फूलों ने ही नहीं ,
काँटों ने भी छुआ है ,मुझे।
सुमन की सुरभि ही नहीं ,
काँटों की चुभन का एहसास है, मुझे।
मैं कोरा कागज़ ही नहीं ,
कुछ नई- पुरानी कहानियाँ भी ,रची -बसी हैं
मुझमें
जो मेरी ख़ुशी -ग़म का एहसास दिलाती हैं ,मुझे।
तुमने सोच होगा ,
मैं भाव हीन ,शून्य हूँ।
कुछ राग -रागिनियाँ बसी हैं मुझमें ,
उन्हें छेड़ न पाने का अहसास है ,मुझे।
कुछ उमंगें हैं मेरी ,
उलझन सी भरी है ,जिंदगी में।
उठ - उठकर गिरना
गिरकर फिर उठने का एहसास है ,मुझे।
तुम मेरा प्यार ,
तुम इस जीवन की मंजिल हो।
तुम्हारा !
इस मंजिल पर अकेले ,
छोड़ जाने का एहसास है ,मुझे।
नहीं तुम स्वप्न ,हकीक़त हो जिंदगी की ,
हकीकत से नजरें ,
मिलाने का एहसास है ,मुझे।
काँटों ने भी छुआ है ,मुझे।
सुमन की सुरभि ही नहीं ,
काँटों की चुभन का एहसास है, मुझे।
मैं कोरा कागज़ ही नहीं ,
कुछ नई- पुरानी कहानियाँ भी ,रची -बसी हैं
मुझमें
जो मेरी ख़ुशी -ग़म का एहसास दिलाती हैं ,मुझे।
तुमने सोच होगा ,
मैं भाव हीन ,शून्य हूँ।
कुछ राग -रागिनियाँ बसी हैं मुझमें ,
उन्हें छेड़ न पाने का अहसास है ,मुझे।
कुछ उमंगें हैं मेरी ,
उलझन सी भरी है ,जिंदगी में।
उठ - उठकर गिरना
गिरकर फिर उठने का एहसास है ,मुझे।
तुम मेरा प्यार ,
तुम इस जीवन की मंजिल हो।
तुम्हारा !
इस मंजिल पर अकेले ,
छोड़ जाने का एहसास है ,मुझे।
नहीं तुम स्वप्न ,हकीक़त हो जिंदगी की ,
हकीकत से नजरें ,
मिलाने का एहसास है ,मुझे।

Arth- puurn kavita. Bahot achchhi lagi. Komalta va saahityikita ka purn milan hai. Baaki kavita bhi padhata hun.
ReplyDeletethank u sir...
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