Khoobsurat [part 39]

लड़कियों के प्रति, कुमार की ऐसी सोच को सुनकर, विनीत को बहुत आश्चर्य हुआ और वो उसकी बातों का विरोध करता है ,तब कुमार ,विनीत को अपने परिवार का एक बुरा अनुभव विनीत को सुनाता है ,जिसके कारण उसके मन में, लड़कियों के प्रति ऐसी सोच बन गयी थी। हालाँकि वो भी ,'तमन्ना' नाम की एक कलाकार को बहुत मानने लगा था ,शायद उससे प्रेम भी करने लगा था,उससे मिलना चाहता था किन्तु उसको जानने में ,उसे धोखे की बू आई ,उसे झूठ से सख़्त नफ़रत थी ,आज उसके सामने एक झूठ आ गया था ,जिसकी सच्चाई वो जानना चाहता था। अपने उस बुरे अनुभव को, वो अब अपने जीवन से जोड़कर देखने लगा था । तब वो विनीत से अपने चचेरे भाई की कहानी सुनाता है।


जब मेरे चचेरे भाई , दिनभर के थके, घर वापस आये तो' वो' [भाई की प्रेमिका ]घर में नहीं थी ,उसके बिना वो कमरा उन्हें बेजान नजर आ रहा था। तब उन्होने घरवालों से पूछा -स्नेहा,किधर है ?

घर में भी किसी को मालूम नहीं था ,घरवालों को भी आश्चर्य हुआ और वो बोले -हमसे वो कुछ भी कहकर नहीं गयी है। 

भाई वापस कमरे में आये ,उसका सामान देखा ,तो वो भी वहां नहीं था ,उन्होंने उसे फोन किया किन्तु उसने फोन उठाया ही नहीं ,कुछ देर के पश्चात 'स्विच ऑफ 'बताया गया। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वो घर छोड़कर जा चुकी है। उस दिन उन्होंने न ही भोजन किया और रातभर जगे रहे। वो कमरा ,वो दीवारें उन्हें उनके प्यार की याद दिला रहे थे। उन्हें उसकी आदत जो बन गयी थी। कभी उन्हें लगता ,जैसे वो उन्हें पुकार रही है,पलभर के लिए ही उनकी आखें बंद हुई थीं ,तभी उन्हें महसूस हुआ ,वो रो रही है ,उस कमरे की हर दीवार से उसका रुदन उन्हें सुनाई देने लगा वो, घबराकर उठ बैठे। उन्हें अभी भी, नहीं लग रहा था कि वो उन्हें धोखा भी दे सकती है।

 तभी वो अचानक उठे और अपनी मम्मी के कमरे का दरवाजा खटखटाया ,मम्मी !दरवाजा खोलो ! यह लड़का, उस धोखेबाज़ लड़की के प्यार में' बोेरा' गया है ,न ही हमें सोने देगा ,न ही स्वयं सोयेगा। उन्होंने कमरे की लाईट जलाई और घड़ी में समय देखा ,रात्रि के दो बज रहे थे। जब उन्होंने दरवाजा खोला ,क्या हुआ ?क्यों चिल्ला रहा है ?चाचीजी ने पूछा -अभी तक सोया क्यों नहीं ?तुझे पता है ,अब समय क्या हुआ है ?

तब भाई बोले -मुझे लगता है , कहीं उसका अपहरण तो नहीं हो गया होगा।  

तब चाची जी ने उसे डांटा - क्या 'अपहरण कर्ता 'उसका सामान लेकर भी जायेगा ,तू इस बात को समझता क्यों नहीं है ?वो तेरे पैसे के लिए, तेरे पास टिकी हुई थी ,अब तेरा पैसा, व्यापार में लगा है ,उस पर नहीं लुटा रहा है इसीलिए वो तुझे छोड़कर जा चुकी है। उन्होंने क्रोध में अपने मन की भड़ास निकाल ही दी -जो लड़की ,बिन ब्याह के एक लड़के के साथ ,उसके पैसों के लिए,इतने दिनों तक , एक अनजान लड़के के साथ रह सकती है ,वो पैसों के लिए ,कोई और रास्ता भी अपना सकती है। अब तू शांत होकर अपने कमरे में जा !और शांत मन से सो जा !इस बात को जितनी जल्दी स्वीकार कर लेगा, तेरे लिए उतना ही अच्छा होगा।  

