Mysterious nights [part 110]

रात के अंधेरे में, एकदम सुनसान जगह पर, अचानक ही एक लड़की की चीख़ सुनाई पड़ती है।' हरिया'  डरकर उठ जाता है , आखिर यह चीख़  किसकी थी ? किसी महिला की चीख़ थी। तभी उसने देखा ,जहाँ साहब लोग, सो रहे थे ,वहां अंदर कुछ हलचल होती है , कमरों में रोशनी हो जाती है क्योंकि वह चीख़  डॉक्टर अनंत और तारा ने भी सुनी थी। वे दोनों दौड़कर, रूही के कमरे की तरफ जाते हैं , जहां रूही पहले से ही डरी -सहमी हुई बैठी थी। घबराई हुई , पसीने से लथपथ थी, उसे देखकर डॉक्टर अनंत ने पूछा - क्या आज फिर से कोई बुरा सपना देख लिया ?


 अब तो स्थान भी बदल दिया है , तब भी ये सपने, इसका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं ,तारा जी ने कहा। 

तभी हरिया भी आ जाता है, जो इस'' फार्म हाउस'' की देखभाल करता है और अधिकतर यहीं पर रहता है , यहीं पर उसका एक छोटा सा कमरा है। उसका घर गांव के अंदर है , वहां कभी-कभी चला जाता है, आज तो साहब और मेमसाहब आए हुए थे। कहीं, किसी सामान की आवश्यकता न पड़ जाए, इसीलिए यहीं  रुक गया था। अंदर आते हुए बोला - साहब ! क्या हुआ ? रूही को देखकर बोला -लगता है ,बिटिया !सपने में डर गयी है। कोई बात नहीं, नई जगह है, कई बार ऐसा हो जाता है ,आदमी जहां रहता है, उसको वहां रहने की और सोने की आदत बन जाती है, किसी भी नई जगह पर डर जाता है।

 घड़ी में समय देखा तो रात्रि के 2:00 बज रहे थे। ताराजी, रूही को समझा रही थीं -' यह तो एक सपना था। मैं जानती हूं, तुम सपनों में डर जाती हो, आज ऐसा क्या देखा था ? आज तो लगता है ,बड़ा ही भयंकर सपना था किंतु रूही कुछ भी नहीं बोल पा रही थी, उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने, उस सपने को जिया है।रूही की पीठ को सहलाते हुए बोलीं - शांत हो जाओ ! मैं और तुम्हारे पापा तुम्हारे साथ हैं, घबराने की कोई जरूरत नहीं है। 

साहब !आप कहें  तो, मैं चाय बना लाऊँ। अब ठंड धीरे -धीरे बढ़ रही है। 

नहीं, हरिया ! कॉफी बना लाओ ! कुछ देर पश्चात 'हरिया' कॉफी बना कर ले आता है। डॉक्टर साहब ! इस समय ठंड महसूस कर रहे थे क्योंकि वहां खुली जगह थी और रात्रि के समय धीरे-धीरे ठंड भी बढ़ जाती है।

 तारा जी, रूही को लेकर अंदर कमरे में चली गई थीं, तब हरिया ने डॉक्टर साहब से पूछा -साहब ! एक बात पूछूं !

कॉफी का घूंट भरते हुए, डॉक्टर साहब ने कहा -पूछो !

यह बिटिया कौन है ? आपके तो कोई औलाद ही नहीं थी। 

हाँ , तुम सही कह रहे हो ! न जाने कौन है ?जब मैं अपने किसी मरीज़ को देखने जा रहा था ,यह मेरी गाड़ी से टकरा गई थी,इसकी हालत बहुत खराब थी ,अर्धजली  हालत में मेरी गाड़ी के सामने बेहोश हो गयी थी।

तब आपने,इसे अपने पास क्यों रखा हुआ है ? जवान लड़की है, कुछ ऊंच -नीच हो गयी तो क्या होगा ?इसके ठीक होते ही इसे ,इसके  घरवालों को सौंप देते। 

क्या ये बात ,मैंने नहीं सोची थी किन्तु अफ़सोस ये है ,अब यह अपनी याददाश्त भूल चुकी है, इसे पता ही नहीं है यह कौन है ,कहां इसका घर है ,क्या इसका नाम है ?अब इसे, ऐसे ही तो नहीं छोड़ सकता था ,बिना नाम और पते के यह कहाँ भटकती ? यही सोचकर इसे हमने अपना लिया और इसे बताया -'हम ही तुम्हारे माता -पिता हैं। 

