Khoobsurat [part 34]

नित्या ने ,कुमार को फोन किया किंतु कुमार ने, उसका फोन नहीं उठाया। वह जानना चाहती थी, आखिर उसने यह विज्ञापन कहां से प्राप्त किया था ?और उसने ये मुझे ही क्यों दिया था ? किन्तु जब कुमार ने नित्या का फोन ही नहीं उठाया तो उसे जवाब भी नहीं मिल पाया । शिल्पा ,नित्या के माध्यम से अपने सवालों का जबाब चाहती थी, उस जवाब को पाने के लिए, शिल्पा ने सोचा- अब मुझे ही, कुमार से मिलना होगा , मैंने उसे' प्रतियोगिता स्थल' में नहीं बुलाया था फिर वह ,वहां कैसे पहुंच गया ? कुछ प्रश्न ,बार-बार मन में उमड़ रहे थे, सच्चाई के बिना जाने किसी पर क्रोध भी नहीं किया जा सकता, इसलिए शिल्पा ने सोचा - उनका जवाब अब कुमार ही देगा किंतु कुमार तो कॉलेज ही नहीं आ रहा था। तब उसके कॉलिज के दोस्त विनीत ने बताया,' कि कुमार के साथ दुर्घटना हो गई है। 


शिल्पा, कुमार के साथ दुर्घटना को सुनकर, उससे मिलने जाना चाहती है किंतु उस लड़के ने, कुमार के  घर का पता बतलाने से भी इनकार कर दिया। उसने शिल्पा को सांत्वना दिया - कि फ़िक्र करने की कोई बात नहीं है , कुछ ही  दिनों में, कुमार कॉलेज भी आ जाएगा।

कुमार के घर, उसके दोस्त, उसके साथ बैठे हुए चाय -नाश्ता कर रहे हैं। सभी का हंसी -मज़ाक चल रहा है ,कहीं बाहर घूमने चलते ,थोड़ा ठंडा और मस्ती करते ,यहाँ हमें बैठाकर, बूढ़ों की तरह चाय -नाश्ता करवा रहा है। ये तूने, क्या नाटक लगा रखा है ? वो तुझे ढूंढ रही है, तुझसे मिलना चाहती है और तू यहाँ दुर्घटना का बहाना लिए अपने घर में बैठा है।   

यार !तूने उससे क्या कहा ?हँसते हुए सोफे की मेज के सामने पैर फैलाकर बैठते हुए कुमार ने पूछा।  

मैंने उससे कह दिया-कि उसके साथ यानि तेरे साथ दुर्घटना हो गई है,उसे बहुत चोटें आईं हैं  

यह क्यों कह दिया ?झल्लाते हुए कुमार ने कहा। 

और क्या करता ? वो तुझसे मिलना चाह रही थी ,पूछ रही थी ,इतने दिनों से कॉलिज क्यों नहीं आ रहा ? 

ऐसे ही, कुछ भी झूठ बोल देता , वह मुझसे मिलने यहाँ आ गई तो क्या होगा ?

इस बात का भी मैंने पहले ही 'पत्ता साफ कर दिया है' , मैंने उससे कह दिया है -कि उसके परिवार वाले, इस तरह किसी लड़की का, उनके घर आना पसंद नहीं करेंगे। 

 ये तूने ठीक किया कहते हुए उसकी पीठ थपथपाई जैसे उसे, इस बात के लिए शाबाशी दे रहा हो। वह तो ठीक है, जब मैं कॉलेज जाऊंगा , तब भी तो वह मुझसे यही सवाल पूछेगी , जिसके लिए मैं तीन दिनों से उसके सामने नहीं आ रहा हूं। 

तू उसके सवालों का जवाब क्यों देगा ? तूने तो उसे वह विज्ञापन दिया ही नहीं था,फिर भी मुझे लगता है ,वो तुझसे इतना प्यार करती है ,तेरी हालत को देखकर वो कुछ भी पूछने वाली नहीं है,तू अभिनय ऐसा करना जैसे मरते -मरते बचा है, फिर देखना अंधी मोहब्बत का कमाल !   

तुझे ऐसा क्यों लगता है ? कि वो मुझसे प्यार करती है,वो भी अँधा ! 

