Khoobsurat [part 35]

 शिल्पा का ,एक-एक दिन मुश्किलों से कट रहा था, वह प्रतिदिन कॉलेज के मुख्य द्वार पर, नजरें टिकाये देखती रहती, काश ! कि कुमार आज आ जाए। एक दिल किया, किसी तरह उसके घर का पता चल जाए और मैं, उड़कर उसके समीप पहुंच जाऊं, व्याकुलता बढ़ती जा रही थी।रात्रि में तो, उसने स्वप्न में भी देखा -कुमार बहुत सारी पट्टियों में लिपटा हुआ है ,वो बेहद दर्द में है ,वो घबराई हुई, उससे बात करना चाहती है किन्तु उसके मुख से बोल ही नहीं निकल रहे हैं ,वो बहुत तेजी से बोलती है और कुमार से उसकी हालत के विषय में जानना चाहती है ,किन्तु वो उससे कैसे बात करे ?उस तक शिल्पा की बात पहुंच ही नहीं पा रही है। वो पसीने से लथपथ हो जाती है,वो उसे समझाना चाहती है किन्तु वो शिल्पा को देख ही नहीं पा रहा है।  उसकी बेचैनी इतनी बढ़ जाती है, जिसके कारण उसकी ऑंखें खुल जाती हैं।


 उस अँधेरे कमरे में ,रौशनी के नाम पर एक छोटा सा बल्ब जल रहा था। उस रौशनी में अपने आस -पास देखती है ,बराबर में नित्या, पड़ी सो रही है। शिल्पा का गला सूख रहा था, वो जग में से पानी लेकर पीती है  और मन ही मन सोचती है ,'मैं भी न जाने कहाँ उलझ गयी ? वो इतना भी बीमार नहीं है ,सारा दिन उसके विषय में सोचने के कारण ही ऐसा सपना आया है। तब वो लेटकर एक गहरी साँस लेती है ,और धीमे से आँखें बंद कर लेती है।  

 चार दिनों के पश्चात, कुमार ने कॉलेज में प्रवेश किया, उसके हाथ और सिर पर पट्टी बंधी हुई थी। शिल्पा को देखते ही, उसने ऐसा अभिनय किया जैसे उसे अभी भी बहुत दर्द हो रहा है। शिल्पा दौड़कर, उसके करीब गई और उससे पूछा - तुम ठीक तो हो। 

हां, मैं बिल्कुल ठीक हूं, कहते हुए कुमार ने,शिल्पा को नजरअंदाज कर अपने दोस्त की तरफ देखा और बोला -जरा मेरे बैग में से, बोतल निकालना, मुझे दवाई लेनी है।

 लाओ ! मैं दे देती हूं , कहते हुए उठकर आगे बढ़ती है, तभी वह उसका हाथ पकड़ कर अपने समीप खींचता है और कहता है -तुम यहां बैठो ! पता नहीं कैसे ? जिस दिन तुम्हें लेकर आया था, और तुम्हारे घर के सामने तुम्हें छोड़कर गया था तभी एक मोटरसाइकिल से टक्कर हो गई। 

मोटरसाइकिल से टक्कर हुई , किंतु तुम्हारा दोस्त तो कह रहा था -कि गाड़ी से टकरा गया था। 

उसे कहां ध्यान रहता है ? वह मोटरसाइकिल को भी गाड़ी ही कहता है, तुम बताओ ! तुम्हारी चित्रकारी  कैसी चल रही है ? इससे पहले की, शिल्पा उससे कुछ और कहती, वह कहने लगा, जैसे कि वह जानता है कि अब वह क्या पूछने वाली है। मुझे तो बस, तुम्हारी ही फ़िक्र हो रही थी ,न जाने तुम पर क्या बीत रही होगी ?

नजरें नीची करके शिल्पा कहती है - मैं ,ठीक हूँ , जब तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है, तो तुम्हें कॉलेज नहीं आना चाहिए था, सहानुभूति से शिल्पा ने कहा। 

मुझे इस बात का बहुत दुख है, तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं हुआ, वो तो अच्छा हुआ ,मैं समय पर वहां पहुंच गया ,शिल्पा पर एहसान जताते हुए बोला।  

 तुम यह सब छोड़ो ! तुम अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखो !जो हो गया, सो हो गया।सच में ही, तुमने मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है।  

तुम्हारी यही बातें तो मुझे, बहुत अच्छी लगती है, बड़े मधुर स्वर में कुमार बोला -आज के समय में ऐसा कौन है जो अपना इतना समय देता है, अब देखो! तुम्हारी क्लास है और तुम यहां बैठी हो,जहरीली मुस्कान के साथ बोला।  

