सुनो !सखी !आज केसरिया लहराओ !
घर -घर हो गूंजार !ऐसा कोई गीत सुनाओ !
वेद -पुराणों की धरा पर श्लोक मधुर सुनाओ !
सनातन धर्म की हो जय -जयकार ऐसा राग सुनाओ !
सुनो !सखी !आज केसरिया लहराओ !
उत्तर में हिम पर्वत भाल ,दक्षिण में है ,सागर बहता
गंगा -जमुना की पावन धरा पर ,मंगल गान सुनाओ !
शस्य श्यामला धरा पर गूजें, कोयल की कुक सुनाओ !
सुनो ,सखी !आज केसरिया लहराओ !
पंच नदियों का' 'पंजाब'' है, कहाता ,
लहराती फसलों को देखो !धन -धान्य से खेत भरे हैं।
खुशियों का त्यौहार है आया ,बैशाखी पर भांगड़ा- गिद्दा पाओ !
सुनो !सखी !आज केसरिया लहराओ !
शहीदों ने , आजादी में, अपने प्राण गंवाए।
इस पावन धरा पर ऋषियों ने ,मंगल गान सुनाये।
गई कहाँ ? सोने की चिड़िया को , वापस लेकर आओ !
हर मानव की भूख मिटे यहाँ ,मिलकर हाथ बढ़ाओ !
सुनो ,सखी !आज केसरिया लहराओ !
भारत में ,'जय हिन्द 'का नारा गूंजे ''राष्ट्र चेतना ''जगाओ !