Khoobsurat [part 74]

कल्याणी देवी जी को पुलिस के द्वारा पता चला कि अब उनका दामाद इस दुनिया में नहीं रहा ,साथ ही यह जानकारी भी मिलती है,उनकी बेटी भी गायब है। उन पर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। अभी विवाह को दिन ही कितने हुए हैं और उनकी बेटी विधवा हो गयी और बेटी का भी कुछ पता नहीं।ऐसा कौन हो सकता है ?जिसने उनके साथ ऐसा किया। 

 बेटी के सुखी जीवन के लिए उन्होंने क्या कुछ नहीं किया ?वो जानती थीं ,उनकी बेटी इतनी सुंदर नहीं है ,बचपन से ही हीनभावना से ग्रस्त रही ,किन्तु औलाद कैसी भी हो ?अपनी औलाद तो हर माँ को प्यारी लगती है, इसीलिए जब रंजन ने उससे विवाह के लिए हाँ की, तो भगवान को प्रसाद चढ़ाने गयीं ,उनका धन्यवाद करने और उनसे बेटी के सुंदर भविष्य के लिए आशीष लेने गयीं थीं। 


दामाद रंजन को, किसी भी बात की कोई कमी न हो इसका उन्होंने विशेष ख़्याल रखा। बेटी सुख -सुविधाओं में पली है इसीलिए दिल खोलकर पैसा खर्चा किया यहां तक कि  उनके हनीमून का खर्चा भी स्वयं उठाया। कुछ दिनों से उनमें कुछ तो चल रहा था ?यही सोचकर उन्होंने इन बच्चों को किसी नई जगह पर रहने की सलाह दी थी ताकि स्थान और वातावरण के परिवर्तन से उनके विचारों में भी थोड़ा परिवर्तन आये और दोनों एक -दूसरे को समझने का प्रयास करें। 

 उन्हें अभी भी लग रहा था ,शायद बेटी यहीं -कहीं छिपी हो।तब वो एक नजर अपने दामाद को एक नजर देखने के बहाने, अपनी बेटी को भी ढूँढना चाहती हैं। 

 तब तक पुलिस वालों ने, रंजन को जमीन पर लिटा दिया था, कल्याणी जी ने दरवाजे के अंदर झांक कर देखा, दूर से ही देख पाई , अंदर जाने का साहस ही नहीं कर पाई और वहीं दरवाजे की चौखट पर बैठ गईं , ये कैसे हो गया, क्यों हो गया रोते हुए , बोल रही थीं , एकदम से उन्हें अपनी बेटी का ध्यान आया तब कटर स्वर में बोलीं  -इंस्पेक्टर साहब !मेरी बेटी को तो ढूंढिए ! कहीं उसके साथ भी तो उन हत्यारों  ने कुछ कर तो नहीं दिया है। 

हां, हम उसे ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं, लेडी कांस्टेबल मंजू ने आकर उन्हें ढाँढस बँधाया। अच्छा आप यह बताइए ! रंजन और शिल्पा के मध्य कैसा रिश्ता था ?

क्या मतलब ? पति-पत्नी का रिश्ता था, बाकायदा उनकी शादी हुई है।

  मेरे कहने का मतलब यह था कि उनका जो यह संबंध था उनमें किसी तरह की अनबन तो नहीं थी।

 अभी उनके विवाह को कितने दिन हुए हैं ? दो वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं। 

कोई बच्चा !

नहीं, अभी कोई बच्चा नहीं है। 

रंजन का परिवार कहां रहता है ? हमें उन लोगों को भी, सूचना देनी होगी,आप तो जानती ही है आप ही उन्हें यह सूचना दे दीजिए। 

 जी नहीं, मुझसे यह नहीं हो पाएगा मैं किस मुंह से उनसे कहूंगी- कि उनका बेटा ,अब इस दुनिया में नहीं रहा। मेरी बेटी के विवाह को दो वर्ष भी पूरे नहीं हुए और  विधवा हो गई और वह भी नहीं मिल रही है इंस्पेक्टर साहब ! आप मेरी बेटी को शीघ्र से शीघ्र ढूंढिए।

क्या आपकी बेटी ने आपको कभी कुछ नहीं बताया ?

