Pta he nahi chala

घर से दफ्तर , दफ्तर से घर की दूरी ,
          तय करते न जाने ,कब सेवा मुक्त हुए ?
                           पता ही नहीं चला | 
माँ बाप बनते ,माता -पिता का सपना जीते ,
                 कब दादा -दादी बन गए ?
                        पता ही नहीं चला | 
बच्चों की पढ़ाई  से लेकर ,उनके विवाह तक ,
            हमने कितनी दूरी तय की ?
                          पता ही नहीं चला | 
बच्चों की दवाई ,समय पर खिलाई ,
           न जाने कब , दवाईयां खुद खाने लगे ?
                           पता ही नहीं चला |
बालों को चमकीला बनाते ,अंडा शिकाकाई लगाते ,
      न जाने  कब, रंग लगाने लगे ?
                              पता ही नहीं  चला | 
न जाने कितने सपने ? इन नजरों  ने देखे ,
            न जाने कब , नज़रें  धुँधलाने लगीं ?
                           पता ही नहीं चला | 
दूसरों को राह दिखाते ,गैरों का सहारा बनते ,
              न जाने कब सहारा ढूँढने लगे ?
                           पता ही नहीं चला | 
दवाइयों के नुस्ख़े पूछते -पूछते , खुद योग करते ,
              न जाने कब ,नुस्ख़े बताने लगे ?
                बिन माँगी सलाह देने लगे,
                                पता ही नहीं  चला | 
जिंदगी को सँवारते , सुलझाते चेहरे की रंगत कब फ़ीकी पड़ी ?
            न जाने कब ,'स्वर्ण जयन्ति "आई | 
                         पता ही नहीं चला | 
समय कटता रहा , जिंदगी बीतती रही , 
             न जाने कब , पीढ़ी दर पीढ़ी अंतराल आया ? 
                          पता ही नहीं चला | 
   
           
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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