उस ज्योतिषी ने जो कुछ भी कहा ,उससे रूही को बहुत धक्का पहुंचा और वो वहां से भाग गयी। पारो भी, इस विषय में कुछ नहीं जानती थी ,रूही कौन है ,कहाँ से आई है ?उसकी पिछली जिंदगी में क्या हुआ था ?उसे तो उसकी मौसी ने बस इतना ही बताया था कि उसके साथ कोई बड़ी दुर्घटना हुई थी और उसका इलाज मौसाजी ने ही किया था ,तब से ये उन्हीं के साथ रह रही है। तब पारो ने उससे पूछा -ये सब जो आपने उस लड़की के विषय में बताया ,क्या वो सब सच है ?आपने जो भी कहा है ,सोच -समझकर कहा है क्योंकि आप नहीं जानती हैं ,इस बात से न जाने कितने लोगों के जीवन पर, क्या असर होगा ?
मैं जो भी कह रही हूं, सत्य कह रही हूं,' डंके की चोट पर कह रही हूं' , उसका विवाह भी हो चुका है, और वह विधवा भी हो चुकी थी। उसके मस्तक की रेखा और टैरो कार्ड भी यही बतला रहे है,जो उसका अतीत बता रहा है, वही मैं तुम्हें बता रही हूं। तुम सभी लोगों ने अपना भविष्य पूछा किंतु इस लड़की ने अपना अतीत पूछा। मैं समझ सकती हूं, तुम लोगों को मुझ पर विश्वास नहीं होगा। आप लोग, उस लड़की की छानबीन करो ! और पता लगाओ कि वह लड़की कौन है ?ये जहाँ रहती है ,उन्हें तो इसके विषय में सब मालूम होगा।
इसमें पता क्या लगाना है ? वो मेरे मौसा- मौसी की बेटी है , पारो ने जवाब दिया।
यह भी झूठ है, और तुम भी जानती हो , उसे अपनी बेटी की तरह पाल रहे हैं क्योंकि उनके कोई औलाद नहीं है, इसे ही अपनी औलाद मानने लगे हैं लेकिन वे इसके अतीत को नहीं जानते हैं। इस लड़की ने बहुत कष्ट सहे हैं, मौत को छू कर आई है,रह्स्य्मयी स्वर में बोली। पारो उसकी बातें सुनकर सोच में पड़ गयी।
उसे इस तरह सोच में देखकर,तब वो बोली - अभी यह मेला चार दिन और लगेगा अगर तुम्हें मेरी बात पर, कुछ भी शक हो तो मुझसे आकर पूछ सकती हो , यह ''जुगनी' कभी झूठ नहीं बोलती , कहते हुए बहुत तेज स्वर में बोली -जाओ !उनसे पूछो !जिनके यहाँ वह रह रही है ,हो सकता है ,वे सब कुछ जानते हों किन्तु अनजान बने हुए हैं।
उसकी बातें सुनकर पारो भी बाहर आ गई और अपने दोस्तों से बोली -क्या अभी और घूमना है ?
किंतु सभी ने, रूही की हालत देखी थी, उसकी हालत देखकर सभी बोले -अब बहुत घूम लिए देरी हो रही है अब हमें अपने-अपने घर जाना चाहिए।
रूही बहुत परेशान थी, वह सोच रही थी,' इस महिला ने, मेरे विषय में ऐसा क्यों कहा ? मेरा तो कभी विवाह हुआ ही नहीं , यदि हुआ होता तो मम्मी -पापा अवश्य बताते ,फिर यह सब उसने क्यों कहा ?आखिर मेरे साथ क्या हुआ था ?किसके साथ मेरा विवाह हुआ होगा ,हुआ भी होगा तो मुझे क्यों नहीं बताया ?उन लोगों ने मुझसे इतनी बड़ी बात क्यों छुपाई ?हो सकता है ,मैं फिर से किसी परेशानी में न फंस जाऊँ या फिर ये भी हो सकता है ,मैंने जो दर्द सहे हैं ,सोचा होगा ,अच्छा हुआ, भूल गयी वरना वे जीवनभर दर्द देते। अपने मन को समझाकर ,आगे बढ़ जाना चाहती थी ,तभी मन में फिर से एक विचार कौंधा ,यदि मेरा विवाह हुआ भी है तो किससे हुआ होगा ?उन लोगों ने मेरे साथ क्या किया होगा ? उसने सम्पूर्ण रास्ते किसी से भी बात नहीं की और घर आते ही, अपने कमरे में चली गई।
कमरे में आकर ,बिस्तर पर लेट गयी ,उसकी सांसे तेज़ चल रही थी , मन में घुटन सी महसूस हो रही थी।दिल -दिमाग में हलचल मची हुई थी। उसके मन -मष्तिष्क में वे बातें हथौड़े की तरह बार -बार वार कर रहीं थीं। वे लोग कौन थे ?तभी वो बिस्तर से उठी और कमरे में कुछ तलाशने लगी। तभी उसे स्मरण हुआ, अक्सर मुझे इसी तरह के सपने आते हैं। कहीं वे मेरी भूली स्मृतियाँ तो नहीं , इस बात का मैं, कैसे पता लगाऊ ?