आप महान है , एक बेसहारा लड़की को आपने सहारा दिया है, अपनी  बच्ची की तरह पाल रहे हैं। बेचारी ! नई जगह पर सपने में डर गई होगी।

 यह आज ही की बात नहीं है, डॉक्टर साहब ने कहा, इसके साथ हर रात यही होता है, यह कोई डरावना सपना देखती है उसे महसूस करती है और डर जाती है। 

क्या हर रात ऐसा ही होता है ? हां लगभग एक या दो दिन की बात तो, मैं नहीं कह सकता किंतु लगभग छह  महीने से लगातार इसके साथ यही हो रहा है। 

हरिया, उनकी बात सुनकर सोचने लगा और बोला -आप तो डॉक्टर हैं, आप ही इसका इलाज क्यों नहीं करते हैं ?

 शारीरिक रूप से तो यह ठीक है, थोड़ा मानसिक रूप से परेशान है। मैं उसका डॉक्टर नहीं हूं। 

तो फिर किसी दूसरे चिकित्सक को दिखा लीजिए ! वैसे आप, बुरा ना माने तो एक बात कहूं !

कहो ! उन्होंने इस तरह से कहा जैसे, वह पहले से ही तैयार थे कि यह भी कोई सलाह ही देगा। 

एक बार, इसे पड़ोस के गूची गांव में दिखा लाइए। 

उस गांव में क्या है ? डॉक्टर साहब लापरवाही से बोले। 

वहां एक सिद्ध महात्मा जी आये हुए हैं , सुना है ,कई वर्षों तक हिमाचल में तपस्या की है ,उनके पास बहुत सिद्धियां  हैं  ,वो कहने से कुछ नहीं करते,मस्तमौला हैं ,इच्छा हो तो भूत -भविष्य भी बता देते हैं , या इंसान के साथ जो परेशानी हुई होती है ,वह भी बता देते हैं । उनकी कृपा रही तो, बिटिया को ठीक भी कर सकते हैं। 

हां, अभी कुछ दिन पहले, तुम्हारी मैडम भी किसी मेले में गई थीं, ऐसी ही एक महिला से मिलकर आई थीं किंतु पूरी तरह से तो वह भी नहीं बता पाई। 

जब आप वहां गए थे, तो इन्हें भी परख कर देख लीजिए ! हो सकता है, यहां आपकी समस्या का समाधान हो जाए। वे कोई राह सूझा  दें  !

चलो, देख लेते हैं, कहते हुए कुर्सी से उठे और अंदर आ गए , रूही के कमरे में झांक कर देखा और पूछा -रूही !क्या तुम ठीक हो ? रूही ने, हाँ में गर्दन हिलाई, तुम वहीं  रूही के पास सो जाओ ! डॉक्टर अनंत ने  तारा से कहा और अपने कमरे में आ गए ,तारा वही रूही के समीप लेट गई थी और रुही से बोली -मैं तुम्हारे साथ हूँ ,तुम्हें कुछ नहीं होगा। 

अगले दिन डॉक्टर साहब ! तारा और रूही को लेकर हरिया के बताये गांव की तरफ चल देते हैं। हम कहां जा रहे हैं ? तारा में डॉक्टर साहब से पूछा।

 हरिया ने,'गूची' गांव में कोई  सिद्ध महात्मा बताएं हैं , उसका कहना है- शायद, वो हमारी समस्या का समाधान  कर सकते  हैं। 

रूही, चुपचाप गाड़ी में बैठी,बाहर की तरफ देख रही थी  जैसे-जैसे वो लोग आगे बढ़ रहे थे , तब अचानक रूही ने अपनी गर्दन ही बाहर निकाली क्योंकि उसको लगा - यह गांव, मेरा देखा हुआ है ,इसे मैंने कहाँ  देखा है? यह याद नहीं आ रहा। वो  रास्ते, वो सड़क कुछ  धुंधली सी स्मृतियां उसके दिलों दिमाग पर छा रही थीं। वे  उस गांव से आगे निकल कर दूसरे गांव की ओर बढ़ रहे थे , यह जो पीछे गांव गया है, यह कौन सा गांव है ?

क्या तुमने पढ़ा नहीं, वह कोई ''बीजापुर'' गांव है, क्यों तुम क्यों पूछ रही हो ?

यह नाम मैंने कहीं सुना है ? 

कहां सुना होगा ?


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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