर्स की बातें उसे कांटे जैसी चुभी। उसने नर्स को लताड़ा और चिल्लाकर उसे भगा दिया। उसकी हालत देखकर नर्स भी बाहर भागी और उसकी मम्मी को बुला लाई।
अपनी मम्मी को देखकर ,वो उनसे लिपटकर रोई नहीं वरन पूछने लगी -ये आप अपनी बेटी के साथ ऐसे कैसे कर सकती हो ?वो तो गया ,और अब आप इसे भी ,मुझसे अलग करवा देना चाहती हो कहकर वो रोने लगी। उसकी मम्मी तो सोच रही थीं कि इसको कुछ पता ही नहीं होगा ,इससे पहले कि इसे एहसास हो ,इस बच्चे के होने का ,उससे पहले ही इसे नष्ट करवा दूंगी। अब उनके मन में प्रश्न उठा -क्या इस सबका इसे पता था ?किन्तु उन्होंने उसे रोने दिया ताकि मन का सारा गुब्बार निकल जाये।कुछ समय पश्चात डॉक्टर भी आ गयी और नंदिनी की हालत देखकर बोली -अभी ये इस स्थिति में नहीं है ,पहले आप इसे समझाइये और तैयार करके लाइए। वो दोनों अपने घर आ गयीं। नंदिनी सीधे अपने कमरे में गयी और कमरा बंद कर लिया। देर तक रोती रही ,वो बार -बार अप्रत्यक्ष प्रतीक से प्रश्न पूछ रही थी -तुमने तो कहा था कि कुछ नहीं होगा ,फिर कैसे ज़िंदगी से धोखा खा गए ?फिर उसने सोचा -ये जहर तो मेरे पास भी है
,और उस पुड़िया को उठा लाई। मैं भी अपना जीवन समाप्त कर ही लेती हूँ किन्तु तुम्हारी निशानी ,इसका क्या होगा ?होगा क्या ?मेरे साथ ही तुम्हारे पास आ जायेगा। पूर्ण विकसित भी नहीं हुआ ,तभी उसके अंदर से आवाज आयी -''यदि इसे मारना ही था तो फिर अस्पताल में से क्यों आ गयी ?किन्तु मैं अब किस -किसको जबाब दूंगी ?क्या कहूंगी ?माता -पिता की इज्ज़त का सवाल हो जायेगा।वे किस -किसको जबाब देते फिरेंगे ? वे मेरे इस प्रेम की निशानी को कलंक ही मानेंगे। अब मैं क्या करूं ?इससे तो मर ही जाना बेहतर है। फिर से रोने लगी ,उधर उसकी मम्मी घबराई हुई थी कि नंदिनी कहीं कुछ न कर ले।
,और उस पुड़िया को उठा लाई। मैं भी अपना जीवन समाप्त कर ही लेती हूँ किन्तु तुम्हारी निशानी ,इसका क्या होगा ?होगा क्या ?मेरे साथ ही तुम्हारे पास आ जायेगा। पूर्ण विकसित भी नहीं हुआ ,तभी उसके अंदर से आवाज आयी -''यदि इसे मारना ही था तो फिर अस्पताल में से क्यों आ गयी ?किन्तु मैं अब किस -किसको जबाब दूंगी ?क्या कहूंगी ?माता -पिता की इज्ज़त का सवाल हो जायेगा।वे किस -किसको जबाब देते फिरेंगे ? वे मेरे इस प्रेम की निशानी को कलंक ही मानेंगे। अब मैं क्या करूं ?इससे तो मर ही जाना बेहतर है। फिर से रोने लगी ,उधर उसकी मम्मी घबराई हुई थी कि नंदिनी कहीं कुछ न कर ले।
रोते हुए ,उसने दरवाजा खोला और अपनी मम्मी से लिपट गयी ,बोली -मैं क्या करूं ?उसकी मम्मी ने उसको साहस से ज़िंदगी का सामना करने को कहा और किसी को भी पता चलने से पहले ,इस भ्रूण को नष्ट करने की सलाह दी। बोलीं -बेटा जो हो गया ,अब उसको लौटाया तो नहीं जा सकता किन्तु अपनी आगे की ज़िंदगी तो संवार लो। मम्मी उसके शांत रहने पर उसकी मंजूरी समझकर संतुष्ट होकर चली गयीं।
नंदिनी असमंजस में पड़ी रही ,तभी प्रतीक की आवाज़ आई बोला -तुमने मेरा प्यार इतनी जल्दी भुला दिया ,तुम मेरे प्यार को जिसे अपने अंदर समेटे हो ,उसे भी नष्ट कर दोगी।क्या मेरा प्रेम ,मेरे तक ही सीमित था। मेरे न रहने पर समाप्त हो गया। मेरी उस निशानी को नष्ट कर दोगी। यदि हमारा विवाह हो जाता तो क्या तब भी ऐसा ही करतीं। तुमने ही कहा था कि हमारा प्रेम रीति -रिवाज़ों का मोहताज़ नहीं ,मन से तो में तुम्हें अपना पति मान चुकी हूँ ,बस विवाह होने के पश्चात सामाजिक मोहर लग जाएगी। क्या वो सब ढ़कोसला था। तुम तो बहादुर थीं। कैसे इतनी कमजोर पड़ गईं ?तुम्हें एक बात बताऊँ -''मैं मरा नहीं था। '' तो फिर कहाँ हो तुम नंदिनी बोली ?प्रतीक बताओ !तुम कहाँ हो ?तुम कहाँ हो ?उसकी आवाज़ तेज़ होती गयी और उसकी तंद्रा टूटी ,तभी नंदिनी की मम्मी उसके लिए भोजन लेकर आईं। तब नंदिनी को एहसास हुआ कि प्रतिक उसके विचारों में भी उसके साथ है ,उसका अंश मेरी कोख़ में जो पल रहा है। मरने के बाद भी वो मेरे साथ है। खाना खाते हुए ,मम्मी बोलीं -तो अब क्या सोचा,तुमने ?किस विषय में ,नंदिनी सोचते हुए बोली। मम्मी झुंझलाकर बोलीं -अरे !अभी हमने बात की थी कि अब जीवन में आगे बढ़ो।
