Khoobsurat [part 72]

कोठी नंबर 308 में एक महीने से युवा दम्पत्ति रह रहे थे ,किन्तु उन्हें दो दिन हो गए ,कोई दरवाजा नहीं खोल रहा ,यह बात उनके पड़ोसी कबीर मेहता को एक दूधवाले से पता चली। सभी को शंका होती है कि शायद उनके साथ कोई अनहोनी हो गयी है। तब सभी की सहमति से निर्णय लिया जाता है ,एक बच्चा उस घर के मुख्य द्वार को फांदकर उस घर के अंदर देखेगा ,वहां क्या हो रहा है ? अंदर पहुंचकर उस लड़के ने आसपास झांका , ताकि कोई खिड़की खुली हो ,तो वह अंदर देख सके कि वहां क्या हो रहा है ?

 वह आसपास घूमता रहा, तब वह एक खिड़की के पास पहुंचा तो चीख  पड़ा और दौड़ते हुए उन लोगों के पास आया और बोला -वहां अवश्य ही कुछ हुआ है ? खिड़की से एक आदमी दिख रहा है मैंने खूब शोर मचाया किंतु वह नहीं उठा रहा है, अवश्य ही यहां कुछ हुआ है। यह सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग अचंभित रह गए।

हम इस तरह किसी के घर में प्रवेश भी नहीं कर सकते हैं ,बच्चे ने जो देखा ,उसके आधार पर,ये कह सकते हैं घर में कोई तो है किन्तु वह उठ नहीं रहा ,कोई इतनी गहरी नींद तो नहीं सोयेगा। तब बाहर खड़े लोगों ने  सोचा कि हमें पुलिस को बुला लेना चाहिए। भीड़ में से तभी किसी ने पुलिस को फोन कर दिया।


 पुलिस के आते ही भीड़, उनके आसपास भीड़ एकत्रित हो गई और बोले -साहब !हमें लगता है यहां अवश्य ही कुछ घटित हुआ है, इन लोगों के विषय में हमें कुछ भी मालूम नहीं है।

 दो-तीन दिन के समाचार- पत्र भी पड़े  हुए  हैं , और दूध वाला भी, दो दिन से आकर वापस  जा रहा था किंतु किसी ने दरवाजा नहीं खोला। 

यहां कितने लोग रहते हैं ? इंस्पेक्टर तेवतिया ने पूछा। 

जी यहां पर दो लोग यानि पति-पत्नी ही रहते हैं। 

हो सकता है, वे लोग कहीं चले गए हों , घूमने भी तो जा सकते हैं।  

हम समझ रहे हैं ,आप क्या कहना चाहते हैं ?पहले हमने भी यही सोचा था किन्तु जब कोई अपना घर छोड़कर जाता है तो अपने अड़ोस पड़ोस में कहकर जाता है ,घर का ख़्याल रखना और दूध वाले से या अखबार वाले को भी मना करके जाता है किंतु उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है।आप ही देखिये !दरवाजा अंदर से बंद है ,बाहर से नहीं ,न ही कोई ताला लगा है। शर्माजी की बात में दम तो था। 

तब  इंस्पेक्टर तेवतिया ने उसी लड़के से कहा -अंदर जाकर मुख्य द्वार खोल दो !

वह लड़का मुख्य द्वार को पार करके अंदर जाकर कुंडी खोल दी, सभी लोग अंदर आ गए, और जैसा कि लड़के ने बताया कि मैंने उस खिड़की से किसी इंसान को देखा है। पुलिस वालों ने भी उस इंसान को देखा, और एक सिपाही ने आवाज लगाकर उससे दरवाजा खोलने के लिए कहा किन्तु वो व्यक्ति ऐसे ही पड़ा रहा। 

तब वे लोग दरवाजा तोड़कर घर के अंदर पहुंच गए ,घर के अंदर पहुंचकर उन लोगों ने देखा , कुछ सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा है। जिस खिड़की से उन्होंने उस व्यक्ति को सोते हुए देखा था , वे लोग, उस कमरे में गए वहां पर बहुत सारी पेंटिंग्स रखी  हुई थी, कुछ अधूरी थी, कुछ पूरे होने की कगार पर थीं। कुछ कोरे  कैनवास रखे हुए थे। मेज पर एक व्यक्ति, सर रखे ऐसे बैठा हुआ था जैसे वह सो रहा हो। इंस्पेक्टर तेवतिया ने, जाते ही उस व्यक्ति को उठाने के लिए जैसे ही हिलाया, वह तुरंत ही नीचे गिर पड़ा। यह देखकर सभी लोग आश्चर्य चकित रह गए ,उसकी गर्दन से खून बह रहा था , जो अब जम चुका था जिसके कारण उसकी कमीज उसी के लहू से लथपथ हो गई थी और अब वह खून जम चुका गया था।

