घर से दफ्तर , दफ्तर से घर की दूरी ,
तय करते न जाने ,कब सेवा मुक्त हुए ?
पता ही नहीं चला |
माँ बाप बनते ,माता -पिता का सपना जीते ,
कब दादा -दादी बन गए ?
पता ही नहीं चला |
बच्चों की पढ़ाई से लेकर ,उनके विवाह तक ,
हमने कितनी दूरी तय की ?
पता ही नहीं चला |
बच्चों की दवाई ,समय पर खिलाई ,
न जाने कब , दवाईयां खुद खाने लगे ?
पता ही नहीं चला |
बालों को चमकीला बनाते ,अंडा शिकाकाई लगाते ,
न जाने कब, रंग लगाने लगे ?
पता ही नहीं चला |
न जाने कितने सपने ? इन नजरों ने देखे ,
न जाने कब , नज़रें धुँधलाने लगीं ?
पता ही नहीं चला |
दूसरों को राह दिखाते ,गैरों का सहारा बनते ,
न जाने कब सहारा ढूँढने लगे ?
पता ही नहीं चला |
दवाइयों के नुस्ख़े पूछते -पूछते , खुद योग करते ,
न जाने कब ,नुस्ख़े बताने लगे ?
बिन माँगी सलाह देने लगे,
पता ही नहीं चला |
जिंदगी को सँवारते , सुलझाते चेहरे की रंगत कब फ़ीकी पड़ी ?
न जाने कब ,'स्वर्ण जयन्ति "आई |
पता ही नहीं चला |
समय कटता रहा , जिंदगी बीतती रही ,
न जाने कब , पीढ़ी दर पीढ़ी अंतराल आया ?
पता ही नहीं चला |
👏👏👏👌👌amazing
ReplyDeletethank you
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