आज कुमार ने, शिल्पा से बड़े प्रेम से बात की थी, प्रेम से ही नहीं, आज उसने शिल्पा से पूछा था-क्या तुम मुझसे प्यार करती हो ? शिल्पा क्या जवाब देती ? उसे तो कुमार से ऐसी उम्मीद ही नहीं थी,कि वह अचानक ही ऐसा कुछ प्रश्न कर देगा,कुमार के सामने तो वो गंभीर होने का अभिनय करती रही किंतु मन ही मन उसकी जिंदगी जैसे सफल हो गई थी, उसकी प्रसन्नता कहीं छलककर बाहर न आ जाये इसीलिए उसके सामने से ही नहीं वरन कॉलिज से भी शीघ्र ही घर वापस आ गयी।
वो अपने आप को धन्य समझ रही थी, कि कुमार ने शिल्पा से स्वयं ही,स्पष्ट रूप से पूछ लिया -क्या तुम मुझसे प्यार करती हो ?' लेकिन वह समझ नहीं पाई, यह उसने किस रूप में पूछा है ? वो स्वयं ही कुमार से प्रेम करती है ,किन्तु एक तो उसके अंदर जो बरसों से एक हीनभावना पनप रही थी और दूसरा कारण उसने अपनी असलियत कुमार से ही नहीं ,सबसे छुपाई थी कि वो ही' तमन्ना 'है,इस नाम को बदलने का भी उसका पहला कारण ही रहा है। आज उसे अपने प्रेम के बदले में, प्रेम ही नजर आ रहा था।
वह कुमार से, उस विज्ञापन के विषय में जानना चाहती थी किंतु कुमार की हालत और उसके व्यवहार को देखकर, वो सबकुछ भूल चुकी थी, उसे कुमार से कुछ पूछना था ? उसके दिल में, उमंगें उड़ान भरने लगीं ,ह्रदय वाटिका में ,प्रेम के लाल गुलाब खिलने लगे थे। मन में प्रसन्नता लिए ,वह आज कॉलेज से शीघ्र ही घर आ गई , और उसका मन मस्तिष्क' कुमार' की यादों में, उसकी बातों में खो गया।
जब नित्या घर आई, तो उसने शिल्पा का बदला हुआ रूप देखा, और उससे घर में ,शीघ्रता से आने का कारण पूछा, किंतु आज तो शिल्पा भी, उसे अटपटे से जवाब दे रही थी। वह लड़का कुमार कॉलेज आया था या नहीं।
नित्या के इतना पूछते ही, शिल्पा अपनी ही धुन में मस्त थी और बोली -क्यों नहीं आएगा ? उसे मेरा प्यार खींच ही लाएगा, उसे मेरे लिए आना ही होगा।
क्या आज तुमने भाँग -वाँग खाई है ?नित्या ने उसकी तरफ देखकर पूछा यह कैसा व्यवहार कर रही हो? ठीक से जवाब भी नहीं दे रही हो।
क्या जवाब दूं ? मेरे सभी सवालों का जवाब आज मुझे मिल गया।
तू कहना क्या चाहती है ?कौन से सवाल ? और तूने यह, इतना मेकअप क्यों किया हुआ है ?क्या कहीं बाहर जा रही है ?
नहीं, जा तो कहीं नहीं रही हूँ ,आज मन किया, थोड़ा संवर लूँ ,आ बैठ ! तुझे मैं बताती हूं -आज कुमार आया था।
तब तूने उससे पूछा -कि वह इश्तहार उसने मुझे क्यों दिया था, उसके पीछे उसकी क्या सोच थी ? उसे कैसे पता चला ? कि तू वहां पर है। इस बात के पीछे उसका क्या उद्देश्य था ,वह क्या चाहता था ?
मन ही मन शिल्पा इस बात से भी प्रसन्न थी कि' कुमार' जान गया है नित्या ही 'तमन्ना 'है ,नित्या सुंदर है ,तब भी उसने, नित्या को कोई महत्व नहीं दिया, हो सकता है ,इसे इस बात का दुःख हो किन्तु नित्या की बातें सुनकर बोली -फिर वही बात कर दी, नाराज होते हुए शिल्पा ने कहा , मैं जो तुझे बताना चाह रही थी, वह बताने ही नहीं दिया। सारा मूड ऑफ करके रख दिया।
अच्छा, तू अपनी बात बता! क्या कहना चाहती है ?
तुझे पता है, आसमान में पंछी क्यों उड़ते हैं ?बरसात क्यों होती है , फूल क्यों खिलते हैं ? फूलों से खुशबू क्यों आती है ? भंवरें फूलों पर क्यों मँडराते हैं ? कृष्ण के साथ राधा का नाम क्यों आता है ? लैला- हीर की दीवानी क्यों थी ?
