नित्या, शिल्पा को समझाने का प्रयास कर रही थी, वह नहीं चाहती थी, कि शिल्पा किसी के बहकावे में आ जाए। शिल्पा उससे कह देती है - माना कि तुम मेरी ममेरी बहन हो, इसका अर्थ यह नहीं, कि मैंने तुम्हें अपनी जिंदगी के हर फैसले में दखलअंदाजी देने का अधिकार दे दिया है।
तब भी नित्या सहजता से काम लेते हुए, शिल्पा को समझाती है , कुमार , मेरा भी फोन नहीं उठा रहा है क्योंकि वह जानता है, कि मैं उससे क्या पूछने वाली हूं ? कहीं उसने तुम्हारे प्रश्नों से बचने के लिए ही तो, चोट लगने का बहाना तो नहीं किया हो।
नित्या की, यह बात सुनकर शिल्पा भड़क जाती है और कहती है - नहीं, वो ऐसा नहीं है,शिल्पा झल्लाई,तुममें तनिक भी इंसानियत नहीं है ,मेरे कारण उसे चोट लगी ,फिर मैं उससे प्रश्न क्यों करूंगी ?वो विज्ञापन ,उसने ,मुझे लाकर नहीं दिया था ,तुम लेकर आई थीं ,तब उससे प्रश्न पूछने का मेरा तो कोई मतलब बनता ही नहीं है।वह तुरंत ही अपनी बात से पलट गयी।
यदि वह ऐसा नहीं है, तो आज तुम पर इतना मेहरबान क्यों हो गया ?मुझे एक बात समझ नहीं आई , तुम उसकी दुर्घटना का दोषी, अपने को क्यों मान रही हो ? क्या तुमने उसका एक्सीडेंट करवाया है ? वह तो'' तमन्ना'' को पसंद करता है,न.... नित्या ने तर्क द्वारा शिल्पा को समझाने का प्रयास किया।
और वो ''तमन्ना'' हो तुम !जिसे देखकर भी उसने अनदेखा किया। यही न.... मुझे तुम्हारे अंदर से ईर्ष्या की बू आ रही है,क्रोध से नित्या को देखकर कहती है।
वो' तमन्ना' जिसका कोई वजूद ही नहीं है, हकीकत से परे है,एक झूठा नाम है , तुमने मुझे ' तमन्ना' बनाकर उसके सामने पेश किया था,मैंने तुमसे नहीं कहा था किंतु जब वह मुझसे मिला तो उसने ऐसा कुछ भी नहीं जतलाया। मुझे तो ऐसा लग रहा है, अवश्य ही उसके मन में कोई और बात चल रही है।
तुम्हारे मन में हमेशा, षड्यंत्र ही महसूस होता रहता है किंतु वह ऐसा नहीं है। मुझे लगता है, अब उसका 'हृदय परिवर्तन 'हो गया है। वैसे उसे 'ह्रदय परिवर्तन 'की आवश्यकता भी नहीं है ,बदलना तुम्हें चाहिए ,तुम अपनी सोच को बदलो !
वह कैसे बदला ?
अब वह समझ गया है, कि तमन्ना ही नहीं, मैं भी एक बहुत अच्छी कलाकार हूं, और वह कला की पूजा करता है। मुझे तो उससे पहले ही प्यार था ,अब उसे भी हो गया है।
ऐसा तुम्हें लगता है ,क्योंकि तुम उसे प्यार करती हो। पहले उसकी नजरों को देखो ! पढ़ो और समझो !'ताकि रही भावना जैसी ,प्रभु मूरत देखि तिन तैसी। ''
क्या मतलब ?पता नहीं, कौन सा दादी पुराण सुनाने बैठ गयी,प्यार में किसी को परखा नहीं जाता ,बस प्यार हो जाता है।
तुझे हुआ है ,उसने नहीं कहा कि वो भी तुझसे प्यार करता है ,और जब वो तुम्हारी भावनाओं को समझ जायेगा ,हो सकता है ,तुम्हारी उस मनःस्थिति का वो लाभ उठाये। अभी मैं जा रही हूँ ,मुझे बड़े जोरों की भूख लगी है ,तुझे भी भोजन करना हो तो आ जाना या उसके ''ख़्याली पुलावों ''से ही पेट भरने का इरादा है कहकर वो झट से कमरे से बाहर आ गयी।
नित्या के चले जाने के पश्चात शिल्पा सोच में पड़ गयी और मन ही मन बुदबुदाई -शायद ,तुम्हारी बात सही है।
यार! तू भी कमाल का है , कितना सुंदर अभिनय कर लेता है , तुझे तो, फिल्मों में चले जाना चाहिए। जरा पानी की बोतल लाना ! मुझे गोली दे देना ! विनीत, कुमार की नकल करते हुए कहता है और हंसने लगता है।
तू नहीं समझेगा ! यह मुझसे उसी विज्ञापन के विषय में ही पूछने आई होगी क्योंकि वह जो लड़की है, जिसका तमन्ना के रूप में हमसे परिचय कराया गया था। वह मुझे बार-बार फोन कर रही है किंतु मैंने उसका फोन नहीं उठाया। अवश्य ही इसका संबंध उससे है किंतु ये दोनों ,बहुत ही ज्यादा चतुर बन रही हैं , जिसे कहते हैं -ओवर स्मार्ट ! इनकी होशियारी तो मैं देख लूंगा , कहते हुए उसने अपने मुड़े हुए हाथ को सीधा किया और बोला -वैसे तो अब वह, आने वाली नहीं है क्योंकि मैंने उसे,'डोज़' ही ऐसी दी है यदि आ भी गई तो, ख्याल रखना !
