कल्याणी जी को इस बात का दुख था, उनके दामाद की हत्या तो हुई ही है, साथ ही साथ बेटी का भी कुछ पता नहीं चल रहा है उनके इस केस की छानबीन इंस्पेक्टर तेवतिया कर रहे थे। कुछ दिनों के पश्चात इंस्पेक्टर तेवतिया कल्याणी जी की कोठी पर आते हैं, और आते ही उनसे प्रश्न करते हैं -आपकी बेटी कहां है ?
इंस्पेक्टर !यह आप कैसी बातें कर रहे हैं ? मेरी बेटी कहां हो सकती है ?वह तो आप बताएंगे , उसको ढूंढ कर लाने का कार्य आपका है।
हम अपना कार्य जानते हैं , हमें लगता है -आपके दामाद का कत्ल , आपकी बेटी ने ही किया है, उनकी बात सुनकर एकाएक कल्याणी देवी कुर्सी से उठ खड़ी हुई और बोलीं -यह आप कैसी बातें कर रहे हैं ? आप मेरी बेटी को हत्यारिन साबित करना चाहते हैं, एक तो मेरी बेटी का घर उजड़ गया, ऊपर से आप उस पर, उसके पति की हत्या का आरोप लगा रहे हैं।
आप शांत हो जाइए ! इंस्पेक्टर ने इत्मीनाम से कुर्सी पर बैठते हुए कहा - हमने आपके दामाद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखी ,उसके अनुसार उसकी हत्या किसी चाकू या पिस्तौल की गोली से नहीं हुई है बल्कि उसकी हत्या एक पेंटिंग के नाइफ से हुई है और आप जानती हैं कि ऐसे नाइफ का प्रयोग कौन करता है ? उस चाकू से उसकी गले की नस काटी गई थी, जिसके कारण आपके दामाद की मौत हो गई।
आप यह सब अंदाजा लगा रहे हैं , मेरी बेटी, ऐसा कर ही नहीं सकती, वह भला अपने पति को क्यों मारेगी ? वह तो उससे बहुत प्यार करती है।माना कि उसकी मौत चित्रकारी के नाइफ़ से हुई है किन्तु इसका अर्थ यह तो नहीं ,मेरी बेटी ने ही उसका खून किया है ,हो सकता है ,उस समय हत्यारे के हाथ में वही नाइफ आया हो और उसने मेरे दामाद पर हमला बोल दिया हो।
देखिए ! हम अपनी तहकीकात कर रहे हैं, अभी तक हमें जो सबूत मिले हैं, उसके आधार पर हम कह सकते हैं, यह हत्या शायद आपकी बेटी से ही हुई है और इसी डर के कारण वह कहीं जाकर छुप गई है।
मैं ऐसा मान ही नहीं सकती, कल्याणी जी में विश्वास के साथ कहा।
अच्छा यह बताइए ! यदि आपकी बेटी ने हत्या नहीं की है, तो वह कहां है ? कहां छुपी हुई है ? उसे एक बार तो अपनी मां को फोन करना चाहिए था बल्कि उसने अपने फोन को बंद किया हुआ है ताकि किसी को भी उसका पता न चल सके।
यह आप कैसी बात कर रहे हैं,उसके फोन की बैटरी भी तो ख़त्म हो सकती है ,नाराज होते हुए कल्याणी जी ने कहा - यहआपकी कैसी तहकीकात है ? आपको अपराधी नहीं मिल रहा है, तो आपने मेरी बेटी पर ही इल्जाम लगा दिया। हो सकता है, मेरी बेटी, किसी मुसीबत में फंसी हो।उसका पता लगाने की बजाय ,आप उसी पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं।
वही तो हम पता लगाना चाहते हैं, सहजता से इंस्पेक्टर ने कहा - अब आप हमें, यह बताइए ! क्या आपकी बेटी की जिंदगी में कोई और था ?
