शिल्पा और रंजन ,प्रमोद के यहाँ रात के खाने पर जाते हैं ,तब तक शिल्पा ये नहीं जानती थी कि वो नित्या के घर जा रही है। जब उसे प्रमोद साली साहिबा ! कहकर पुकारता है , तब भी ,शिल्पा नहीं समझ पाई ,उसने सोचा -शायद ,ये रंजन की बहन या फिर किसी रिश्ते में इसके जीजा होंगे किन्तु इन्होंने तो मुझे साली साहिबा कहा ,अभी वह यही सब सोच रही थी ,तभी अंदर से नाश्ते की ट्रे लेकर नित्या, उस लड़के के साथ आ खड़ी हुई और शिल्पा को देखकर मुस्कुराई।
नित्या को देखते ही ,शिल्पा के एकदम से जैसे गले में पानी अटक गया और खांसने लगी ,उसके मुँह से निकला -तुम यहाँ !!!
हाँ ,ये यहाँ नहीं होगी तो और कौन होगा ?मुस्कुराते हुए प्रमोद ने पूछा। क्या तुम जानती नहीं हो ? हमारा विवाह तुम्हारी बहन से ही हुआ है।
शिल्पा सोचने लगी ,मैं नित्या के विवाह में गयी तो थी किन्तु कुमार के कारण और रंजन को लेकर मन में बहुत उधेड़बुन चल रही थी ,मैने ध्यान ही नहीं दिया ,न ही,यह जानने का प्रयास किया कि नित्या का विवाह किससे हो रहा है ?क्या सोच रही हो साली साहिबा !आप हमारे विवाह में तो हमसे मिली नहीं थीं किन्तु हम आपके विवाह में अवश्य आये थे ,वो भी बारात की तरफ से.... आपको इस तरह हैरत में देखकर तो लग रहा है ,तुम इस विषय में कुछ भी नहीं जानतीं हो।
ये सब छोडो !दोनों बार ही ,आप लोगों का आमना -सामना नहीं हुआ ,किन्तु आज तो अच्छे से जान गए ,कहते हुए नित्या ने पूछा -चाय बनवाऊँ या भोजन लगवा दूँ ! बातों को टालते हुए नित्या ने पूछा।
शिल्पा देख रही थी ,नित्या ने अपने घर को कैसे अच्छे से संभाला है सुंदर और महंगी साड़ी पहनी है ,सुंदर तो ये पहले से ही है किन्तु अब तो अपने पति के साथ सुखपूर्वक रह रही है ,और भी रंग निखर आया है। रंजन की नजरें तो जैसे नित्या से हट ही नहीं रहीं थीं किन्तु सामाजिक मर्यादा के कारण,नजरें चुरा जाता बहाने से उसके नाश्ते ही प्रशंसा ,उसके घर की प्रशंसा करते हुए उसकी तरफ देख लेता।
यह जानते हुए भी कि रंजन मुझे पसंद करता है किन्तु नित्या ने उससे ऐसा ही व्यवहार किया जैसे घर में आये मेहमान से करते हैं ,वह नहीं चाहती थी कि किसी भी बात से नित्या को लेकर, प्रमोद या शिल्पा के मन में कोई भी गलतफ़हमी पैदा हो। अब चाय क्या ,सीधे भोजन ही कर लेंगे ,रंजन ने जबाब दिया। नित्या मुस्कुराकर रसोईघर में चली गयी।
अब शिल्पा का, रंजन के बॉस से मिलने का उत्साह ठंडा पड़ गया था। उसे अपने गहने और साड़ी भारी लगने लगे थे ,नित्या के सामने अपने को छोटा महसूस करने लगी थी। मेरा पति इसके पति के नीचे काम करता है ,देखो ! कितना खुश होकर खा रहा है ,तिरछी निगाहों से रंजन को घूरने लगी किन्तु रंजन मन ही मन बहुत प्रसन्न था। उसे नित्या का साथ भले ही कुछ समय के लिए हो ,अच्छा लग रहा था।
शिल्पा का उतरा हुआ चेहरा देखकर ,नित्या ने देखकर भी नजरअंदाज किया क्योंकि वो जानती थी ,शिल्पा के अहम को चोट पहुंची है , नित्या ने भोजन भी शिल्पा की पसंद का ही बनाया था फिर भी शिल्पा के चेहरे पर प्रसन्नता अथवा प्रशंसा का कोई भाव नहीं था।
जब प्रमोद ने शिल्पा की तरफ देखा तो उससे रहा नहीं गया और उसने पूछ ही लिया -साली साहिबा !क्या कुछ बात है ?क्या रंजन ने कुछ कहा।
नहीं ,नहीं तो....