दोस्त, किस लिए होते हैं सुख-दुख में साथ देने के लिए ही तो होते हैं। बातें करते हुए, कुमार अपना दूसरा हाथ शिल्पा के कंधे पर रखता है और कहता है -कोई तुम्हें कुछ भी कहे ,किंतु तुम्हारी सादगी की समानता  कोई नहीं कर सकता। आज कुमार के मुख से अपने लिए, ऐसे शब्द सुनकर शिल्पा गदगद हो उठती है।

 मेरा विषय स्मरण करने का नहीं बल्कि अभ्यास करने का है। बचपन से ही मुझे चित्रकारी का शौक रहा है इसीलिए तुम मेरी फिक्र ना करो, तुम अपना ख्याल रखो ! कुमार के  हाथ को अपने कंधे से हटाते हुए -अच्छा, अभी मैं चलती हूं, समय से दवाई लेते रहना। क्या खाना लेकर आए हो ?

मैं तो बिना बताए ही, घर से चला आया घरवाले तो आने ही नहीं दे रहे थे, यार ! वे ,मुझे इतना प्यार क्यों करते हैं ?

तुम हो ही इतने अच्छे, तुमसे कौन प्यार नहीं करेगा ?

क्या तुम करती हो ? कुमार ने सीधे- सीधे शिल्पा से प्रश्न पूछा। 

शिल्पा को, उससे इस तरह के प्रश्न की उम्मीद नहीं थी, वह बुरी तरह घबरा गई और बोली - अभी मैं चलती हूं और तुरंत कमरे से बाहर आ गई। यह मेरे जीवन में क्या हो रहा है ? एक तरफ मेरा अपमान और बेइज्जती होती है, दूसरी तरफ मुझे, कुमार का प्यार मिल रहा है, जिसकी मुझे महीनों से उम्मीद थी। एकदम मेरे जीवन में इतना बड़ा परिवर्तन आ जाएगा, मैंने सोचा भी नहीं था। मुझे खुश होना चाहिए किंतु घबराहट हो रही है इतनी खुशियां मुझे एक साथ कैसे मिल सकती हैं ? आज कुमार ने स्वयं ही मुझसे पूछ लिया, मैं क्या जवाब देती ? उसे तो सुंदर लड़कियां और सुंदर पेंटिंग पसंद है, कहीं वह मुझसे  मजाक तो नहीं कर रहा है ?

 शिल्पा, अपने आपको समझाती है -शिल्पा, इस सपने से जाग जा ! यह तेरा भरम भी तो हो सकता है ,वो तो 'तमन्ना' से प्रेम करता है ,फिर मुझसे क्यों ? शिल्पा आज कॉलिज से शीघ्र ही घर आ गयी ,घर आते ही सीधे अपने कमरे में जाती है और अपने आपको आईने में निहारती है। एक साधारण सा अक्श आईने के सामने खड़ा अपने आपको पहचानने का प्रयास कर रहा था। ये जो सामने खड़ा है ,वो एक शरीर है किन्तु जो आईने के इस तरफ़ है वो एक सुंदर भावना है ,मचलते अरमानों की एक प्यास है ,जिसको एक सुंदर जीवन की आस है। एक भावुक नन्हा सा दिल जो धड़क रहा है ,कुमार के लिए ,ये कान उसके सीने से लगकर उसके ह्रदय की धड़कनों को सुनना चाहते हैं। उसकी धड़कनों की ताल पर ,ये धड़कनें भी ताल मिलाना चाहती हैं। यह सम्पूर्ण तन, उसके लिए सजना चाहता है ,कहते हुए उसने अपने चेहरे पर क्रीम और पाउडर लगाना आरम्भ किया। आज उसका मन खुश है ,वही प्रसन्नता उसके चेहरे पर एक अजब सा नूर ले आई थी। कुमार की दुल्हन बनने पर मैं कैसी लगूंगी ?सोचते हुए. बिस्तर पर पड़े दुपट्टे को उठाया और अपने सिर पर ओढ़ लिया। 

कैसी लगी ?कुमार की दुल्हन कहते हुए ,अपने अक्श से पूछा। स्वयं ही, जबाब देती है ,दिल की मासूम है ,भोली है ,सबसे बड़ी बात इसके दिल में कुमार बसता है, कहते हुए झूमने लगी और बिस्तर पर लेट गयी जैसे वो कोई सुंदर ख्वाब देख रही हो। 

तभी दरवाजा खुला और नित्या ने प्रवेश किया ,आते ही नित्या ने प्रश्न किया - आज तू बड़ी जल्दी घर आ गई। 

क्यों ?आ नहीं सकती ,दिल किया, आ गयी। 

ये क्या जबाब हुआ ?क्या कोई बात है ?अरे !हाँ ,क्या आज वो लड़का कुमार कॉलिज आया या नहीं। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post