Khoobsurat [part 38]

विनीत की मुलाकात आज, शिल्पा से पहली बार हुई थी।  शिल्पा ,कुमार का हाल-चाल पूछने के लिए ,उसके पास आई थी, किंतु शिल्पा के व्यवहार को देखकर ,कुछ पल की मुलाकात में ही, विनीत समझ गया था कि  शिल्पा, 'कुमार' से प्यार करती है। यही बात जब वह कुमार से कहता है।

 तब कुमार जबाब देता है- जानता हूँ ,जबसे मैंने, उससे दोस्ती की है ,वो हवा में उड़ने लगी है ,तभी तो मज़ा है ,जब वो बहुत ऊपर तक उड़ेगी और धड़ाम से नीचे आ गिरेगी। तब वो अपने को आईने में देख, वास्तविकता का सामना करेगी कि वो किस लायक है ? 

मुझे तो, तेरी इस दुश्मनी का कोई सही उद्देश्य नज़र नहीं आ रहा ,कहीं ऐसा होता है ,प्यार के बदले, दुश्मनी मिले। 


 धोखे के बदले ,धोखे की उम्मीद तो करनी ही चाहिए।

किसने धोखा दिया ?क्या इस लड़की ने तुझको कोई धोखा दिया ,मुझे तो नहीं लगता, ये लड़की, किसी को धोखा भी दे सकती है। यदि धोखा मिला भी है ,तो समझदारी से बैठकर ,उस बात को सुलझा ले !पहले उस बात को ,अथवा परिस्थिति को समझने का प्रयास तो कर ,हो सकता है ,तुझे कोई गलतफ़हमी हुई हो या फिर उसकी कोई विवशता हो ! 

कुमार ने, विनीत की तरफ किसी अजनबी की तरह देखा ,और बोला -मैं तुझे समझाना भी चाहूँ , तब भी तू कुछ भी नहीं समझ पायेगा। 

मैं समझना भी नहीं चाहता हूँ ,मैं बस इसीलिए तेरा साथ दे रहा हूँ ,क्योंकि तू मेरा दोस्त है ,बस !उसी दोस्ती के नाते तुझे समझाने का प्रयास भी कर रहा हूँ किन्तु एक बात कहे देता हूँ ,तुझे उससे जो भी बदला लेना है ,ले ! किन्तु यदि उसे शारीरिक रूप से चोट पहुंचाने का प्रयास किया तो मुझे, अपने साथ खड़ा नहीं पायेगा। जैसी भी है ,वो एक लड़की है। 

तू नहीं जानता है ,इन लड़कियों के विषय में ,कहते हुए रुक जाता है ,कुछ क्षण ठहरकर मुस्कुराकर कहता है - ये लड़कियां, ''आजकल वो कोमल कली नहीं रह गयीं हैं ,ये ज़हरीली नागिन हैं ,ज़हरीली नागिन !और जब नागिन डसती हैं  तो उसका काटा पानी भी नहीं मांगता इसलिए ऐसी नगीनों को मुझे ही सबक़ सीखाना होगा।'' 

तेरी बातों से तो लगता है ,बात इतनी ही नहीं है ,तूने कहीं और भी गहरी चोट खाई है ,जिसके कारण लड़कियों के प्रति, तेरी ऐसी सोच बन गयी है।

तू, सही कह रहा है ,चोट! मैंने नहीं ,मेरे चचेरे बड़े भाई ने खाई थी। वो ऐसे ही,कॉलिज के समय में  किसी लड़की के चक्कर में पड़ गए थे, वे उसे बेहद प्रेम करते थे, वह लड़की भी, उनके साथ घूमती- फिरती   रहती थी। उसके साथ रहकर उन्होंने, उसके संग जीवनभर के सपने सजा लिए थे। प्यार महसूस किया जाता है ,कहा नहीं जाता ,उन्हें भी लगता था ,जब ये मुझ पर इतना विश्वास करती है और हरदम मेरे साथ रहती है ,तो प्यार तो करती ही होगी,दोनों एक -दूसरे के संग साये की तरह रहते।  

वे सोच रहे थे, वह, उनसे प्यार करती है किंतु ऐसा कतई भी नहीं था ,वह उनके साथ  सैर -सपाटा  करती थी। उन्हें देखकर हम लोग भी खुश थे ,भाई खुश था ,तो हम भी खुश थे। हमें उस रिश्ते से ,कोई आपत्ति नहीं थी। भाई ,भावी जीवन के सपने सजाने लगे थे और सोच रहे थे कि भविष्य में जब अच्छी सी नौकरी लग जाएगी तब मैं, उस लड़की के साथ विवाह कर लूंगा,उसने भी विवाह के लिए कोई दबाब नहीं बनाया था।  