अभी तो वो , मेरे ख्यालों में खोई हुई होगी , सोच रही होगी -' तूने, उसे बेवकूफ बना दिया ,वो यह नहीं जानती, कि वह खुद से बेवकूफ बन रही है किंतु एक बात है , वह विज्ञापन मैंने, नित्या को दिया था और इसके पास आया और उसने, तो प्रतियोगिता में भाग लेने से ही इंकार कर दिया और यह खुशी-खुशी चली गई। गहरी स्वांस लेते हुए, कुर्सी पर सीधा होता है, और कहता है - इस बात का तो पता लगाना ही होगा आखिर इन दोनों में संबंध क्या है ?
अच्छा ,तूने जो विज्ञापन उस लड़की को दिया ,इसके पास आ गया , वैसे तूने उसे ही वो विज्ञापन क्यों दिया ?इसके पीछे तेरा क्या उद्देश्य था ?
मैं चाहता था ,यदि उसने मुझसे झूठ बोला है ,तो जो सबक इसने सीखा वो सबक़ वो सीखती और उसे ताउम्र स्मरण रहता फिर कभी किसी को धोखा देने की न सोचती,क्योंकि मैं जान गया हूँ ,वो कोई कलाकार नहीं है।
जब तू जानता है, कि वह झूठ बोल रही है, तुझे क्या आवश्यकता पड़ी है ?उनके विषय में जानने की, उनसे मतलब ही खत्म कर दे ! वह अपनी जिंदगी जिए और तू अपनी जिंदगी जी ! झूठ हो या सच वो उनके साथ रहेगा।
बात झूठ -सच की नहीं हैं, धोखे की है, उनके कारण मैंने, धोखा खाया है। मैं तो सच्चे हृदय से, उसकी कला का प्रशंसक था किंतु जब एक कलाकार ही, झूठ की आड़ में काम करेगा तो उसकी कला में भी, वह सच्चाई नजर नहीं आयेगी , तू, मेरी परेशानी को नहीं समझ सकता जो मैंने महसूस किया है। तू उसे कभी समझ ही नहीं पायेगा। मैं चाहता हूँ ,उन्होंने जो भी झूठ का जाल बुना है ,या तो वो स्वयं उस सच्चाई से पर्दा उठायें वरना मुझे ही कुछ करना होगा।
अब तू क्या करने वाला है ?विनीत ने उससे पूछा।
भौंहे सिकोड़ते हुए ,कुमार बोला -ऐसा, मैंने कुछ सोचा नहीं है ,किन्तु तूने उस लड़की का चेहरा देखा ,उसके मन में लड्डू फूट रहे थे किन्तु वे लड्डू फूटेंगे नहीं बल्कि फटेंगे ,तब उसका चेहरा देखना कहते हुए मुस्कुराया।
जाने दे ,यार !क्यों इन पचड़ों में पड़ रहा है ,अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे !
पढ़ाई पर ध्यान है ,तू क्या समझ रहा है ?उनके चक्कर में ,मैं अपने भविष्य को दांव पर लगा दूंगा ,ये तो 'पार्ट टाइम जॉब 'है कहते हुए हंसा और तू क्या समझ रहा है ?मैं उन्हें ऐसे ही जाने दूंगा।
मुझे तो लगता है ,वो तुझसे प्रेम करती है।
कुमार बदले की आग में सुलग रहा है, और वह बदला लेने के लिए न जाने क्या-क्या योजना बना रहा है ? किंतु उसके कॉलेज के दोस्त विनीत में जो महसूस किया , वही उससे कहा, वह उसे समझाना चाहता है, और उसे बतला देना चाहता है कि मुझे तो लगता है -वह लड़की तुमसे प्रेम करती है। उन कुछ क्षणों में, ही विनीत ने महसूस कर लिया किंतु इतने दिनों के पश्चात भी क्या कुमार को वो महसूस हुआ या नहीं , चलिए आगे बढ़ते हैं।