माँ मुझे, अक़सर याद आती है।
यादों के झरोखों से ,मुस्कुराकर ,
मेरी तन्हाइयों को ,छेड़ जाती है।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।
उसकी याद से ,
चेहरे पर मुस्कान आती है।
पर ,उसके न होने का ,
एहसास दिलाती है।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।
उसका वो मंद -मंद मुस्काना ,
मेरा इंतजार करना ,दूध में ,
मकई की रोटी भिगोना।
गुड़ से प्यार से खिलाना।
ये बातें ,उसकी याद दिलाती हैं।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।
उसका मेरी उँगली पकड़ घुमाना ,
सबसे मिलाना ,
स्कूल से न आने पर ,
दरवाजे पर खड़े रहना ,
इन बातों को याद कर ,आँख भर आती है।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।
मेरे रूठने पर ,मुझको मनाना।
चूड़ी वाले से ,चूड़ी दिलाना।
बिखरे बाल संवारना।
इन बातों से ,उसकी याद मुझे रुलाती है।
यादों के झरोखों से ,मुस्कुराकर ,
तन्हाइयों को ,छेड़ जाती है।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।
यादों के झरोखों से ,मुस्कुराकर ,
मेरी तन्हाइयों को ,छेड़ जाती है।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।
उसकी याद से ,
चेहरे पर मुस्कान आती है।
पर ,उसके न होने का ,
एहसास दिलाती है।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।
उसका वो मंद -मंद मुस्काना ,

मकई की रोटी भिगोना।
गुड़ से प्यार से खिलाना।
ये बातें ,उसकी याद दिलाती हैं।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।
उसका मेरी उँगली पकड़ घुमाना ,
सबसे मिलाना ,
स्कूल से न आने पर ,
दरवाजे पर खड़े रहना ,
इन बातों को याद कर ,आँख भर आती है।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।
मेरे रूठने पर ,मुझको मनाना।
चूड़ी वाले से ,चूड़ी दिलाना।
बिखरे बाल संवारना।
इन बातों से ,उसकी याद मुझे रुलाती है।
यादों के झरोखों से ,मुस्कुराकर ,
तन्हाइयों को ,छेड़ जाती है।
माँ मुझे ,अक़सर याद आती है।