नंदिनी बोली -हाँ ,अब मैं आगे बढूँगी और मेरा दाखिला बाहर किसी कॉलिज में करवा दीजिये। मंम्मी बोलीं -मैं दाख़िल की बात नहीं कर रही ,मैं इस बच्चे की बात कर रही हूँ। जब ये इस दुनिया में आ जायेगा ,तो इसका भी दाखिला करवा देंगे। मम्मी चिढ़कर बोलीं -यानि तुम इसे पैदा करोगी और हमारी जो बची- कुची इज्जत है, उसे और बढ़ाओगी। तभी तो कह रही हूँ ,मेरा कहीं दूर दाख़िला करवा दीजिये ताकि इज्ज़त भी बची रहेगी और ये भी इस दुनिया में आ जायेगा। किसी को भी कुछ पता नहीं चलेगा। और इसका बाप कौन है ?किसी को क्या बताएगी ?मम्मी ने पूछा। प्रतीक ही इसका बाप है ,वो ही होगा किन्तु पिता के चले जाने पर बच्चों का गला तो नहीं घोंटा जा सकता ,मैं अब उसकी विधवा हूँ। उसकी बात सुन मम्मी का दिल दहल गया ,बोलीं -ज़िंदगी इतनी आसान भी नहीं, जितना तुम इसे समझ रही हो। जब जो होगा देखा जायेगा।ज़िंदगी इससे और बुरा क्या दिखाएगी ?कहकर उसके नेत्रों में ,कुछ बूँदे आयीं
जिन्हे नंदिनी तुरंत ही पोंछ लिया। नंदिनी की ज़िद के आगे ,उसे उसकी नानी के पास भेज दिया गया ,वो वहाँ अकेली रहती थीं। मामा -मामी भी अपनी नौकरी के कारण घर से दूर रहते थे ,ये ही जगह उन्हें सही लगी। जब बहुत दिनों तक किसी को नंदिनी नहीं दिखी और पूछा तो उसके मम्मी -पापा ने बताया नानी के घर रहकर ही अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर रही है। एक दिन नंदिनी की मम्मी बाहर सब्ज़ी लेने गयीं थी, तभी उन्हें वो डॉक्टर दीक्षित दिखे ,जिन्होंने उन्हें पहली बार बताया था कि नंदिनी गर्भवती है। उन्हें देखते ही वे तो उनसे बचकर निकलना चाह रही थीं किन्तु उन्होंने देख लिया और अपनी नज़रों को उनके चेहरे पर गड़ाते हुए ,बोले -आप फिर मुझसे मिलने नहीं आयीं ,मैंने जो जाँच बताई थी ,वो करवा लीं। उसकी घूरती नज़रों और उसकी मुस्कुराहट देख ,वो बोलीं -ऐसा कुछ था ही नहीं ,जो जाँच करवानी पड़े। वो रहस्यमयी मुस्कान के साथ बोला -मैं कोई चलता -फिरता ,टटपुँजिया डॉक्टर नहीं ,बीस वर्षों का अनुभव है मुझे। अच्छी बात है ,कहकर वो निकल गयीं। पीछे से डॉक्टर -बड़बड़ा रहा था -एक अनुभवी डॉक्टर को मूर्ख बनाने चली हैं।
जिन्हे नंदिनी तुरंत ही पोंछ लिया। नंदिनी की ज़िद के आगे ,उसे उसकी नानी के पास भेज दिया गया ,वो वहाँ अकेली रहती थीं। मामा -मामी भी अपनी नौकरी के कारण घर से दूर रहते थे ,ये ही जगह उन्हें सही लगी। जब बहुत दिनों तक किसी को नंदिनी नहीं दिखी और पूछा तो उसके मम्मी -पापा ने बताया नानी के घर रहकर ही अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर रही है। एक दिन नंदिनी की मम्मी बाहर सब्ज़ी लेने गयीं थी, तभी उन्हें वो डॉक्टर दीक्षित दिखे ,जिन्होंने उन्हें पहली बार बताया था कि नंदिनी गर्भवती है। उन्हें देखते ही वे तो उनसे बचकर निकलना चाह रही थीं किन्तु उन्होंने देख लिया और अपनी नज़रों को उनके चेहरे पर गड़ाते हुए ,बोले -आप फिर मुझसे मिलने नहीं आयीं ,मैंने जो जाँच बताई थी ,वो करवा लीं। उसकी घूरती नज़रों और उसकी मुस्कुराहट देख ,वो बोलीं -ऐसा कुछ था ही नहीं ,जो जाँच करवानी पड़े। वो रहस्यमयी मुस्कान के साथ बोला -मैं कोई चलता -फिरता ,टटपुँजिया डॉक्टर नहीं ,बीस वर्षों का अनुभव है मुझे। अच्छी बात है ,कहकर वो निकल गयीं। पीछे से डॉक्टर -बड़बड़ा रहा था -एक अनुभवी डॉक्टर को मूर्ख बनाने चली हैं।
नंदिनी अपनी नानी के घर रहती है तो क्या उसे किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता ?कहीं डॉक्टर ,उसका रहस्य तो नहीं खोल देगा ,अब और क्या परेशानियां उसका रस्ता देख रही हैं ?जानने के लिए पढ़िए -धोखा ,भाग ९