Qabr ki chitthiyan [part 52]

जब अनाया ने बताया,-' कि हवेली के दक्षिणी हिस्से में ,तो ''पंडित भुवनेश '' जाते हैं ,तो सभी को आश्चर्य होता है और दीप्ती उन्हें बताती है -पंडित जी तो इस हेवली के पुराने पंडित हैं ,वे अपराधी कैसे हो सकते हैं ?

रिद्धिमा ने उसे रोक दिया,और बोली- मैंने कब कहा ,कि वो अपराधी हैं ,सीधा अपराधी नहीं कह सकते  लेकिन उनका ,इस सबसे गहरा संबंध हो सकता है, उस कमरे में, एक बार फिर सन्नाटा छा गया ,सभी के मन मष्तिष्क में वह नाम गूंज रहा था  -पंडित भुवनेश ! जिनका नाम हवेली की शांति और संस्कारों से जुड़ा हुआ था जो दशकों से दीप्ती के परिवार की पूजा पाठ करवाते आए थे, उन पर शक होना ऐसा था जैसे हवेली की नींव को हिलाना । 


  रिद्धिमा ने अपने पास रखी सबूतों की फाइल खोली और बोलना शुरू किया -7 साल पहले इस हवेली  में  एक बूढ़ा चौकीदार रहता था जिसका नाम ''लालपाल ''था, उसने बताया था ''कि' पंडित भुवनेश' हर अमावस्या की रात्रि को चुपचाप हवेली के दक्षिण वाले हिस्से में जाते थे, उस हिस्से में क्या था ? किसी को कुछ पता नहीं क्योंकि 40 साल पहले उस हिस्से को बंद कर दिया गया था

अनाया  ने धीमे से आँखें बंद कर लीं—उसे पता था, कि उसके पास इन सब बातों का कोई  जवाब नहीं है।

रिद्धिमा ने अपनी जेब से एक पुरानी, लोहे की चाबी निकाली।चाबी की धारियों पर पिघली हुई मोम जमी हुई थी।

अनाया चौंक गयी,“ये… ये तो हमारे दक्षिणी हिस्से की चाबी है! लेकिन यह तो पापा के कमरे में रहती थी—”

“हाँ,” रिद्धिमा ने सहजता से कहा “और ये चाबी आज शाम ,मुझे कहाँ से मिली पता हैं ?

अनाया  चुप हो गई ।“तुम्हारी माँ— सुहासिनी— की पुरानी अलमारी के गुप्त खाने में।”

कबीर ने स्तब्ध होकर कहा—“मतलब… सुहासिनी आंटी ,इस चाबी और राजवीर अंकल के बीच का संबंध जानती थीं?”

रिद्धिमा की आँखों में वो साया उतर आया।“यही तो असली सवाल है।”रिद्धिमा ने एक छोटा-सा, फटा हुआ पन्ना आगे बढ़ाया,उस पर सिर्फ चार लाइनें लिखी थीं—लेकिन वे चार लाइनें मौत से भी अधिक तीखी थीं:“अगर मुझे कुछ हो जाए…तो सच तलाशना अनाया !तुम्हारे पिता…हवेली के पुराने अध्याय से जुड़े हैं।”

अनाया  यह पढ़कर लड़खड़ा गयी । दीप्ती  ने उसे पकड़ लिया,उसका चेहरा बिल्कुल सफेद पड़ चुका था।“माँ…”उसकी आवाज़ टूट चुकी थी। 

रिद्धिमा ने कहा—“राजवीर मल्होत्रा अपराधी हैं या नहीं—ये मैं नहीं कह रही।”

“लेकिन ये चिट्ठियाँ…साउथ ब्लॉक की चाबी…सुहासिनी आंटी की चेतावनी…और ‘R.M.’ के निशान…”उसने धीमे से कहा—“ये सब इस बात का इशारा कर रहे हैं कि राजवीर ने इस हवेली से कोई ऐसा सच छुपाया है… जो सुहासिनी जी की मौत की जड़ है।”

रिद्धिमा ने एक तस्वीर दिखाई,काली–सफ़ेद फोटो,लोगों की भीड़ में दो शख़्स खड़े थे —एक था पंडित ! भुवनेश,दूसरा—राजवीर मल्होत्रा।

दीप्ती चिल्ला पड़ी—“ये दोनों… एक साथ?!”

“हाँ,”रिद्धिमा की आवाज़ ठंडी थी।

“पंडित भुवनेश और राजवीर मल्होत्रा—पिछले 18 सालों से ‘सर्वज्ञ’ नाम की किसी छिपी हुई प्रथा से जुड़े हुए थे। ये प्रथा क्या थी—हम अभी नहीं जानते ”“लेकिन…”उसने गहरी साँस ली —“तीन हफ्ते पहले, जब पंडित भुवनेश मरने से पहले मुझे कुछ बताना चाहते थे… उन्होंने सिर्फ दो शब्द कहे थे—‘राजवीर… जानता था…’”अनाया  की रूह कांप गई।

राजवीर मल्होत्रा—जो खुद कभी हवेली के अंधेरों से दूर रहने की कोशिश करते थे,जो सुहासिनी की मौत के बाद पूरी तरह टूट गए थे,जो आज तक हवेली लौटने की हिम्मत तक नहीं कर पाए—उनका नाम इस पूरे खेल में सबसे बड़े संदिग्ध की तरह उभर आया था। 

रिद्धिमा ने कहा—“राजवीर अभी शहर से बाहर हैं,लेकिन इसी समय… मुझे उनके बैंक लॉकर के बारे में जानकारी मिली है।”

“उस लॉकर में क्या है?” गौरांश ने पूछा।

रिद्धिमा की आवाज़ सख्त हो गई—“पंडित भुवनेश ने अपनी डायरी में लिखा था—‘सर्वज्ञ’ की सबसे खतरनाक दस्तावेज़ी जानकारी… राजवीर के पास है।”

“मतलब—” दीप्ती  ने काँपते हुए पूछा,“राजवीर अंकल ही ‘सर्वज्ञ’ हैं?”

