जबसे शिल्पा को पता चला था ,नित्या का पति ,रंजन का बॉस है ,उसे कोई प्रसन्नता नहीं हुई बल्कि वो अपने पति को उससे आगे बढ़ाने के स्वप्न देखने लगी और इसके लिए वो अपनी योजना कार्यान्वित कर चुकी थी ,इस योजना में उसने रंजन को शामिल नहीं किया ,उसके इस व्यवहार के कारण रंजन भी परेशान था। तब वह अपनी परेशानी नित्या से बाँट लेता था। जब शिल्पा को लगा कि मैं अपनी योजना में कुछ हद तक सफल हो सकती हूँ ,तब उसने रंजन को बताना चाहा किन्तु तब तक रंजन के व्यवहार में उसे बदलाव नजर आया। उसे लगा, रंजन उससे कुछ छुपा रहा है ,वह अक्सर फोन पर बातें करते हुए ,शिल्पा को देख चुप हो जाया करता था जिसके कारण शिल्पा का उस पर संदेह बढ़ता चला गया उसके संदेह में सबसे पहले नित्या आती है ,जिसकी जानकारी स्वयं नित्या को भी नहीं थी। तब एक दिन वो नित्या को फोन करती है।
इतने दिनों के पश्चात ,शिल्पा का फोन देखकर ,नित्या खुश हो जाती है और उससे शिकायत भी करती है -इतने दिनों पश्चात उसकी याद आई।
स्वर में,तल्ख़ी लिए, दूसरी तरफ से शिल्पा की आवाज आई - तुझे, मुझसे बात करने की क्या आवश्यकता पड़ गई, तू तो सुंदर है, तेरे चाहने वाले भी अनेक होंगे। तेरी तो हर कोई फ़िक्र करता है।
तू ऐसे क्यों बोल रही है ?तेरी भी ,तो सभी परवाह करते हैं ,तू ही किसी से संबंध रखना नहीं चाहती। एक -दो बार मैंने फोन किया भी था, पर तूने उठाया ही नहीं ,क्या तू भूल गयी ?मैं तेरी बहन हूँ।
बहन है, तो क्या करूं ?ढिंढोरा पिटूं ,जब मैंने तेरा फोन नहीं उठाया तो तुझे, समझ जाना चाहिए ,मैं, तुझसे कोई बात नहीं करना चाहती,न ही कोई मतलब रखना चाहती हूँ।
तू, ये सब मुझसे क्यों कह रही है ?मुझे, तेरा गुस्सा तो दिखता है किन्तु उसका कोई उचित कारण नजर नहीं आता।
न ही आएगा ,न ही मैं, तुझे समझाना चाहती हूँ।
जब तू, हमसे कोई संबंध रखना ही नहीं चाहती है तो फिर फोन क्यों किया ?शिल्पा के रूखे व्यवहार और चुभने वाले शब्दों से नित्या भी परेशां हो गयी थी और शिल्पा के शब्दों में कोई भी नम्रता न देखकर नित्या ने भी पूछ ही लिया।
मेरे फोन का कारण भी तू ही है।
क्यों, मैंने ऐसा क्या किया ? जो तुझे न चाहते हुए भी फोन करना पड़ गया ,जो कुछ भी तेरे, मन में चल रहा है ,स्पष्ट शब्दों में कह..... नित्या झींकते हुए बोली।
अब मुद्दे पर ही आती हूँ ,तू मुझे पहले यह बता...... तेरा, मेरे पति से क्या संबंध है ?
क्या तू नहीं जानती है ?उनका और हमारा क्या रिश्ता है ?क्या बेतुकी बातें बोल रही है ?वो तेरे पति हैं और इस नाते उनसे मेरा भी संबंध बनता है।
लेकिन ये रिश्ता तभी तो है ,जब मैं तेरे साथ इस रिश्ते में जुडी हूँ ,जब मैं ही तुझसे कोई संबंध नहीं रखना चाहती तो फिर तू, क्यों मेरे पति के पीछे पड़ी है ?
