mukhote

चेहरे पे चेहरे लगा रखे हैं। 
       मुस्कान है ,चेहरे पर ,
              अरमान दबा रखे हैं। 

लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं। 
    कोई "मै "में डूबा ,
          कोई ख्यालों में डूबा ,
               जज्बातों के ग़ुबार बना रखे हैं। 
  लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं। 
      चेहरे पे चेहरे लगा रखे हैं। 
            कोई हमसे खुलकर मिलेगा ,क्या ?  
                अपने -आप से ही नहीं मिल पाते हैं। 
       जिंदगी के तूफ़ा दिल में दबा रखे हैं। 
    लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं। 
               दिल में कुछ ओर ,हक़ीक़त कुछ ओर ,
                     मुस्कुराते हैं ज़नाब ,
                            जज़्बात हैं कुछ ओर 
    अपने -आप में जीने के सबब बना रखे हैं। 
     चेहरे पे चेहरे लगा रखे हैं। 
            लगता है ,जैसे मुखौटे लगा रखे हैं। 
laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

1 Comments

  1. well written poem!! which rightly depicts the situation of modern society and the human beings living in stress and duality....

    keep writing ..

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