Khoobsurat [part 84]

शिल्पा को रंजन पर शक हो जाता है ,कुछ तो है ,जो वो मुझसे छुपा रहा है , तब एक दिन मौका देखकर शिल्पा चुपचाप रंजन का फोन उठाकर,बाहर ले आती है।  रंजन ने, फोन में पासवर्ड लगाया हुआ था,यह देखकर ही शिल्पा को उस पर क्रोध आता है ,और मन ही मन बुदबुदाती है -जब मन में कोई पाप नहीं तो फिर इस'' पासवर्ड ''की क्या आवश्यकता थी ?

 इससे पहले भी शिल्पा ने एक दो बार रंजन से फोन मांगने का प्रयास किया था लेकिन रंजन उन बातों को टाल गया था किंतु अब शिल्पा को लगता था , मैंने इसकी नौकरी छुड़वाने के लिए जितना परिश्रम किया, उससे कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि उसकी सोच ही बदल गई है या पहले से ही ऐसी थी। एक दिन रंजन  अपने फोन का पासवर्ड लगा रहा था, तब शिल्पा आईने के सामने खड़ी हुई बाल बनाने का अभिनय कर  रही थी और रंजन को देख पा रही थी , तिरछी नजरों से शिल्पा ने देखा और उसे किसी कॉपी पर लिखकर छुपा दिया।


 

आज उसे मौका मिल ही गया, उसने रंजन का फोन उठाया और चुपचाप फोन उठाकर बाहर आ गई, जब उसने फोन खोल कर देखा -उसमें एक नाम ऐसा था जिस पर उसने कई बार फोन किया है - सुंदर साली ! इसका मतलब वह नित्या से अक्सर बातें करता है, हो ना हो, वह नित्य के संपर्क में रहता है। मुझसे  तो आज तक नित्या ने कोई बात नहीं की,वो, इससे ही क्यों बातें करती है ?

 जब शिल्पा ने अपने नंबर को देखा और उसमें अपना नाम देखा, तो बुरी तरह से उसके तन- बदन में आग लग गई ,''जी का जंजाल '' इस नाम से उसने शिल्पा का नंबर 'सेव' किया हुआ था। ऐसा नहीं, कि रंजन ने शुरू में ही शिल्पा का ये नाम रखा था, जब रंजन को उसके व्यवहार,उसकी सोच से दुःख हुआ ,जब वो उसकी हरकतों के कारण परेशां हो गया था ,तब एक दिन क्रोध में उसने, शिल्पा का नाम बदलकर 'जी का जंजाल ''रख दिया था।

एक तो शिल्पा ,रंजन को पहले से ही पसंद नहीं थी ,ऊपर से उसका व्यवहार उसे परेशान किये दे रहा  था।सबसे ज्यादा उसके व्यवहार में बदलाव तब आया ,जबसे शिल्पा, नित्या के घर से आई थी ,तब से न जाने उसके मन में क्या द्व्न्द चल रहा था ? देर -सबेर उसे फोन करके पूछती -कहाँ हो ? क्या कर रहे हो ? प्रमोद जीजा जी से दूर ही रहना ,तुम, उनसे किसी भी तरह से कम नहीं हो। कभी कहती -नौकरी छोड़ दो !  

शिल्पा ,बहुत देर तक क्रोध की अग्नि में जलती रही, उसे बहुत क्रोध आ रहा था,वह बहुत देर तक बाहर ही  टहलती रही ,ये मर्द जाति धोखेबाज़ ही है और रहेगी ,मैं इसके और अपने जीवन के अच्छे के लिए ,रात -दिन एक करके, इसके लिए अच्छा सोच रही थी और ये मुझे 'जी का जंजाल' समझे बैठा है। एकाएक उसे कुमार की याद हो आई ,वो तो उसका पहला प्यार रहा है किन्तु उससे भी वो अपनापन और विश्वास नहीं मिल पाया। नित्या का पति इसका बॉस बना बैठा है ,मैं तो सोचती थी -'ये और तरक्क़ी करें , आगे बढ़े किन्तु अब इससे वफ़ादारी की, क्या उम्मीद कर सकती हूँ ?