'' पारो'' दो दिन के लिए कह कर गई थी किंतु यह तो शाम होने से पहले भी आ गई, रूही भी, मुझसे नहीं मिली और सीधी अपने कमरे में चली गई ,घर में ,एकदम से मायूसी सी छा गई। तारा जी को किसी अनहोनी का अंदेशा हुआ,तब उन्होंने पारो से पूछा - कुछ हुआ है, क्या ?
हां मौसी जी ! आज एक बहुत बड़ी बात हुई है , कहते हुए वो बोली -क्या मैं कल आ जाऊँ ? बाहर मेरे दोस्त खड़े हैं,वे मेरी प्रतीक्षा में हैं। तारा जी घबरा गयीं थीं, न जाने क्या हुआ होगा ?तब वो बोलीं -अपने दोस्तों को वापस भेज दो !आज रात्रि तुम यहीं रह जाओ !और मुझे पूरी बात बतानी होगी वरना मुझे रातभर नींद नहीं आएगी।
ठीक है ,मैं अभी आती हूँ ,कहकर वो बाहर गयी और अपने दोस्तों से बोली - आज मुझे यहीं रुकना होगा,रूही की हालत देखकर मौसीजी भी परेशान हो गयीं हैं। मैं कल आउंगी।
कोई बात नहीं ,तुम यहां सम्भालो !अभी हम चलते हैं ,कहकर वे लोग वहां से चले गए।
तब पारो ने घर के अंदर प्रवेश किया,तारा जी अभी भी, ऐसे ही बैठी हुई थीं ,वे जानना चाहती थीं ,रूही को उन्होंने इसीलिए तो बाहर भेजा था ताकि बाहर जाकर उसका मन बदले किन्तु यहाँ तो कुछ उल्टा ही हो गया। वो तो जाकर सीधे अपने कमरे में बंद हो गयी। तब पारो ,तारा जी से बोली -मौसीजी !आपने मुझसे क्या कहा था ?कि इस लड़की के साथ कोई दुर्घटना हुई थी।
हाँ ,इसके साथ कोई दुर्घटना ही हुई थी ,और ये एक वर्ष तक कोमा में रही और जब इसे होश आया तो यह सब कुछ भूल चुकी थी इसे अपना नाम तक याद नहीं था।
क्या इस बीच इसका कोई रिश्तेदार या परिवारवाला इसे खोजते हुए, नहीं आया।
आया ही नहीं होगा ,तभी तुम्हारे मौसाजी इसे यहां ले आये।
क्या आप लोगों ने, पुलिस में भी कोई सूचना नहीं दी।
दी होगी ,वो तो सभी क़ानूनी कार्यवाही तुम्हारे मौसाजी ने ही की होगी किन्तु मुझे तुम,मुझे ये बताओ !तुम लोग, घूमने के लिए गए थे ,तब इतनी जल्दी कैसे आ गए ? क्या वहां कुछ हुआ है ?रूही, भी सीधे अपने कमरे में चली गयी।
मौसीजी ! हम लोग यहां से चलते हुए एक मेले में पहुंच गए थे।
मेला !वे आश्चर्य से बोलीं -कैसा मेला था ?
किसी गांव में लगा था,तब हमने सोचा -चलो !गांव का मेला भी देख लेते हैं ,क्या आप जानती हैं ,रूही को जलेबी बहुत पसंद हैं ,उसने वहां खुश होकर जलेबी खाई।
अच्छा !हमें तो उसने कभी नहीं बताया।
ये बात तो वो वहां भी कह रही थी -वो स्वयं ही नहीं जानती कि जलेबी उसे पसंद हैं। आप आगे की बात तो सुनिए ,आगे क्या हुआ ?
क्या हुआ ?
हम लोग भूत -भविष्य देखने वाले भविष्यवक्ता के पास गए।
तुम लोग भी न.... इतने पढ़े -लिखे होकर, ये किस चीज में जाकर फंस गए ?
यूँ ही मस्ती के लिए ही गए थे ,पारो ने अपनी मौसी को समझाना चाहा ,पहले आप पूरी बात तो सुनिए !हमने उससे भविष्य पूछा और रूही ने उससे अपना अतीत जानना चाहा।
तब क्या हुआ ?