khoobsurat [part 26]

उस विज्ञापन के माध्यम से, कुमार को पता चल जाता है, कि शिल्पा, तमन्ना को जानती है क्योंकि वह जानता है, वह विज्ञापन उसने, स्वयं अपने दोस्त की 'प्रिंटिंग प्रेस' पर छपवाया था। ऐसी कोई प्रतियोगिता होनी ही नहीं थी , वह तो नित्या को परख रहा था। तब वह सोचता है-कि तमन्ना और शिल्पा का क्या संबंध हो सकता है ?शिल्पा ने मुझसे झूठ क्यों बोला ? उसे सोचते हुए देखकर, शिल्पा उससे पूछती है -क्या सोच रहे हो ?

 मैं सोच रहा हूं,क्या चित्रकारी कोई भी कर सकता है ?


हाँ ,वो तो उसके हाथों में वो, प्रतिभा होनी चाहिए ,अथवा उसका शौक !जिसके लिए ईश्वर ने उसे भेजा है। 

तुममें भी और' तमन्ना' में भी,वो प्रतिभा है किंतु वह लड़की सुंदर होने के साथ-साथ, दिल से सुंदर नहीं है, उसका व्यवहार भी अच्छा नहीं है , मुझे तो लगता है, वह एक झूठी लड़की है। कुमार के नित्या के प्रति, ऐसे विचार सुनकर, शिल्पा मन ही मन प्रफुल्लित हो उठी। तुम जो भी हो, सामने हो, एक झूठ तो नहीं हो और मुझे झूठ से सख़्त नफ़रत है ,कहते हुए उसके चेहरे पर क्रोध का जो भाव आया ,उसे देखकर शिल्पा एकदम से सहम गयी। 

अपने को नियंत्रित कर ,अचानक ही कुमार के मन में एक विचार कौंधा ,अच्छा एक बात बताओ ! क्या ऐसा भी हो सकता है ?कोई लड़की बड़ी अच्छी कलाकार हो किन्तु किसी कारणवश मजबूर है किन्तु दूसरी लड़की को कुछ भी नहीं आता किन्तु पहली लड़की जो किसी कारणवश मजबूर है उसकी कला का श्रेय स्वयं ले लेती है। 

कुमार की बात सुनकर ,शिल्पा मुस्कुराई और वह समझ गयी,वो  किसके विषय में बातें कर रहा है?तब वो बोली -हाँ ,ऐसा अक़्सर हो जाता है ,ये तो पहले से ही होता आया है -'बड़ी मछली ,छोटी मछली को अपना भोजन बना लेती है ,कभी उसकी सहायता नहीं करती ,उसकी सुरक्षा का दायित्व अपने ऊपर नहीं लेती।' ये तो पहले भी होता आया है ,रचना किसी की है किन्तु कई बार कोई और उसे अपने नाम से छपवा लेता है। इसे 'कला' की चोरी कहते हैं किन्तु कोई कलाकार अपने हाथ में वो कला का जादू रखता है तो उसकी कलाकृति को तो चुरा लेगा किन्तु उसकी प्रतिभा को नहीं चुरा पायेगा। 

 तुम्हारी यह सच्चाई ही मुझे, बहुत पसंद आई। तुम इस प्रतियोगिता में भाग ले सकती हो, अच्छा! यह तो बताओ ! किस विषय पर, तुम पेंटिंग बनाओगी ?

कुमार ने इतने प्यार से पूछा -तब शिल्पा खुश होते हुए बोली -तुम जो भी बोलोगे, उसी विषय पर बनाऊंगी। 

मेरे कहने से नहीं, जिसके लिए भी तुम्हारा दिल करता है, तुम क्या महसूस करती हो ? यह बहारों का मौसम है , ऐसे में तुम क्या महसूस करती हो? कहते हुए कुमार ने उसके चेहरे पर आई, लटा को उसके कान के पीछे खोंस दिया। 

आज ये ऐसा पहली  बार हुआ था ,जब किसी ने उसे,इतने प्यार से ,इस तरह देखा था। शिल्पा के ह्रदय की  बगिया में तो सैंकड़ों रंग -बिरंगे फूल खिल उठे थे। ये चीजें कहने की नहीं महसूस करने की होती हैं और शिल्पा ने भी वही महसूस किया। 