भाई !अपनी माँ के डांटने और समझाने पर वहां से चले तो आये किन्तु अभी भी,उन्हें  उस पर विश्वास था ,कहते -वो मेरी परेशानी देखकर ,चली गयी होगी। 

यदि उसे तेरी परेशानी का एहसास था, तो तेरे साथ खड़े होकर उन परेशानियों को उसने क्यों नहीं बाँट लिया ?भाग क्यों गई ? चाची जी ने समझाया ,अब उसे भूल जा !और अपने कारोबार पर ध्यान दे !जब तेरा काम चल जायेगा ,तो वो स्वयं ही वापस लोेट आएगी।

 ये बात ,भाई के मन में घर कर गई और वो अपने कारोबार पर ध्यान देने लगे। धीरे -धीरे वो सम्भल रहे थे। एक दिन उन्होंने स्नेहा को किसी लड़के के साथ घूमते हुए देखा। यह देखकर उन्हें,उस पर बहुत क्रोध आया और उन्होंने उसका पीछा किया और  तुरंत ही उसके पास गए और उससे पूछा -कि यह सब क्या चल रहा है ?

अनजान बनते हुए उसने पूछा -क्या चल रहा है ?

वही तो मैं पूछना चाहता हूं, तू मोटरसाइकिल पर किसके साथ थी ? 

तुम्हें, इससे क्या ?फिर भी तुम पूछ ही रहे हो तो बता देती हूँ ,अपने दोस्त के साथ थी, तुम्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए। 

मुझे तुमसे, मतलब क्यों नहीं होना चाहिए ? वे क्रोध से बोले -तुम बिन बताये ,घर से चली आईं ,मैं वहां पागलों की तरह तुम्हारे लिए परेशान हो रहा था ,तुमने मेरा फोन भी नहीं उठाया ,और आज मिली हो तो कह रही हो -'मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं होना चाहिए 'यदि वह दोस्त है तो मैं कौन हूं ?

 मुझे क्या मालूम ?मैं कुछ भी नहीं जानती।

 यह क्या जवाब हुआ, तुमने मुझे क्या समझ रखा है ? नाराज होते हुए भाई ने पूछा -मैंने तुम्हारे लिए ''पैसा पानी की तरह बहा दिया'' और तुम मुझे इस तरह धोखा दे रही हो।मम्मी ,ठीक ही कहती थीं -'तुम मेरे पैसे के लिए मेरे साथ थीं। ' 

मैंने कोई धोखा नहीं दिया है, झिड़कते हुए, उसने जवाब दिया। तुम एक 'फेलियर इंसान' हो, जीवन में कुछ नहीं कर पा रहे हो और न ही आगे बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए तुमसे अब मेरा कोई नाता नहीं है। उसके जवाब से भाई टूट गए थे।  उसके शब्द ,उनकी आत्मा को छलनी किए  दे रहे थे। वैसे ही परेशान थे। उसके धोखे ने उन्हें तोड़ कर रख दिया था। घर में उन्होंने, किसी को कुछ नहीं बताया। अपने संपूर्ण दुखों का भार स्वयं ही वहन कर रहे थे। उन्हें लग रहा था, इस जीवन ने उन्हें दिया ही क्या है ? जिसके लिए वो  दिन- रात परिश्रम कर रहे थे ,वो तो अपनी ही नहीं है ,मैं एक झूठे धोखे में जी रहा था। 

 इस जन्म या सात जन्मों  की बात तो दूर है, उसने कुछ वर्षों का साथ भी छोड़ दिया। अभी उनका कारोबार धीरे -धीरे पटरी पर आ रहा था किन्तु अब उससे भी उनका मन हट गया।' तुम एक फेलियर इंसान हो' ये शब्द बार -बार उनके ज़ेहन में हथौड़े की तरह चोट कर रहे थे। व्यापार  में मन नहीं लग रहा था,जो जमाया था वो भी बर्बाद हो रहा था, वो उन परिस्थितियों से जूझना चाहकर भी, लड़ नहीं पा रहे थे। अपने को विवश पाते थे ,अब किसके लिए लड़ना है ? वो भी उन्हें मुँह चिढ़ाती नजर आ रही थी। उन्हें लग रहा था, जैसे 'जीवन  उद्देश्यहीन हो गया है।' 

आगे क्या हुआ ?विनीत ने पूछा। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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