 इंस्पेक्टर ने उसकी जाँच की और बोले -यह मर चुका है, इसकी हालत देखकर लग रहा है इसकी मौत आज नहीं, कई घंटे पहले हो चुकी है। 

तभी मेहता साहब बोले -यही तो रंजन है , उस लड़की का पति,जो बहुत अच्छी पेंटर है। 

इनकी पत्नी कहाँ है ? कहते हुए इंस्पेक्टर ने अन्य लोगों को बाहर जाने के लिए कहा और बोला -मुझे लगता है यह हत्या का मामला है, यह हत्या किसने की है और क्यों की है ? यह पता लगाना होगा और इसकी पत्नी कहां है ? यह कहकर उन्होंने अन्य कमरों में देखना आरंभ किया किंतु रंजन की पत्नी कहीं भी नहीं मिली।

 तब इंस्पेक्टर, मेहता साहब से बोले -आपको क्या लगता है ? क्या यह दोनों पति-पत्नी के आपस के झगड़े का मामला है ? दोनों के आपस में संबंध कैसे थे ?

अजी अभी उन्हें आए हुए, एक महीना ही तो हुआ है, हमारे सामने तो आपस में बड़े प्रेम से ही रहते थे बाकी अंदर उनके मन में क्या चल रहा है ? वह हम नहीं जानते।वे रंजन की लाश देखकर वैसे ही घबरा गए थे।  

ठीक है, हमारी टीम अपना कार्य कर रही है, आपकी जब भी आवश्यकता होगी, हम आपको बुला लेंगे कहते हुए उन्होंने मेहता साहब को भी घर से बाहर भेज दिया। 

''जितने मुंह, उतनी बातें'' कुछ लोग बाहर खड़े कह रहे थे ? इन लोगों का रहन-सहन तो काफी अच्छा था, देखने से अमीर परिवार से लग रहे थे। 

 अजी ! मैंने तो यहां तक सुना है कि लड़की बहुत पैसे वाली थी। उसकी पेंटिंग्स तो लाखों में, जाती थी ,वह स्वयं तो  इतनी सुंदर भी नहीं थी,किन्तु चित्रकारी तो बहुत अच्छी करती थी।

  लड़के ने पैसे के लालच में ही उससे विवाह किया होगा ?

हां, यह भी हो सकता है, वैसे इतनी बुरी भी नहीं थी किन्तु इसकी हत्या किसने की होगी ? 

पैसा तो अच्छे-अच्छे में रंग- रूप ले आता है, पर वैसे दोनों पति-पत्नी संतुष्ट नहीं थे, ऐसा तो नहीं लग रहा था।

 अभी तुम क्या जानो ! बाहर लोग दिखावे से मुस्कुरा देते हैं अंदर क्या चल रहा है ? यह तो अंदर की बात है। क्या उसने कभी किसी से कुछ कहा है ?

अभी उनका किसी से उतना मेलजोल भी नहीं हुआ था ,जो अपने दिल की या घर की बात कहते। पता नहीं ,उनके बीच क्या हुआ होगा ?

ये जरूरी तो नहीं ,उनमें ही कोई अनबन हुई हो ,ऐसा भी तो हो सकता है ,बाहर का ही कोई व्यक्ति आकर मार गया हो। 

चलो ,आपकी बात मानी किन्तु इसकी पत्नी कहाँ है ?वो भी तो नजर नहीं आ रही ,हो सकता है ,ये अपहरण का मामला हो ,अभी वे लोग ये ही अटकलें लगा रहे थे ,तभी दूधवाला अपना दूध बेचकर इधर से निकलता है। और लोगों से पूछता है ,कुछ पता चला ,ये लोग कहाँ गए ?

कहीं नहीं गए ?यहाँ हत्या हो गयी है ,एक व्यक्ति ने कहा। 

क्या ?आश्चर्य से दूधवाला बोला और साईकिल से उतरकर उस भीड़ में शामिल हो गया। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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