न  जाने, क्यों ???भाग्य ने साथ नहीं दिया ,या  उनके परिश्रम में ही, कोई कमी रह गई। न जाने, क्या स्थिति रही ? उनकी नौकरी नहीं लग पाई। वह लड़की तो इसी तलाश में थी कि कब नौकरी लगे और वह नौकरी पर लगते ही अपने पति के साथ उड़न छू हो जाए किंतु यहां कुदरत ने उसके सपनों को भी साकार नहीं होने दिया और भाई की नौकरी नहीं लगी, वो परेशान रहने लगे, तब उन्होंने सोचा - व्यापार ही कर लेते हैं बात तो कमाने से ही है। नौकरी करके कमाया जाए या फिर व्यापार करके , उन्होंने उस लड़की के खर्चों में कोई कमी नहीं आने दी।अब तुम ही सोचो !जो लड़की हमेशा उनके साथ खड़ी दिखलाई देती थी ,भाई ही उसका खर्चा उठा रहे थे। हम लोगों को भी, उनके रिश्ते के विषय में पता था ,तो क्या ये प्यार नहीं था ?

 भाई का व्यापार शुरू में हानि में जा रहा था , परेशानियां बढ़ती जा रही थीं , भाई पर ऋण भी हो गया था समझ नहीं आ रहा था, यह सब क्या चल रहा है ? भाई ,अपने जीवन की इन असफलताओं से परेशान रहने लगे थे। ऐसे समय में उन्हें लगता कि वह उनका सहारा बनेगी, उन्हें सांत्वना देगी किंतु जैसी उन्हें उम्मीद थी ऐसा कुछ भी न हुआ, अब वह भाई से कटने लगी थी। भाई वैसे ही ,काम न चलने के कारण परेशान थे। उसका रूखा व्यवहार भी उन्हें परेशान किये दे रहा था। जब दो व्यक्ति एक -दूसरे के संग रिश्ते में आते हैं ,तो आपस में एक दूसरे के सुख -दुःख के भागी होते हैं किन्तु अब भाई परेशानी में आ गए थे। घरवालों का उन्हें सहयोग था किन्तु घरवाले बिन रिश्ते उस लड़की का भार क्यों उठाएंगे ?उस लड़की के खर्चे कम हो गए। 

कायदे से देखा जाये ,तो ऐसे समय में ,उसे नौकरी करके अपना और तुम्हारे भाई का खर्चा उठाना चाहिए था ,तभी तो उस रिश्ते की असल पहचान होती है। विपरीत परिस्थिति में कौन, किसके साथ खड़ा रहता है ?विनीत ने कहा। 

वही तो.....  एक दिन काम के सिलसिले में भाई  बाहर गए हुए थे, जब वह वापस घर आए ,तब वो घर में नहीं थी ,उसका सामान भी गायब था। जबकि चाचीजी ने उनसे कितनी बार कहा था ,इस तरह बिना विवाह के किसी भी लड़की को अपने साथ रखना उचित नहीं है किन्तु उसके प्रति उनका' प्यार अँधा हो चुका था,'उसके सिवा उन्हें कोई ओर नज़र ही नहीं आता था। घरवालों ने भी यह सोचकर समझौता कर लिया एक न एक तो इनका विवाह होना ही है ,जब लड़की को ही कोई आपत्ति नहीं है ,तो हमें क्या ?चलो ! दोनों साथ रहकर एक -दूसरे को समझने लगेंगे। 

जब वो घर आये ,तो वो कमरे में नहीं थी ,न ही उसका सामान था ,मानसिक रूप से इंसान जीवन से लड़ रहा है ,आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है ,जिस पर सबसे ज्यादा विश्वास करता है ,वो ही विश्वासघात कर जाये तो कैसा लगेगा ?भाई ने महसूस किया था कुछ दिनों से उसका व्यववहार बदला हुआ लग रहा था किन्तु उन्होंने, उसकी परेशानी को समझा ,सोचा -पहले कितना खर्चा करती थी और अब इसे थोड़ा हाथ खींचकर चलना पड़ रहा है ,वे उसे समझाते -एक बार काम चल जाये ,तब हम दोनों धूमधाम से शादी करेंगे और एक नया घर भी ले लेंगे ,तुम उस घर की रानी बनोगी। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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