चेहरे पे चेहरे लगा रखे हैं।
मुस्कान है ,चेहरे पर ,
अरमान दबा रखे हैं।
लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं।
कोई "मै "में डूबा ,
कोई ख्यालों में डूबा ,
जज्बातों के ग़ुबार बना रखे हैं।
लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं।
चेहरे पे चेहरे लगा रखे हैं।
कोई हमसे खुलकर मिलेगा ,क्या ?
अपने -आप से ही नहीं मिल पाते हैं।
जिंदगी के तूफ़ा दिल में दबा रखे हैं।
लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं।
दिल में कुछ ओर ,हक़ीक़त कुछ ओर ,
मुस्कुराते हैं ज़नाब ,
जज़्बात हैं कुछ ओर
अपने -आप में जीने के सबब बना रखे हैं।
चेहरे पे चेहरे लगा रखे हैं।
लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं।
मुस्कान है ,चेहरे पर ,
अरमान दबा रखे हैं।
लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं।
कोई "मै "में डूबा ,
कोई ख्यालों में डूबा ,
जज्बातों के ग़ुबार बना रखे हैं।
लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं।
चेहरे पे चेहरे लगा रखे हैं।
कोई हमसे खुलकर मिलेगा ,क्या ?
अपने -आप से ही नहीं मिल पाते हैं।
जिंदगी के तूफ़ा दिल में दबा रखे हैं।
लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं।
दिल में कुछ ओर ,हक़ीक़त कुछ ओर ,
मुस्कुराते हैं ज़नाब ,
जज़्बात हैं कुछ ओर
अपने -आप में जीने के सबब बना रखे हैं।
चेहरे पे चेहरे लगा रखे हैं।
लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं।
well written poem!! which rightly depicts the situation of modern society and the human beings living in stress and duality....
ReplyDeletekeep writing ..