शिल्पा की बात सुनकर नित्या सकते में आ गयी ,वो तो अच्छा हुआ ,इस समय प्रमोद जी यहां नहीं हैं ,मन ही मन नित्या ने सोचा, इसे ऐसा क्या पता चल गया, जो ये मुझ पर ऐसे इल्ज़ाम लगा रही है। तब वो बोली -तू ,होश में तो है ,कुछ भी बोले जा रही है , तू भी ये मत भूल !मैं रिश्ते में तुझसे बड़ी हूँ',मैं' तेरी ज्यादतियां बर्दाश्त करती रहती हूँ ,इसका मतलब ये नहीं कि तू जो भी मुँह में आएगा ,कुछ भी बोलेगी। मैं तेरे पति के पीछे क्यों पड़ने लगी ?क्यों, क्या मेरा पति नहीं है ? जो मैं, तेरे पति के पीछे जाउंगी।
तब तू यह बता ....! तू मेरे पति से फोन पर इतनी ,क्या बातें करती है ? अचानक इस तरह के प्रश्न से नित्या हड़बड़ा गई उसे उम्मीद ही नहीं थी कि शिल्पा अचानक मुझसे इस तरह का कोई प्रश्न पूछेगी।तब संभलकर नित्या बोली - मैं ,तेरे पति को फोन क्यों करने लगी ? यदि तुझे ऐसा लगता है ,तो जाकर अपने पति से ही पूछ.... वही जबाब देगा। कभी -कभार वो ही अपनी साली का हालचाल पूछ लेते हैं ,तुझे तो फुरसत ही नहीं है ,तू तो रिश्ते तोड़ने पर तुली है।
साली के रिश्ते की आड़ में ,तू कहीं रंजन को अपनी सुंदरता का जलवा दिखाकर , मुझसे दूर तो नहीं कर रही है।
शिल्पा का ऐसा आरोप सुनकर नित्या को क्रोध आया,गुस्से से उसका चेहरा तमतमा गया और बोली -अपने मन की गंदगी को अपने पास रख,' मैं' तेरे पति को तुझसे दूर क्यों करने लगी ,दूसरों पर दोषरोपण करने से पहले अपने अंदर झांक लेना चाहिए ,कहीं तुझमें या तेरे व्यवहार में ही तो कोई कमी नहीं है ,जो तेरा पति अपने मन की बातें तुझसे ही छिपा जाता है। तेरे उस पति में कोई हीरे- जवाहरात नहीं लगे हुए हैं ,मेरा अपना पति है, अपनी मेहनत का कमाता है और अपनी मेहनत का खाता है। मुझे किसी से बात करने की कोई आवश्यकता नहीं है ,रंजन का फोन आता है, तो उठाना ही पड़ जाता है ,कभी -कभी तो मैं उठाती भी नहीं ,यदि तुझे इतनी ही परेशानी है तो अपने पति का ख़्याल रख ,क्यों उसे इधर -उधर भटकने देती है ?'शक्ल नहीं है ,तो अकल से तो काम ले सकती है, कहकर नित्या ने फोन काट दिया।
नित्या के मुख से ऐसे तीखे शब्द सुनकर ,शिल्पा बुरी तरह तिलमिला गई ,मन में तो आया इस फोन को उठाकर फ़ेंककर मारे..... गुस्से से चिल्लाई -इसका आदमी चार पैसे क्या कमाने लगा ?इसके तो जैसे पंख ही निकल आये हैं ,खुद को भी बॉस ही समझने लगी है। अब तक यहाँ रहकर हमारे टुकड़ों पर पलती थी और हमारी जी हुजूरी करती थी किन्तु आज इसके तेवर देखो !क्रोध से उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
शिल्पा के चिल्लाने की आवाज सुनकर कल्याणी जी आईं -क्या हुआ ?कहते हुए शिल्पा के कमरे में प्रवेश किया ,शिल्पा की हालत देखकर पूछा -क्या हुआ ?तू रो क्यों रही है ?क्या रंजन से झगड़ा हुआ ?उसने कुछ कहा ,कहते हुए उसके क़रीब आकर बैठ गयीं और पूछने लगीं किन्तु शिल्पा तो जैसे शून्य में देख रही थी ,ऐसा लग रहा था ,उसके कानों में कल्याणी जी की आवाज जा ही नहीं रही है।
अब कल्याणी जी ने उसके करीब बैठकर उसके आंसू पूछे, उसके सिर पर हाथ फेरा और उसे विश्वास में लेते हुए, उससे पूछा - अभी तक तो तू खुश नजर आ रही थी फिर अचानक क्या हो गया ? तू चिल्लाई क्यों थी ? उनके मन में जो भी प्रश्न आ रहे थे, वो, उससे पूछे जा रही थीं।
तब शिल्पा बोली -मम्मी ! मेरी जिंदगी नरक बन गई है , मैं किसी के लिए भी अच्छा सोचती हूं वह मेरे लिए अच्छा नहीं करता या सोच सकता, क्या मैं रंजन की परवाह नहीं करती, उसका ख्याल नहीं रखती।
तुझे उसका ख्याल रखने की क्या आवश्यकता है ? उसका ख्याल तो नौकर रख लेते हैं, वह कोई दूध पीता बच्चा नहीं है, समझदार है ,इंजीनियर है, पढ़ा- लिखा है। जवां मर्द है, अपना ख्याल स्वयं रख सकता है तुम्हें तो जीवन में आगे बढ़ना है। तू अपने व्यापार के विषय में सोच रही थी उसी में आगे बढ़ना है तो फिर यह सब क्यों ? क्या तुझसे किसी ने कुछ कहा है।
वह नित्या..... ! कहते हुए शिल्पा रोने लगी और बोली -मेरा पति, मुझसे बातें नहीं बताता है और उससे बातें करता है।
