शिल्पा की दोस्त ,उसकी ममेरी बहन नित्या को जब मालूम पड़ता है ,शिल्पा गुमशुदा है ,मिल नहीं रही है और रंजन भी अब इस दुनिया में नहीं रहा ,तब वह इंसानियत के नाते अपनी बुआ कल्याणी से मिलने आती है किन्तु उसको देखते ही कल्याणी जी का क्रोध बढ़ गया और वो शिल्पा की ज़िंदगी में आये भूचाल का ज़िम्मेदार वे नित्या को ही समझती हैं। दरअसल हुआ यूँ था,नित्या को शिल्पा के विवाह में ही पता चल गया था कि उसका पति प्रमोद ही ,शिल्पा के होने वाले पति' रंजन' का बॉस है ,जब उसे यह बात पता चली ,तो उसने इस बात का ज़िक्र किसी से भी नहीं किया।
क्योंकि नित्या जानती थी,भले ही कल्याणी जी उसकी बुआ हों और शिल्पा उसकी बहन किन्तु उनका अहंकार इतना बड़ा है कि वे यह बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी कि मेरे पति के सामने, उसका पति अपनी कुर्सी छोड़ उठ खड़ा हो। पैसे के बल पर वे अपने को सबसे आगे समझती हैं ,बात भी सही है ,अन्य बहनों और भाइयों में इनका रुतबा उम्र और रिश्ते से ही नहीं, पैसे से भी बड़ा रहा है। सभी उनका कहा मानते हैं ,इसी के चलते अब उनकी बेटी को भी यही लगता है ,हमारी कोई बराबरी नहीं कर सकता, वो भी अपने को बड़ा समझती है ,वो तो उसकी हीनभावना के चलते ,अपने मन के भावों को दबाये रखती थी किन्तु जैसे ही उसका विवाह रंजन से हुआ,उसका अहंकार अपने असली रूप में ,कभी उसके व्यवहार में, तो कभी शब्दों से छलकने लगा।
हनीमून के लिए ,मम्मी -पापा ने यूरोप ट्रिप पर भेजा ,जहां से वो एक महीने में आई ,कुछ दिनों तक वही खुमारी रही ,रंजन अब अपने काम पर आने लगा ,प्रमोद जानता था -रंजन का विवाह ,मेरी ही रिश्तेदारी में हुआ है और मेरे दफ्तर में काम भी करता है ,इसी नाते उसने रंजन को एक दिन खाने पर बुला लिया और रंजन ने भी इंकार नहीं किया। रंजन ये नहीं जानता था ,कि शिल्पा को यह मालूम नहीं है कि नित्या का पति कौन है ?न ही उसने बताना उचित समझा ,उसे तो बस एक झलक नित्या को देखना था।
आज शाम को तैयार हो जाना ,रंजन ने शिल्पा से कहा।
क्यों ?कहीं घूमने जाना है ?
हाँ ,मेरे बॉस ने हमें, खाने पर बुलाया है।
ओह !अच्छा ,मैं आज पॉर्लर जाउंगी ,तुम्हारे बॉस को भी तो पता चलना चाहिए ,तुम्हारा विवाह किससे हुआ है ?
किससे हुआ है ?उसके नजदीक आकर रंजन ने पूछा।
क्या तुम नहीं जानते ?मुस्कुराते हुए शिल्पा ने पूछा।
मैं तो तुम्हें जानता हूँ और तुम्हारा नाम शिल्पा है और तुम एक कलाकार हो।
बस इतना ही ,तुमने मेरे पापा की पहुंच नहीं देखी ,जैसा घर हमारा है ,ऐसा क्या तुम्हारे बॉस घर होगा ?हमारे जैसी शानोशौक़त, क्या तुम्हारे बॉस की होगी ?भले ही तुम उनके नीचे काम करते हो ,किन्तु कभी भी उससे अपने को कम मत आंकना।
रंजन ने महसूस किया ,शिल्पा के अंदर अपने पिता की सम्पत्ति पर उसे बहुत अहंकार है ,तब वो बोला -ये सब तुम क्या कह रही हो ? हम वहां उन्हें अपना स्तर दिखाने नहीं जा रहे हैं ,उन्होंने हमें रात के खाने पर बुलाया है और वहीं जा रहे हैं। तुम वहां कुछ भी ऐसी बात मत करने लगना जिससे उन्हें लगे तुम उन्हें नीचा दिखाना चाहती हो। कभी -कभी तुम्हें देखकर लगता है ,क्या तुम वही कोमल ह्रदया,अंदर ही अंदर परेशान सी दिखने वाली शिल्पा हो या फिर एक अहंकारी लड़की !
