लज्ज़ा ,लिहाज़ !शृंगार,सुकुमार है ,प्रेम !
स्वच्छंद विचरण करता, विहार है ,प्रेम !
कोमल ,भावुक ह्रदय ,विश्वास है ,प्रेम !
कल्पनाओं में खोया साकार है , प्रेम !
विरह में भी ,धधकता, बढ़ता है ,प्रेम !
टूटकर कर भी ,किसी की चाहत में ,
बिखरता ,तड़पता, इक आशा है प्रेम !
छलकते अश्रुओं का गुब्बार है ,प्रेम !
मधुर , सुंदर, मोहिनी तान है ,प्रेम !
ह्रदय की ध्वनियों में बसता है ,प्रेम !
मनमोहिनी सा निःस्वार्थ है , प्रेम !
कोमल,पाक ह्रदय,नटखट है , प्रेम !
घूंघट में मुस्कुराता ,चंचल है ,प्रेम !
कभी विरह तो कभी शृंगार है ,प्रेम !
कभी बंधन तो कभी मुक्ति का द्वार है ,प्रेम !
दर्द की अनुभूति ,सुख का एहसास है ,प्रेम !