khushiya menate hai

लो, आज मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। 
   बहुत हुईं ,शिकवा -शिकायतें ,
      बहुत सताया ,इस मन को ,
आज उन सबको मिलकर भूल जाते हैं। 
चलो आज मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। 
     बहुत हुई ,ज्ञान की बातें ,
      बहुत हुए ,गम्भीर ,
 आज जिंदगी में ,कुछ अल्हड़पन लाते हैं। 
  चलो, आज मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। 
        जिंदगी कुछ मीठी थी ,
             कुछ खट्टी ,कुछ तीखी ,
 आओ जिंदगी को मिल ,
                कुछ हल्का चटपटा बनाते हैं। 
  चलो ,आज मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। 
        रोते रहे ,जिन बातों को याद कर ,
             आज उन्हें भूल जाते हैं। 
        तन्हाइयों में लिपटी थी ,जो उदासियाँ ,
              उन्हें आज कहीं ,छोड़ आते हैं। 
आओ ,आज मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। 
       खुला आसमां हो ,नई उमगें ,
        नया जहाँ हो ,नई तरगें ,
  आज ,दिन को सिर्फ़ ओ सिर्फ़ अपना बनाते हैं। 
  आओ ,आज मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। 
 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

2 Comments

Post a Comment
Previous Post Next Post