क्या भोजन अच्छा नहीं लग रहा ,किन्तु इसमें हमारा कुछ दोष नहीं है, तुम्हारी बहन ने ही बनाया है ,अब ये तो तुम दोनों बहनें ही जानो !कहते हुए हंसा।
नहीं, खाना बहुत अच्छा बना है ,हमने तो अभी तक अपनी पत्नी के हाथ का भोजन किया ही नहीं है ,ये कैसा भोजन बनाती हैं ?अभी स्वाद का ही पता नहीं चला है ,कहते हुए रंजन हंसने लगा।
उसको हँसते देखकर शिल्पा ने उसे घूरा और अपनी बात बड़ी करने के लिए बोली -मुझे खाना बनाने की क्या आवश्यकता है ,जब घर में नौकर हैं ,उनको किसलिए रखा है ?
वो तो तुम्हारे पापा के नौकर हैं,रंजन ने कहा।
अपनी आँखों को सिकोड़कर उसकी तरफ देखती है और बोली -तुम्हें भोजन तो मिल रहा है ,मजदूरी करने भूखे तो नहीं जाते ,मुँह बनाते हुए चिढ़कर शिल्पा बोली, उसका चेहरा देखकर रंजन चुप हो गया।
शिल्पा ने जो रंजन को कहा, प्रमोद को अच्छा नहीं लगा ,वो समझ नहीं पाया ये इस तरह का व्यवहार क्यों कर रही है ?किन्तु इतना अवश्य समझ गया कि शिल्पा की नजर में , रंजन के काम का कोई मूल्य नहीं है ,तब प्रमोद ने कहा -शिल्पा !तुम ऐसा क्यों कह रही हो ?क्या तुम्हें ये मजदूर लगता है ? ये बहुत मेहनती और ईमानदार कार्यकर्ता है। वो अपने घर आये मेहमान का अपमान भी नहीं करना चाहता था। बात का रुख बदलते हुए ,तब वो बोला -हमारी श्रीमति जी ,नौकर होने के बावजूद भी बहुत अच्छा खाना स्वयं ही बनाती हैं। हमने मना भी किया ,इतना काम मत किया करो ! किन्तु ये सब चीजें अपने ही हाथों से करती हैं।
इसे तो घर के कामों की आदत है ,पहले अपने घर में करती थी ,कुछ दिन हमारे यहाँ भी किया ,अब यहाँ कर रही है ,शिल्पा को जैसे अपने मन की भड़ास निकालने का मौका मिल गया ,मुस्कुराते हुए उसने अपने मन की कड़वाहट अपने शब्दों से बयान कर दी ,उसने यह ख़्याल भी नहीं रखा ,नित्या उससे उम्र में बड़ी है और अब वो शादीशुदा है।
काम करना अच्छी बात है ,काम से कोई छोटा या बड़ा नहीं होता ,मैं इनके काम और इनके परिवार के प्रति उत्तरदायित्व और लग्न का सम्मान करता हूँ।
अच्छी बात है ,आप इसे सम्मान देते रहिये और ये इसी तरह काम करती रहेगी कहकर शिल्पा व्यंग्य से मुस्कुरा दी।
भोजन के पश्चात ,नित्या अंदर गयी ,तभी शिल्पा भी रंजन और प्रमोद से बोली -मैं अभी आई ,कहकर वो अपने स्थान से उठी और नित्या को ढूंढते हुए ,उसके कमरे में पहुंच गयी। जाते ही पूछा -क्या तुम जानती थीं ,कि रंजन का बॉस तुम्हारा पति है ?
पहले तो नहीं जानती थी किन्तु तुम्हारे विवाह में ही मुझे भी पता चला, कि ये एक -दूसरे को जानते हैं।
अब तुम तो बड़ी खुश होंगी ,तुम्हारा पति रंजन का बॉस है, तभी तुमने, इसी कारण रंजन से मेरा विवाह करवा दिया।
ये तुम कैसी बातें कर रही हो ? मैं, तुम्हारा विवाह रंजन से करवाने वाली कौन होती हूँ ? बुआ जी ने करवाया है,तुम सबकी पसंद रंजन ही था ,ख़ैर.... ये सब छोडो ! ये तो अच्छी बात है , दोनों के पति एक -दूसरे को जानते हैं और हम लोग इस कारण से एक -दूसरे के करीब रहेंगे।
तुम रहो !एक -दूजे के साथ ,तुम तो खुश हो रही होंगी ,मेरा पति तुम्हारे पति की जी हुजूरी करेगा ,और यही सब दिखाने के लिए ही तुमने मुझे खाने पर बुलाया होगा ,ताकि तुम मुझे, मेरी औकात दिखा सको ! भड़कते हुए शिल्पा बोली।