रिद्धिमा ने सिर हिलाया—“नहीं,अगर वो होते… तो पंडितजी उनके सामने झुकते नहीं,असल ‘सर्वज्ञ’ कोई और है।
लेकिन राजवीर उसके ‘तीन सबसे पुराने सेवकों’ में से एक थे।”अनाया यह सुनकर दहशत में बैठ गयी ।“अब हमें दो चीज़ें करनी होंगी,”

रिद्धिमा ने कहा—“1.अभी दक्षिणी हिस्सा खोलना—2. कल सुबह राजवीर मल्होत्रा का सामना करना— ।”

कबीर ने डरे स्वर में पूछा—“और अगर राजवीर अंकल सच में ही इस सबमें शामिल हुए तो …?”

रिद्धिमा ने ठंडे स्वर में कहा—“तो… हमें अपनी कहानी का सबसे काला अध्याय पढ़ना पड़ेगा।”फिर उसने धीरे से कहा—“सुहासिनी की मौत… आकस्मिक नहीं थी ,वह इस हवेली के ‘सर्वज्ञ’ नाम के अंधेरे की पहली शिकार थीं।”

अनाया के चेहरे पर आँसू बह निकले—लेकिन इस आँधी के सामने वह खुद को संभाल भी नहीं पा रहा था।“वो… पंडित भुवनेश नहीं हैं , लेकिन उनका इस सब से बहुत गहरा संबंध है। 

 गौरांश ने पूछा, “किन्तु वो हिस्सा तो अब भी सील ही है।”

रिद्धिमा ने सिर हिलाया, “नहीं… ‘ऊपर से’ सील है। किसी ने अंदर जाकर नहीं देखा? तुम ही बताओ !जब वो हिस्सा सील है ,तब पंडितजी अंदर कैसे जाते थे? उसके लिए एक ‘छुपा रास्ता’ है। यह बात मुझे ,उसी  'लालपाल'  चौकीदार ने मुझे बताई ।”

कबीर का दिल तेज़ी धड़कने लगा,“यानी कोई गुप्त कमरा अथवा रास्ता …?”

“हाँ,” रिद्धिमा बोली, “और चिट्ठियों का रहस्य उसी छुपे कमरे में छिपा है।”रिद्धिमा ने फाइल से एक पीली पन्नियों वाली डायरी निकाली।“ये डायरी भी मुझे उनकी कोठरी से मिली। इसमें भी यही नाम बार-बार लिखा है। ”

दीप्ती ने पूछा, “कौन-सा नाम?”

रिद्धिमा ने पन्ना पलटा और धीरे से पढ़ा—“सर्वज्ञ…”

कबीर ने माथा सिकोड़ा ,यार !“ये' सर्वज्ञ' कौन है?”

रिद्धिमा की आवाज़ में गहराई थी—“ये वही है… जो इस हवेली की असली कहानी का मास्टरमाइंड है। और शायद… जिसकी वजह से सुहासिनी जी की मौत हुई। और जिसकी वजह से ये चिट्ठियाँ आज तक आती रहीं।”रिद्धिमा ने डायरी के कुछ नोट्स सबके सामने रखे।“पंडितजी को ‘सर्वज्ञ’ नाम का कोई शख्स आदेश देता था— कि अमावस्या की रात वो दक्षिण वाले हिस्से  में मौजूद ‘क़ब्रिस्तान’ को जागृत रखे ताकि हवेली पर लगी एक प्राचीन प्रथा ज़िंदा बनी रहे।”

गौरांश ने आश्चर्य से कहा, “पर हवेली में क़ब्रिस्तान कहाँ है? ये तो किसी ने नहीं बताया।”

रिद्धिमा ने गहरी साँस ली—“दक्षिणी हिस्से में… जो 40 साल से बंद है। वहीं  असली क़ब्रिस्तान  है। शायद यही कारण है कि चिट्ठियाँ केवल रात को, और हवेली के एक ही हिस्से में मिलती थीं।”

“मतलब चिट्ठियाँ उसी क़ब्रिस्तान से भेजी जाती हैं?” कबीर  ने चौंककर कहा।

रिद्धिमा ने सिर झुकाया— उस क़ब्रिस्तान से या फिर उससे जुड़े किसी और स्थान से लेकिन एक बात तो स्पष्ट  है— पंडितजी ‘सर्वज्ञ’ के आदेशों का पालन कर रहे थे।”

दीप्ती ने पूछा—आखिर यह' सर्वज्ञ' कौन है ? कोई इंसान? कोई आत्मा?या फिर कोई संप्रदाय?”

रिद्धिमा ने उसी रहस्यमयी अंदाज़ में कहा—“ये पता लगाने के लिए तो हमें उस क़ब्रिस्तान में ही जाना होगा। चारों इस खुलासे से पहले ही हिल चुके थे, लेकिन असली झटका अभी बाकी था।


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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