इसमें अहंकार कैसा ? मैं तो आपके लिए ,अच्छे से तैयार होकर जाना चाहती हूँ ,जिसके पास जो है ,वो तो स्वतः ही छलक जाता है। बड़े लोगों की बातें भी बड़ी ही होती हैं किन्तु कुछ नासमझ लोग इसे अहंकार समझ बैठते हैं ,तब इसमें मेरी क्या गलती है ?
वो एक अलग बात है ,तुम्हारा ऐसा व्यवहार और तुम्हारी ऐसी सोच ,मैंने तुममें शादी से पहले नहीं देखी थी इसीलिए कहा।
जीवन में परिवर्तन आया है तो क्या विचारों में नहीं आएगा ?वैसे पापा का जो कुछ भी है ,वो हमारा ही तो है।
वो तुम्हारे पापा का है ,किन्तु अब तुम मेरी पत्नी हो ,मैं उतना बड़ा तो नहीं हूँ ,जो अहंकार आ जाये,जो भी हूँ ,अपनी स्थिति से संतुष्ट हूँ। तुम्हारे पापा ने हमारे हनीमून के लिए इतना खर्चा किया, मुझे अच्छा तो नहीं लगा किन्तु तुम्हारी ख़ुशी के लिए ,मैंने वो सब स्वीकार किया।
नहीं, ऐसा नहीं है ,तुम भी'' यूरोप ट्रिप'' पर जाना चाहते थे।
जाना तो चाहता था किन्तु अपने पैसों से ,किन्तु उसके लिए समय लगता इसीलिए मैंने सोचा क्यों तुम्हारी ख़ुशी को, तुम्हारे सपने को, बर्बाद किया जाये किन्तु अब तुम मेरी पत्नी हो ,पापा के पैसों पर नजर मत रखना। अभी मैं जा रहा हूँ ,शाम को चलते हैं ,तुम तैयार रहना।
रंजन तो चला गया ,मन ही मन शिल्पा सोच रही थी ,न जाने ऐसे कितने आदर्शवादी आये ?कोई कुछ नहीं कर पाया ,अभी नई -नई बात है ,मैं ज्यादा दिनों तक यहां नहीं रहूंगी,इस छोटे से घर में मेरा दम घुट रहा है ,नहीं मानेगा तो कहूंगी -मेरे पिता के जितना बड़ा घर बनवा लो !
शाम को शिल्पा बहुत अच्छे से तैयार होकर रंजन के साथ चल दी ,उसने पूछा भी नहीं उसका बॉस कौन है कैसा है ? उसने सोचा था - बॉस है ,उसकी बीवी से मैं भी कम नहीं दिखनी चाहिए। उसकी तो कोठी होगी ,रहन -सहन भी अच्छा होगा। मन में न जाने कितनी भ्राँतियाँ पाल ली थीं ?
कुछ देर के पश्चात वे लोग ,किसी कोठी में नहीं ,वरन एक अपार्टमेंट के सामने रुके ,क्या तुम्हारे बॉस यहाँ रहते हैं।
हाँ ,क्यों, क्या ये जगह ठीक नहीं है ?
नहीं, ठीक है ,कहकर वो आगे बढ़ चली अब उसकी चाल में आत्मविश्वास कुछ अधिक ही झलक रहा था तीसरी मंजिल पर पहुंचकर वो एक फ्लैट के सामने रुके और दरवाजा खटखटाया ,कुछ ही पलों में दरवाजा खुल गया। अरे तुम लोग आ गए ,स्वागत है ,इस जोड़ी का..... कहकर प्रमोद ने उनका स्वागत किया। मुस्कुराते हुए ,दोनों अंदर आये ,चारों तरफ देखते हुए ,शिल्पा आगे बढ़ रही थी ,फ्लैट दो कमरों का था ,साफ -सुथरा सुसज्जित ,शिल्पा को अच्छा लगा। कुर्सी पर बैठते हुए बोली -आपने हमें ही बुलाया है ,क्या और लोगो को नहीं बुलाया।
अरे, साली साहिबा !तुम लोगो का ही तो विवाह हुआ है ,दावत तो तुम्हें देनी थी तब, अन्य किसी को क्यों बुलाना ?अंदर से एक लड़का पानी के गिलास लेकर बाहर आया और उनसे नमस्ते कर पानी देकर चला गया।
किन्तु प्रमोद ने जब शिल्पा को साली साहिबा कहकर पुकारा तो.... उसका माथा ठनका और उसने प्रमोद की तरफ देखा और पूछा - आप मुझे साली साहिबा क्यों कह रहे हैं ?
उसकी बात सुनकर प्रमोद हंसा ,और बोला -अच्छा मज़ाक कर लेती हो ,तुम हमारे विवाह में आईं ,हम तुम्हारे विवाह में गए और अभी तक हमारा परिचय ही नहीं हुआ ,ये तो कमाल हो गया ,रंजन से पूछा -क्या तुमने इन्हें बताया नहीं कि तुम्हारा बॉस और कोई नहीं तुम्हारा जीजा है।
