Krishnaavtar

       यदा -यदा हि धर्मस्य ,ग्लानिर्भवति भारत। 

       अभ्युत्थानम धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम।

भगवत गीता के इस श्लोक का अर्थ है -''जब जब धर्म की हानि होती है ,और अधर्म बढ़ता है ,तब -तब मैं[भगवान ] अवतार लेता हूँ।  


पृथ्वी पर धर्म की रक्षा करना और अधर्म के नाश के लिए भगवान विष्णु ने द्वापर युग में कृष्ण अवतार लिया। उस समय अत्याचारी कंस का अत्याचार चरम सीमा पर था। जनता '' त्राहिमाम त्राहिमाम'' कर रही थी । तब उनकी रक्षा के लिए श्री कृष्ण ने  देवकी के आठवें  पुत्र के रूप में जन्म लिया, तब कृष्ण ने प्रेम, भक्ति और कर्मयोग का संदेश दिया। प्रेम, भक्ति और कर्म योग के माध्यम से ही मुक्ति का द्वार सुझाया।  

अष्टमी तिथि में ही जन्म क्यों ?- भाद्रपद की अष्टमी तिथि मध्य रात्रि को जन्म लेने का मुख्य कारण 'चंद्रवंशी' होना था। त्रेता युग में भगवान राम' सूर्यवंशी' थे क्योंकि उनका जन्म सुबह हुआ था, श्री कृष्ण के पूर्वज' चंद्रदेव' के पुत्र थे इसलिए भगवान ने जन्म के लिए बुधवार का दिन चंद्रमा की पत्नी रोहिणी व नक्षत्र भी है इसी कारण रोहिणी नक्षत्र में भगवान ने जन्म लिया अष्टमी तिथि को शक्ति का प्रतीक माना जाता है इसी शक्ति के माध्यम से भगवान विष्णु सम्पूर्ण  ब्रह्मांड का संचालन करते हैं इसीलिए उन्होंने जन्म लेने के लिए, यह दिन चुना चंद्रदेव जी की इच्छा थी कि वह उनके कुल में जन्म लें । 

श्री कृष्ण देवकी के आठवें पुत्र ही क्यों - भविष्यवाणी के आधार पर देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया। इनसे पूर्व जिन्होंने श्रीकृष्ण के बड़े भाइयों के रूप में जन्म लिया ,वे सभी ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे ,जिन्हें श्राप मिला हुआ था कि वो राक्षस योनि को प्राप्त हो जाएँ। उस योनि से मुक्ति का कारण कंस द्वारा उनका मारा जाना था इसीलिए वे कंस के हाथों मारे गए।    

गुरु -उन्होंने वेद ,धनुर्विद्या,कलाओं इत्यादि  ज्ञान के लिए'' संदीपनी ऋषि ''को गुरु बनाया और उन्हें गुरु दक्षिणा में उनका पुत्र यमराज से छुड़ाकर लौटाया। प्रेम और भक्ति का गुरु इन्होने 'राधा 'को माना जिसके माध्यम से उन्होंने जाना प्रेम की पराकाष्ठा क्या है ?वे प्रेम की सीढ़ी चढ़े। उन्होंने अनेक लीलाएं कीं ,अनेक राक्षसों को मारकर उन्हें मुक्ति का द्वार दिखलाया।

योगी क्यों कहा गया ?- वे स्वयं एक महान योगी थे ,उन्होंने अर्जुन को भी योग का ज्ञान दिया ,कर्म योग ,ज्ञान योग ,भक्ति योग का उपदेश दिया इसलिए उन्हें 'योगेश्वर 'भी कहा जाता है। 

प्रेरक -  उनका जीवन भी सामान्य जन के लिए प्रेरक है। उन्होंने और उनके परिवार ने जेल में अनेक कष्ट सहे, जेल में ही उनका जन्म हुआ। जन्म होते ही ,उन्हें अपने माता -पिता से दूर कर दिया गया ताकि कंस की कुदृष्टि उन पर न पड़े। अपने ही मामा ने, उन्हें मारने का षड्यंत्र रचा। यशोदा -नंदबाबा के घर उनका लालन -पालन हुआ किन्तु वो अपना कर्म करते रहे ,जीवन में आगे बढ़ते रहे ,कुछ लोग प्रसन्न हुए तो कुछ नाराज भी हुए और उन्हें भी श्राप का दंश झेलना पड़ा। उनका स्वयं का बेटा उनके कुल का नाश का कारण बना।

 वे कुशल राजनीतिज्ञ भी थे ,महाभारत में उन्होंने  रणनीति ,कूटनीति का भली -भाँति प्रयोग किया। कुशल वक्ता होने के साथ -साथ बुद्धिमान और व्यवहारिक थे।कब किससे  प्रेमपूर्ण व्यवहार करना है ,कब कठोर बनना है ?वे अच्छे से समझते थे। सामान्य लोग उनके जीवन चरित्र को पढ़ , अपना दुख भूल ही जाते हैं।  यह जीवन कष्टों से परिपूर्ण है ,इसने ईश्वर के अवतार को भी सुकून से जीने नहीं दिया,उनके सामने भी अनेक चुनौतियां आईं ,जिन चुनौतियों का उन्होंने कभी कठोरता से, तो कभी कूटनीति से ,तो कभी प्रेम और अच्छे प्रबंधन से ,सामना किया। आज ऐसे महान राजनीतिज्ञ ,महाप्रबन्धक ,योगिराज ,राष्ट्रनायक ,प्रेमी ,माखन -मिश्री चुराने वाले बाल -गोपाल का जन्मदिन है। जिसको लोग अपने -अपने तरीके से मनाते हैं ,कहीं दही -हांड़ी भोड़कर ,तो कहीं व्रत रखकर और मिठाई ,मेवों से अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं ,उन्हें पलने में झुलाते हैं। 

                                                   '' हाथी -घोडा पालकी ,जय कन्हैया लाल की। ''  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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