रह -रहकर शिल्पा को अपना प्यार, अपना व्यवहार स्मरण हो रहा था ,मैंने इसके साथ ऐसा क्या बुरा कर दिया ? मैं इसको एक बड़े इंसान [पैसे वाला ]के रूप में देखना चाहती थी किन्तु इसने कभी मेरी परवाह करना तो दूर, इसने कभी मुझे समझने का प्रयास ही नहीं किया। आज तक कभी ये नहीं पूछा - मेरी शिल्पा ,तुम क्या सोच रही हो,क्या चाहती हो ? मुझसे अलग -थलग सा घूमता रहता है ,इसके लिए मैंने क्या -क्या नहीं किया ?इसके उस छोटे से किराये के मकान में रही ,इसके लिए व्यापार की योजना बना रही थी और ये मेरी बहन से मेरी बुराइयां करता होगा किन्तु इतने फोन ?? ये भी तो हो सकता है ,दोनों के बीच कुछ चल रहा हो ,वो तो है ही ऐसी ,अपनी सुंदरता के कारण ,लोगों को मोह लेती है। न जाने, कितने अच्छे -बुरे विचार आ जा रहे थे ?सोच -सोचकर दिमाग फटने लगा। 

तब वह कमरे के अंदर गयी और चुपचाप रंजन का फोन वापस उसी स्थान पर रख दिया। रंजन और शिल्पा एक -दूजे से रिश्ते में बंधे हैं किन्तु दोनों के विचारों और सोच में जमीन -आसमान का अंतर् है। शिल्पा की दृष्टि से देखा जाये तो वो भी गलत नहीं है ,अपने पति को ऊंचाइयों पर देखना चाहती है। वहीं रंजन अपनी ज़िंदगी में मस्त रहना चाहता है। अपनी मेहनत की कमाई में, सम्मान की ज़िंदगी जीना चाहता है। नित्या  अपनी दुनिया में सुकून से जीवनयापन कर रही है लेकिन कभी -कभी रंजन को, पूछने पर उचित परामर्श भी दे देती है किन्तु इन सभी रिश्तों के मध्य एक चीज और आती है ,जो इन रिश्तों को, सोच को बिगाड़कर रख देती है ,कई बार ज़िंदगी को ही तहस -नहस कर देती है। 

ऐसे रिश्तों के मध्य आती है ,ईर्ष्या और शक़ की भावना ,पति -पत्नी का एक -दूसरे पर विश्वास न होना ,खुलकर एक दूसरे से बातें न करना ,ये सब चीजें गलतफ़हमी पैदा करके रिश्तों में ज़हर  घोलती है और ये रिश्ते इन गलतफ़हमियों के चलते कहाँ से कहाँ पहुंच जाते हैं ? ख़ैर..... देखते हैं ,इनके रिश्ते में क्या होता है ?

 करवट बदलते हुए शिल्पा सोच रही थी- न जाने, वह नित्या से, इतनी बातें क्यों कर रहा है ,इसके जीवन में मेरा क्या महत्व है ? मुझसे तो ये भी नहीं बताया कि ये मेरी ही बहन नित्या से बातें करता है ,ऐसी क्या बातें करता होगा ? उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। इसका अर्थ है इसने, मुझसे क्या, मेरे पैसे के लिए विवाह किया था ? इस बात का तो पता लगाना ही होगा। इसके दिमाग में मेरी क्या इज्जत है, नित्या से यह इतनी बातें क्यों करता है ? जबकि यह जानता है कि नित्या को मैं, अब इतना पसंद भी नहीं करती। सोचते -सोचते ,करवट बदलते शिल्पा को न जाने कब नींद आई ?वो नहीं जानती। 

जब शिल्पा उठी ,तब सूरज काफी चढ़ चुका था, बिस्तर से उठी तो अभी भी उसे आलस्य आ रहा था ,सोकर उठने के पश्चात भी तन थका सा महसूस हो रहा था। कल्याणी जी उसे देखने के लिए, उसके कमरे में आईं और उसे जगे हुए देखकर वे बोलीं -  आज तो उठने में बहुत देर कर दी ,क्या बात है ? तबियत तो ठीक है ,कहते हुए वे उसके करीब आईं और उसके माथे पर हाथ रखा। यह देखने के लिए बुखार तो नहीं है और पूछा - क्या रात को ठीक से नींद नहीं आईं  ?

नहीं ,मम्मी ! रात में ठीक से नींद नहीं आई इसीलिए उठने में देरी हो गयी। उसका दिल तो कर रहा था कि वो अपनी मम्मी से गले लगकर अपने मन का दर्द कहे और इस दिल के बोझ को उतार दे किन्तु चुप रही। यह मेरी लड़ाई है ,मुझे ही संभालना होगा। 

 अगले दिन नित्या के पास एक फोन आया, नित्या ने नंबर देखा, और बोली -हेलो ! तुझे इतने दिनों के बाद, मेरी याद आ रही है , आज तक तो फोन नहीं किया आज कैसे याद किया ? अपनी ही धुन में वो बोले जा रही थी। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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