Khoobsurat [part 94]

कुमार, यामिनी से मिलने के लिए, उसके होटल में जाता है और उससे बातें करता है। उससे मिलना और उससे बातें करना उसे अच्छा लग रहा था। तब यामिनी भी, उसके विषय में जानना चाहती है और उससे  पूछती है - आप अपने विषय में कुछ बताइए !

 तब कुमार उससे कहता है- कि उसका विवाह तो हुआ है किंतु वह यह जतला देना चाहता था कि माता-पिता की इच्छा के कारण, उसे बंधन में बांध दिया गया है ,आप लोगों की तरह हमारी आजादी समय से पहले ही हमारी छीन ली जाती है, कहते हुए हँसता है ,जैसे उसने कोई चुटकुला सुनाया हो। 


 क्या तुम्हें लगता है ,तुम्हारा विवाह होना गलत था ?यामिनी ने पूछा।  यह तो अच्छा ही हुआ, आपका विवाह हो गया अब आपसे कोई ,मेरी तरह नहीं पूछेगा, जैसे मुझसे लोग पूछते हैं - आपका विवाह हुआ है या नहीं कहते हुए मुस्कुराई।  वैसे विवाह भी एक अच्छी रस्म है, यदि वह ठीक से निभाई जाए। दोनों में प्यार होना चाहिए , यदि विवाह है और प्यार नहीं है तो ऐसे विवाह से कोई लाभ नहीं है और यदि विवाह है और धोखा भी है, उससे भी ,कोई लाभ नहीं है। इससे तो अच्छा है, कम से कम जिंदगी में, सच्चाई से, दोस्ती ही निभाई जाए ,आपका क्या विचार है ?

शायद ,आप सही हैं ,मन ही मन सोचता है ,मधुलिका से तो मैंने प्यार ही किया था किन्तु विवाह के पश्चात वो अनुभूति न जाने कहाँ खो गयी ? शायद वो, प्यार ही नहीं था। शायद मैं, शिल्पा को दिखला देना चाहता था कि उसका मेरे जीवन में कोई महत्व नहीं है ,पता नहीं,' मैं 'क्या चाहता था ?

 कई बार परिस्थितिवश हम कोई कार्य करते हैं और सोचते हैं -ये तो जीवन है ,जो चल रहा है ,जैसा भी चल रहा है, चलने देते हैं। कुछ समय पश्चात पीछे मुड़कर देखते हैं ,तो लगता है ,ये सब हमने क्यों किया ,इसके पीछे हमारी क्या सोच थी ? हम क्या सच में यही चाहते थे ?और जब कोई जबाब नहीं मिलता तो अपनी वे हरकतें, बचकानी नज़र आती हैं।आज कुमार को भी ऐसा ही कुछ महसूस हो रहा है।  

क्या सोच रहे हैं ? यामिनी ने उसकी आँखों में अपनी आंखें डालते हुए पूछा ,जैसे वो उन्हें पढ़ना चाहती थी। 

कुछ नहीं ,वैसे आप यहां कब तक हैं ? कुमार ने अपने मतलब की बात की। 

मैं, यहां दो दिन और रहना चाहूंगी, उसके बाद चली जाऊंगी और आप यहां कब तक हैं ?तुरंत ही उसने प्रश्न किया। 

कुछ कह नहीं सकता ,क्योंकि अब तो कुमार, यामिनी के लिए ही वहां ठहरा हुआ था ,तब बोला - मैं, यहां काम के सिलसिले में अक्सर आता रहता हूं, किंतु कभी घूमना ही नहीं हुआ , आप कहें तो दोनों को कंपनी हो जाएगी और इस शहर में, साथ में घूम लेंगे ,अकेले मेरा भी, कहीं घूमने का मन नहीं करता।  अभी तक तो आपने यह जयपुर शहर देखा ही नहीं होगा। 

जब से आई हूं, तब से व्यस्त हूं, कोई कंपनी भी नहीं मिली। 

फिर देर किस बात की है ? क्यों न..... मैं आपको अपना देश तो नहीं कह सकता, यह शहर तो घुमा ही सकता हूं यदि आपको मुझ पर विश्वास है तो..... 

यामिनी ने एक नजर कुमार की तरफ देखा और मुस्कुराई आपका तो नहीं कह सकती किंतु मुझे अपने आप पर अवश्य विश्वास है, यदि आपके पास मुझे घुमाने के लिए समय है तो मैं चल सकती हूं। वैसे ,एक बात पूछूं ! आप मुझ पर इतनी मेहरबानी क्यों कर रहे हैं ? मुस्कुराते हुए यामिनी ने पूछा। 

मेहरबानी कैसी ?वैसे आपमें  दिलचस्पी दिखलाना स्वाभाविक है, एक तो आप कलाकार है, ऊपर से आप हमारी मेहमान हैं , इन जगहों से अनजान हैं । इस तरह आपको अकेले छोड़ भी तो नहीं जा सकता।वैसे मैं भी आपसे एक बात पूछूं ,यदि आपको बुरा न लगे तो... 