आज जैसे हवा में उसका आंचल लहराया, उड़ते बादलों को, वह अपनी बाँहों में भर लेना चाहती थी। खुशी की तरंगों ने उसे हवा के झोंके सा उड़ाया।उस महकती बयार को अपने में समा लेना चाहती थी।  मन ही मन सोच रही थी- अब की बार एक ऐसी पेंटिंग होगी, जिसमें कई रंग होंगे। खुशियों से परिपूर्ण, खुशियों के रंग होंगे। एक बार तो दिल ने उसे समझाना चाहा , हो सकता है , उसे भ्रमित किया जा रहा हो ,उसे कोई गलतफ़हमी हुई हो। यह उसने प्यार में नहीं ,ऐसे ही कर दिया हो। किन्तु शिल्पा तो जैसे अपने दिल की बात सुनना ही नहीं चाहती थी। ये दिल भी अगर, उसके सपनों को तोडना चाहेगा ,तो वो उसकी भी नहीं सुनेगी। ज्यादा नहीं ,कभी -कभी तो दिल के बहक जाने का मन करता है ,मन में ले उमंगों को, उड़ान भरने का मन करता है ,आज वो उस उड़ान को भरना चाहती थी। 

आज शिल्पा के कैनवास पर कुछ अलग ही रंग उभरकर आ रहे थे,लाल ,गुलाबी ,नीले ,पीले ,उन रंगों से एक खूबसूरत कलाकृति ने जन्म लिया। सरसों के खेतों में उड़ान भरती एक नायिका !भले ही वो शिल्पा की एक कल्पना थी किन्तु उसमें आत्मा उसकी स्वयं की थी, जो आज बेहद प्रसन्न है। 

यह पेंटिंग तो तुमने बहुत खूबसूरत बनाई है ,लगता है ,जैसे ये लड़की अपनी खुशियों की उड़ान भरती, इस जगह पर आ गयी है ,लगता है ,इसकी मुस्कान से इन पुष्पों ने भी मुस्कुराना सीख लिया है। क्या ये पेंटिंग उस प्रतियोगिता के लिए बनाई है ?नित्या ने पूछा। 

नहीं ,इसे  मैंने अपने लिए बनाया है ,अपनी भावनाओं को इसमें कैद किया है ,ये मेरी अब तक की सबसे बेहतरीन कलाकृति उभरकर आई है। 

हाँ वो तो है ,हमारी भावनाओं का असर हमारे कार्य पर भी पड़ता है ,लगता है ,आज तुम बेहद खुश हो। क्या बात है ?क्या कुछ हुआ है ?

नहीं ,ऐसा तो कुछ भी नहीं है ,कहते हुए शिल्पा को कुमार की बात स्मरण हो आती है ,जब उसने ,उसके चेहरे से वो लटा हटाई थी ,यही सब सोचकर शिल्पा के चेहरे पर फिर से एक मुस्कान आ गयी। वो कोमल कली सी खिल उठी ,उसकी आज की मुस्कान ने उसके चेहरे पर एक नया नूर ला दिया था। जैसे कोई नई दुल्हन शर्माती है ,उसकी वो मुस्कान ,उसके चेहरे की चमक ,अपने पिया से मिलने पर उसकी वो शर्म ,उसे सबसे अलग करती है। आज ऐसा ही कुछ, शिल्पा के चेहरे से लग रहा था।

नित्या ,समझ गयी ,आज अवश्य ही ऐसा कुछ हुआ है जिसके कारण शिल्पा प्रसन्न नजर आ रही है। तब उसने पूछा - क्या तुझसे  कुमार ने कुछ कहा है। 

नहीं ,तो..... कहते हुए मुस्कुरा दी। 

अवश्य ही कुछ तो हुआ है ,वरना जो लड़की सारा दिन परेशानियों में घिरी रहती थी,घिरी नहीं रहती थी बल्कि परेशानियों को बलात ही अपने ऊपर ओढ़ लेती थी , आज उसके चेहरे पर ये मुस्कान, कैसे ?

मुझे उस प्रतियोगिता में हिस्सा जो लेना है और अबकी बार 'तमन्ना 'बनकर नहीं वरन शिल्पा बनकर ही लूंगी क्या ये, इस ख़ुशी के लिए कम बड़ी बात है ?

कह तो तुम, सही रही हो ?किन्तु इससे पहले भी तो प्रतियोगिताएं हुई थीं। 

उनमें और इसमें बहुत अंतर् है। 

क्या अंतर् है ?यही न.... अबकि बार कुमार तुम्हारे साथ है, हँसते हुए नित्या ने पूछा। 

शिल्पा मुस्कुरा दी और गर्दन हिलाकर कहा  -हम्म्म्म  !   

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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