वह मुझे क्या बताएगी, मेरी तो उससे बहुत दिनों से बात ही नहीं हुई थी ,पंद्रह  दिन पहले बात हुई थी तब तक तो सब ठीक था। 

अच्छा एक बात बताइए ! आपकी इकलौती बेटी है, आपकी अपनी कोठी है, तब यह लोग यहां रहने के लिए क्यों आए ?

हमारा जो कुछ भी है, मेरी बेटी और दामाद कहीं तो है किंतु मेरी बेटी, कुछ दिनों से अलग रहना चाहती थी, रोते हुए कल्याणी जी बोलीं। 

वह अलग क्यों रहना चाहती थी ? क्या उसे माता-पिता के साथ रहना पसंद नहीं था ?

ऐसा कुछ भी नहीं है, लेकिन वे दोनों थोड़े दिन एक दूसरे के साथ ही रहना चाहते थे , जैसे आजकल के बच्चे कहते हैं- कि उन्हें प्राइवेसी [एकांत ]चाहिए। 

आपके दामाद क्या करते हैं ?

रंजन पहले तो नौकरी करता था, किंतु जब उसने देखा, मेरी बेटी की पेंटिंग्स लाखों में जा रही हैं , तो वह   मेरी बेटी को पेंटिंग्स बनाने के लिए प्रोत्साहित करने लगा और बोला -यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं इन्हें ज्यादा से ज्यादा कीमत पर बेच सकूं। 

हम्म्म , इसका मतलब है, आपकी बेटी पेंटिंग बनाती थी और आपका दामाद  उनकी दलाली करता था। 

दलाल !यह शब्द कल्याणी जी को अच्छा नहीं लगा, वह बोली -इसमें दलाली कैसी है ? मेरी बेटी कला में निपुण थी और दामाद, उन्हें बेचना जानता था अब यह उनका अपना निजी व्यवसाय है इसमें हम क्या कर सकते हैं ? कहते हुए दूसरे कमरे में जाने लगीं ,उन्हें लग रहा था- शायद मेरी बेटी, डर के कारण कहीं छुपी बैठी हो। तभी एक'' आपातकालीन वाहन '' आया और रंजन के  मृत शरीर को ले गया। इंस्पेक्टर साहब जरा बताइए ! आखिर मेरे दामाद की मौत कैसे हुई, उसे क्या हुआ था?

देखने से तो लगता है , किसी ने बारीक और नुकीले हथियार को उनकी गर्दन में घौंप दिया जिसके कारण रक्त बहने से उनकी मृत्यु हो गई, वैसे वह हथियार अभी हमें मिला नहीं है और बाकी उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर पता चलेगा।

 इंस्पेक्टर साहब मेरी बेटी को तो ढूंढिए आखिर वह कहां गई है ?कहीं ऐसा तो नहीं, उन  हत्यारों  ने मेरे दामाद की हत्या कर दी और मेरी बेटी को उठाकर ले गए हों  

 हाँ यह संभावना हो सकती है किंतु बिना जांच पड़ताल के हम कुछ भी नहीं कह सकते। वैसे एक बात बताइये !उनका कोई दुश्मन था ,या फिर ऐसा कोई शख़्स जिस पर आपको शक लगता है कि उस व्यक्ति ने ऐसा कुछ किया होगा या कर सकता है। 

कल्याणी जी सोचने लगीं और बोलीं -मुझे तो ऐसा कोई व्यक्ति नहीं लगता जो मेरी बेटी और दामाद से द्वेष रखे ,भला उन्होंने किसी का क्या बिगाड़ा है ?कहते हुए जोर -जोर से रोने लगी। 

देखिये ! हम जानते हैं ,आपके परिवार के साथ ये दुःखद हादसा हुआ है ,हम अपराधी को उसकी जगह पहुंचाने पर पूरा -पूरा प्रयास करेंगे। इस केस के लिए हमें भी तो कहीं से शुरुआत करनी होगी ,इंस्पेक्टर को अभी तक कल्याणी जी से भी कोई क्लू नहीं मिला ,तब वो बोला -अगर आपकी बेटी का अपहरण हुआ है, तो फिर उसकी फिरौती के लिए आपके पास फोन अवश्य आएगा क्योंकि इस शहर में आप ही, इनके रिश्तेदार और माता-पिता है। ध्यान रखिएगा, जैसे ही उधर से कोई कॉल आता है आप हमें बता दीजिएगा !इंस्पेक्टर तेवतिया ने कोठी का ताला लगाया और बाहर निकल गया। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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