Prem

लज्ज़ा ,लिहाज़ !शृंगार,सुकुमार है ,प्रेम !

स्वच्छंद विचरण करता, विहार है ,प्रेम !

कोमल ,भावुक ह्रदय ,विश्वास है ,प्रेम !

कल्पनाओं में खोया साकार है , प्रेम !



विरह में भी ,धधकता, बढ़ता है ,प्रेम !

टूटकर कर भी ,किसी की चाहत में ,

बिखरता ,तड़पता, इक आशा है प्रेम !

छलकते अश्रुओं का गुब्बार है ,प्रेम !


मधुर , सुंदर, मोहिनी तान है ,प्रेम !

ह्रदय की ध्वनियों में बसता है ,प्रेम !

मनमोहिनी सा निःस्वार्थ है , प्रेम !

कोमल,पाक ह्रदय,नटखट  है , प्रेम !


घूंघट में मुस्कुराता ,चंचल है ,प्रेम !

कभी विरह तो कभी शृंगार है ,प्रेम !

कभी बंधन तो कभी मुक्ति का द्वार है ,प्रेम !

दर्द की अनुभूति ,सुख का एहसास है ,प्रेम !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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