कल्याणी देवी को इंस्पेक्टर की बात भी बेतुकी लगी और बोली -आप कुछ भी अंदाजा लगा रहे हैं, मेरी बेटी का किसी से ऐसा कोई भी संबंध नहीं था,उसकी ज़िंदगी में रंजन के सिवा कोई इंसान नहीं था,ये भी उनकी 'लव मैरिज ' है। दोनों एक -दूसरे को पसंद करते थे।
तब आपके दामाद का तो, किसी से कोई संबंध नहीं था।
आप फिर से वही राग अलाप रहे हैं, मेरे दामाद का यदि किसी से संबंध होता, तो वह मेरी बेटी से विवाह क्यों करता ? अभी उनके विवाह को ज्यादा समय की कहां हुआ है ? कि वह किसी और लड़की के चक्कर में पड़ता। मुझे लगता है, आपको इसकी छानबीन ठीक से करनी चाहिए और आप जो भी कुछ सोच रहे हैं -वह सब गलत है ,न ही मेरी बेटी का किसी से कोई संबंध है और न ही, मेरे दामाद का। दोनों आपस में खुश थे, अपनी पसंद से शादी की है।
फिर रंजन की हत्या का क्या कारण हो सकता है ? देखिये !यदि आपको कुछ भी पता है तो हमें बता दीजियेगा ताकि हम इस केस को शीघ्र अति शीघ्र सुलझा सकें। यही हम जानना चाहते हैं, खैर! अभी हम चलते हैं, आवश्यकता पड़ी तो आपको फिर से कष्ट देंगे। कहते हुए, इंस्पेक्टर अपनी टीम के साथ बाहर आ गए।
तब वो बोले - यहां के आसपास के जितने भी कैमरे हैं, उनको छान मारो ! कुछ तो पता चलेगा।
कुछ देर पश्चात ही, इंस्पेक्टर तेवतिया और उनके टीम के सदस्य, वहां के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देख रहे थे। उन्होंने देखा, मेहता साहब के घर के सामने से, कोई शॉल ओढ़कर निकली जा रही है , किंतु यह अनुमान लगाना मुश्किल है, कि वह शिल्पा ही है या कोई और है। शाल से अपने तन को और चेहरे को ढका हुआ था और पैदल ही जा रही है। उसके पश्चात तो कोई भी आता जाता उधर से नहीं दिखलाइ नहीं दिया।
कल्याणी देवी जी, बार-बार अपने फोन की तरफ देख रही थी शायद बेटी का कोई फोन आ जाए , उन्होंने स्वयं भी उसे कई बार फोन किया लेकिन फोन बंद ही आ रहा था। न जाने कहां गई होगी ?वे चिंतित थीं। रंजन के मरने की और शिल्पा की गायब होने की बात, जब नित्या को पता चली तो वह अपनी बुआ से मिलने आई किंतु उसे देखते ही कल्याणी देवी जी का मुंह बन गया और गुस्से से बोलीं -अब तुम यहां क्या लेने आई हो ? मेरी बेटी का तो सब कुछ बर्बाद हो गया।
बुआ जी !आप यह कैसी बातें कर रहीं हैं ? उसकी बर्बादी में मेरा कोई हाथ नहीं है।
तू तो, अभी यहां तमाशा देखने आई होगी , जब तुझे मालूम था, रंजन तुझे पसंद करता है, और तुझसे ही मिलने आता था फिर तूने यह बात हमसे क्यों छुपाई ?
मैं तो शिल्पा का भला ही करती थी ,उसकी भलाई और उसी के लिए सब किया,जब मुझे यह बात पता चली तो मैं तुरंत ही अपने घर चली गई थी, मैं जानती थी ,कि शिल्पा उसे पसंद करती है इसलिए मैं उन दोनों के बीच नहीं आई।
जब बीच में आ जाती,तो इस तरह उनकी जिंदगी बर्बाद तो नहीं होती। तू क्या समझती है? कि हम यह सब तेरा त्याग समझेंगे, कि तूने मेरी बेटी के लिए बहुत बड़ा त्याग किया है , उसे कोई और मिल जाता , बाद में यह बात पता चलने पर हमें तूने कौन सी खुशी दे दी ?
नित्या उनसे कहना चाहती थी -बुआ जी! मैंने तो उसके अच्छे के लिए ही सोचा था किन्तु उसे लग रहा था ,वो कितनी भी सफाई दे दे !और अपना बचाव पक्ष रखे ,इन्हें नहीं मानना है तो नहीं मानेंगी। नित्या को शांत देखकर वे और भड़क गयीं और बोलीं -ये तूने अच्छा किया ,रंजन के बॉस से विवाह करके हमने नीचा दिखाना चाहती थी।
तब मुझे क्या मालूम था ? वो रंजन के बॉस हैं।
