Kesariya laharao

सुनो !सखी !आज केसरिया लहराओ !

घर -घर हो गूंजार !ऐसा कोई गीत सुनाओ !

वेद -पुराणों की धरा पर श्लोक मधुर सुनाओ !

सनातन धर्म की हो जय -जयकार ऐसा राग सुनाओ !


सुनो !सखी !आज केसरिया लहराओ !

उत्तर में हिम पर्वत भाल ,दक्षिण में है ,सागर बहता 

गंगा -जमुना की पावन धरा पर ,मंगल गान सुनाओ !

शस्य श्यामला धरा पर गूजें, कोयल की कुक सुनाओ !

सुनो ,सखी !आज केसरिया लहराओ !

पंच नदियों का' 'पंजाब'' है, कहाता ,

लहराती फसलों को देखो !धन -धान्य से खेत भरे हैं।  

खुशियों का त्यौहार है आया ,बैशाखी पर भांगड़ा- गिद्दा पाओ !

सुनो !सखी !आज केसरिया लहराओ !

शहीदों ने , आजादी में, अपने प्राण गंवाए। 

इस पावन धरा पर ऋषियों ने ,मंगल गान सुनाये।

गई कहाँ ? सोने की चिड़िया को , वापस लेकर आओ !

हर मानव की भूख मिटे यहाँ ,मिलकर हाथ बढ़ाओ !

सुनो ,सखी !आज केसरिया लहराओ !

 भारत में ,'जय हिन्द 'का नारा गूंजे ''राष्ट्र चेतना ''जगाओ ! 


 


 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post