मुझे ही नहीं, तुझे भी ऐसा ही लगता है ,जबसे तूने उससे दोस्ती की है ,उससे बातें करने लगा है ,उसके मन में तेरे लिए बहुत कुछ है वरना उसे कौन घास डालता ?मुँह बनाते हुए बोला - किन्तु तूने घास डाली और उसने खाई भी...... तू इन लड़कियों को नहीं जानता है ,ये इतनी भावुक होती हैं यदि कोई इनसे झूठे ही ,प्यार से, सम्मान से बात कर ले ,ये उसकी गुलाम हो जाएँ ,प्यार में पड़ जाएँ तो दुनिया इधर की उधर हो जाये किन्तु उसका साथ नहीं छोड़ेंगी। 

तूने तो लड़कियों पर बड़ा शोध किया है ,तू इन लड़कियों की फ़ितरत को नहीं समझता है ,ये एकदम झूठी ,गिरगिट की तरह रंग बदलने वाली होती हैं। वह नित्या भी तो मुझे फोन कर रही है , फोन उठाते ही, वह मुझसे मिलना चाहेगी और यही सब पूछेगी कि मैंने उसके साथ ऐसा क्यों किया ? तुमने मुझे फ्रॉड विज्ञापन क्यों दिया ? जब मैं मना करूंगा तो कहेगी -ये तुम्हें किसने दिया ?लड़कियों की आवाज बनाते हुए बोला और हंसने लगा।   

तभी विभोर नाराज होते हुए कुमार से बोला -तूने यह सब क्यों किया? तुझे यह सब नहीं करना चाहिए था। हो सकता है, उस लड़की के साथ कुछ ज्यादा ही गलत हो गया होता तो क्या होता ?

मैं,  कुछ भी जानबूझकर नहीं करना चाहता था किंतु उन दोनों के झूठ ने, मुझे यह सब करने पर मजबूर कर दिया,क्रोधित स्वर में कुमार बोला। 

 अरे! उन्होंने, ऐसा क्या झूठ बोल दिया?जो तू ऐसी 'गिरी हुई हरक़त पर उतर आया।' 

 मैं तो सच्चे दिल से, कला और कलाकार की पूजा करना चाहता था किंतु मुझे लगता है, उन्होंने अपना नाम ही नहीं अपनी फितरत भी बदली है। हमारे कॉलेज की शिल्पा है न.... उसने मुझसे कहा था -कि वह' तमन्ना' को नहीं जानती किंतु मुझे लगता है ,वे दोनों मिली हुई हैं । 

ऐसा, तुम्हें क्यों लगता है ?

क्योंकि जो विज्ञापन मैंने  नित्या को सबक सिखाने के लिए दिया था, वहीं विज्ञापन शिल्पा के पास मिला इससे बड़ा और क्या सबूत होगा ?और जब मैंने  उससे यह पूछा -कि यह विज्ञापन तुम्हें कहां से मिला ? तो कह रही थी -बँट रहे थे, एक मुझे भी मिल गया। उनके इस झूठ के कारण ही, उसे सबक मिला है, सबक तो  में नित्या को सिखलाना चाहता था किंतु यह बेवजह ही, हमारे मध्य आ गई। आ गई तो आ गयी ,भुगतने दे परिणाम ! गुस्से से कुमार बोला 

ओह !तो यह कारण है , कुमार के कॉलेज के दोस्त विनीत ने कहा। अब तूने क्या सोचा है ? क्या तू कल कॉलेज आ रहा है ?

आना तो होगा ही किंतु तुझे अब उसे बतलाना होगा कि मेरी हालत बहुत खराब है,अंदरुनी रक्तस्राव हो रहा था बाहरी चोट इतनी नहीं थी, जितनी मेरे दिल में लगी है, कहते हुए उसका लहजा बदल गया और हंसा।

सच्चे  दोस्त का कर्त्तव्य होता है ,अपने दोस्त की गलती पर उसे रोके !इसीलिए मैं  तुझसे कह रहा हूँ ,तू उनसे मिल और तेरे मन में जो कुछ भी गलतफ़हमी है,उनसे बात करके निकाल दे। इस तरह साज़िशें करने से, मुँह छुपाने से कुछ नहीं होगा। 

तू अपनी सलाह अपने पास रख !तू चाहता है ,मैं उन दोनों झूठियों को झूठ बोलने का एक और मौका दूँ। 

ये भी तो हो सकता है,इस झूठ के पीछे उनकी कोई मजबूरी रही होगी, साहिल ने उनकी बातों को सुनकर अपनी बात रखी।   

शिल्पा बहुत दिनों से, कुमार के आने की प्रतीक्षा कर रही थी, कब वह आए और कब उससे, उसका हाल-चाल पूछे ! उसकी परेशानी के सामने, वह अपना मान- अपमान सब भूला चुकी थी। घर पर भी जाकर उसने नित्या को यही बताया था - कुमार की तबीयत बहुत खराब है, अब तू उससे कुछ भी मत पूछना ! जो हो गया सो  हो गया ,अब उसे लौटाया तो नहीं जा सकता। पहले वह ठीक हो जाए तब आगे बात करेंगे या अब इस बात को यहीं भुला देते हैं ,अब इस विषय पर कोई बात नहीं होगी। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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