आज तुझे क्या हुआ है ? ये पहेलियां क्यों बुझा रही है, देख तुझे सीधे -सीधे जबाब देना हो तो बता वरना मैं अब भोजन करने जा रही हूँ ,मुझे बड़े जोरों की भूख लगी है ,तेरी इन बातों से मेरा पेट भरनेवाला नहीं है। तू मेरे किसी भी सवाल का ठीक से जवाब नहीं दे रही है। मुझे लगता है ,दुर्घटना उस' कुमार' के साथ हुई है ,और चोट तेरे दिमाग में आई है।
वही तो बता रही थी, आज कुमार आया था और वह अपने परिवार के लिए कह रहा था -'कि वे लोग मुझसे कितना प्यार करते हैं '', तब मैंने कहा -'अच्छे लोगों को सभी प्यार करते हैं ', तब पता है ,उसने मुझसे क्या पूछा ? तुम प्यार करती हो ?
बाहर जाते -जाते नित्या रुक गयी और बोली -तब तुमने ,उसे क्या जवाब दिया ?
मैं क्या जवाब देती? मैं तो घबरा गई थी।
ओह ! तो यही कारण है, तुम्हारे आज शीघ्र घर आने का , ओ नादान लड़की ! इतनी जल्दी किसी के बहकावे में नहीं आते हैं। उसने कहा और तुम्हारे दिल में लड्डू फूटने लगे। जब उसे इतनी चोट लगी है ,तब उसे आशिक़ी सूझ रही है। आज से पहले तो उसने ऐसा कुछ भी नहीं कहा।
ये जरूरी तो नहीं ,उसने आज तक नहीं कहा ,तो कभी नहीं कहेगा ,उसे गंभीर चोट आई है ,उसने ऐसे मौके पर एकांत मिला होगा और तब सोचा होगा।
क्या उसने, उसी रूप में कहा था, जो तू समझना चाहती है , दोस्ती के नाते भी तो कह सकता है। दोस्ती में भी तो प्रेम और विश्वास ही होता है ,बस उसका थोड़ा स्वरूप बदल जाता है।
अब मेरा दिमाग खराब मत कर..... मेरा हृदय फूलों सा नाजूक है, महक रहा है, ऐसी बातें करेगी तो उसकी पत्तियां झड़ने लगेंगी ,ये मुरझा जायेगा। क्या तू नहीं चाहती ? कि तेरी बहन खुश रहे।
मैंने खुश रहने से कब मना किया है ?मैं तो चाहती हूँ ,तू खुश रहे किन्तु बिना किसी को परखे ,या सच्चाई को समझे बग़ैर धोखा खाने से बचा लेना चाहती हूँ ,एक समय ऐसा ही आता है, कि पत्तियां स्वयं ही झड़ने लगती हैं , लेकिन यहां इन बातों का कोई महत्व नहीं है। यहां समझदारी से काम लेना होगा। वह आया, क्या उसे चोट लगी हुई थी ?
हां, उसके सिर पर और हाथ में पट्टियां हुई थी, उसने मेरे सामने दवाई ली है। तू तो हर आदमी पर शक करती है ,नित्या के सवालों से शिल्पा नाराज हो गयी थी ,तब वह कहती है -मैं मानती हूँ ,तू मेरी बड़ी बहन है किन्तु मैंने, तुझे अपनी ज़िंदगी में दखलअंदाजी करने का अधिकार नहीं दिया है। मैं जो भी देख ,सुन रही हूँ ,समझती भी हूँ। बच्ची नहीं हूँ।
मैं मानती हूँ ,तुम बच्ची नहीं हो ,इतनी छोटी भी नहीं हो, जो अपना भला -बुरा न देख सको !किन्तु मैं तुम्हारी बहन होने के नाते,इतना तो अधिकार रखती ही हूँ कि तुम्हारे जीवन में क्या चल रहा है ?उसको समझने का प्रयास कर सकूँ। वास्तव में ही वो परेशान था, कहीं ऐसा तो नहीं, उसने तुम्हारे सवालों से बचने के लिए यह बहाना बनाया हो।
नित्या जानती है ,शिल्पा के मन में कुमार के प्रति कोमल भावनाएं हैं किन्तु वो कुमार से मिल चुकी है और कुमार से मिलने के पश्चात, उसे लगता है -वो लड़का जैसा दीखता है ,वैसा है नहीं ,इसीलिए शिल्पा की ममेरी बहन ही सही ,किन्तु उसे समझाने का प्रयास करती है ,क्या नित्या समझ पायेगी ?जानने के लिए चलिए आगे बढ़ते हैं।