आपको कब से इजाज़त की आवश्यकता पड़ने लगी ? पूछिए ,क्या पूछना चाहते हैं ?

यही कि आपके बहुत से लोग प्रशंसक रहे होंगे ,कला प्रदर्शनी में तो बहुत से लोग आये थे ,उनमें किसी ने तो आपसे मिलना चाहा होगा। 

हाँ ,तब आप उनसे मिलीं। 

नहीं ,जिन्होंने मिलना चाहा ,उनसे मैंने कह दिया -मैं बात कर चुकी हूँ किन्तु आप ये क्यों पूछ रहे हैं ?

वही तो, मैं भी कहना चाहता हूँ ,आपने मुझसे ही, इस तरह अकेले क्यों मिलना चाहा ?उसके चेहरे पर नजरें गढ़ाते हुए कुमार ने पूछा। 

वो समझ गयी ,ये क्या कहना चाहता है ,तब मुस्कुराकर बोली -आपकी बात कुछ और है। 

अब तो आपको ,आपके सवाल का जबाब मिल ही गया होगा ,जीवन में कभी -कभी कोई आदमी हो या औरत ऐसा मिल जाता है ,जिसे देखकर लगता है कि हमारा उससे बहुत पुराना नाता है ,कुछ तो है ,जो हमें एक -दूसरे की तरफ खींच रहा है , क्या आप मुझसे दोस्ती करना पसंद करेंगी ? 

अभी तक आप मेरे प्रशंसक बनकर आये थे ,प्रशंसक बनते -बनते आप दोस्ती पर आ गए, आप कुछ ज्यादा ही तरक्की नहीं कर रहे हैं ,उसके इन शब्दों में भी प्यार झलक रहा था।  

यह जीवन बहुत छोटा है , और समय भी, हम लोगों के पास नहीं है आप अब आई हैं न जाने फिर कब आपका आना होगा ? इसलिए मैं सोचता हूं जितना ज्यादा से ज्यादा समय, आपके साथ व्यतीत किया जाए उतना ही अच्छा होगा,कुछ खूबसूरत यादें लेकर चला जाऊंगा।  

क्या आपकी पत्नी को कोई परेशानी नहीं होगी ?

उसे क्या मालूम है, मैं कहां हूं ? मैं तो कारोबार के सिलसिले में यहां आया हूं , मैं कल चला जाता लेकिन आपके कारण रुक गया, हमें भी तो सेवा का थोड़ा मौका दीजिए। 

यामिनी समझ रही थी, कुमार धीरे-धीरे उसके करीब आना चाहता है लेकिन ऐसे लोगों को उसने बहुत अच्छे से  संभाला है, वैसे यह भी कोई बुरा नहीं है,हाँ  इतना बुरा भी नहीं, जैसे अन्य लोगों को उसने देखा है इतनी देर में तो..... यह सोचकर वह चुप हो गई। 

आप कहें तो आज ही इसकी शुरुआत की जाए ,घूमने के लिए शाम का समय भी अच्छा होता है , लाइट में शहर को देखने का अपना अलग ही आनंद होगा। 

 आप सही कह रहे हैं , यामिनी को उत्सुकता हुई और बोली -मैं अभी तैयार होकर आती हूं। 

तैयार क्या होना है ? आप तो वैसे ही खूबसूरत है, अच्छी लग रही हैं , ऐसे ही चलिए !

मैं, शायद साड़ी संभाल नहीं पाऊंगी, कहते हुए जैसे ही वह उठी, उसका पल्लू उसके पैरों के तले दब गया जिसके कारण उसके पांव लडखडा गए ,वह गिरने ही वाली थी ,तभी कुमार ने उसे संभाल लिया और अचानक उसके मुंह से निकला - जरा संभल के..... 

यामिनी का का खुशबूदार , मदमाता बदन, कुमार की नसों में उसके लहू को गर्म कर गया , उसका स्पर्श पा एक क्षण के लिए वह जैसे अपने आपको भूल बैठा। 

यामिनी, उसकी बाहों से निकलकर बोली -वही तो मैं कहना चाहती थी , यहां आकर साड़ी पहनी है, अधिकतर में वेस्टर्न कपड़े ही पहनती हूं ,वह तो अच्छा हुआ कि आप थे, आपने संभाल लिया ,नहीं तो मैं गिर ही जाती। क्या मैं साड़ी में ही चलूं या कपड़े बदल लूं  ? 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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