Bitiya ka ghar basne do !

 विपिन ! देख लीजिए ! यह लड़का भी गंजा है, लगभग 33 वर्ष का हो गया है ,केतकी अपने पति से बोली।  

अच्छा कमाता है, जब इंसान तरक्की करता है, तो किसी न किसी चीज से तो पीछे रह जाता ही है।कभी रिश्ते पीछे छूट जाते हैं तो कभी रूप -रंग साथ छोड़ देता है।  इससे पहले जो तुमने लड़का देखा था, तुम्हें उसकी पढ़ाई पसंद नहीं आ रही थी, तुम कह रही थीं - वह तरक्की नहीं कर पाएगा। कभी कहती हो , इसके पैसे कम हैं, इतनी महंगाई में यह खर्चे कैसे उठा पाएगा ?

अब इसमें, मैं क्या कर सकती हूं ? जो लड़का मुझे पसंद आ रहा था, वह 'मंगली' था उससे जन्मपत्री नहीं  मिल रही थी। 



अब सब तुम्हारे कहने से ही, थोड़ी न चलते है। इस तरह से, न जाने कितने लड़के हाथ से निकल गए ?

लड़कों में भी तो अहंकार भरा हुआ है, चार पैसे क्या कमाने लगे ? बात करने तक की तमीज ही नहीं रही है, आपको ,मेने बताया नहीं, मैंने एक से बात की थी, सरकारी अफसर था, सीधे मुंह बात ही नहीं की।वो क्या पढ़ा- लिखा है , जिसे बात करने तक की भी तमीज नहीं है। मैं उससे प्रश्न पूछ रही थी और वह हां और ना में जवाब दे रहा था और फिर कुछ प्रश्नों का तो उसने जवाब ही नहीं दिया। हम अपनी बेटी ब्याहने चले हैं, पूछताछ तो करनी ही होती है। आजकल आपको पता नहीं, क्या-क्या झूठ चल रहा है ? वेतन बताएंगे 150000  से 20000 का और बाद में पता चलता है उसे 70 या 80 हजार ही मिल रहे हैं। अब ऐसे में क्या करें ? यह भी तो देखना पड़ता है, बाहर लड़के जगह-जगह मुंह मार रहे हैं। गृहस्थी की ज़िम्मेदारियाँ उठाना ही नहीं चाहते। पहले समय में क्या लड़कियां कमाती थीं ?क्या तब विवाह नहीं होते थे ,या घर के खर्चे नहीं चलते थे ?

 क्या करें ?कहीं भी बात नहीं बन रही है। ऐसा ही कुछ लड़के वाले भी सोचते हैं ,अब लड़कियों के प्रति जो सम्मान का भाव था अब वो नहीं रहा ,अब तो उन्हें लगता है ,जब अपने को बराबर का मानती हैं तो बराबर की कमाई करें।  

 अब यह मुसीबत तो उन्होंने ही मोल ली है , लड़की भी नौकरी वाली चाहिए, घर- गृहस्थी भी संभाल ले, ऐसे कैसे चलेगा ?

 वो जो लड़का सब तरह से ठीक लग रहा था, उसको तो दहेज में 30 लाख की गाड़ी चाहिए। जीवन भर की कमाई उन पर ही लुटा दें इसीलिए तो हम कमा रहे हैं ताकि बेटी को ब्याहने  के लिए दूल्हे के रूप में डाकू आएंगे और जीवन भर की पूंजी लेकर जाएंगे। 

अब तुम्हें अच्छा लड़का चाहिए , तो दहेज तो देना ही होगा। 

 क्या हमारी लड़की नहीं कमा रही है ? जीवन भर कमा कर देगी , फिर भी दहेज़ चाहिए।हमने भी तो उसे उतना ही पढ़ाया फिर काहें की उम्मीद लगाते हैं। 

तुम दोनों की ये चिक -चिक मैं पिछले साल से सुन रही हूँ ,कोई गंजा है ,कोई कम कमा रहा है ,कोई उम्र में बड़ा है ,तुम दोनों की ये बातें सुन - सुनकर मैं  पक़ गयी हूँ। यही होता रहा तो ,इस तरह बिटिया का घर कभी नहीं बस पायेगा।उसकी उम्र भी बढ़ती जा रही है ,वो बच्ची नहीं रह जाएगी। कोई ठीक सा लड़का देखो !और ये देखो तुम्हें कैसा लड़का चाहिए ?थोड़ी बहुत कमियां तो सभी में होती हैं ,कोई भी पूर्ण नहीं होता, तभी तो कहते हैं -विवाह के पश्चात ही पूर्णता आती है ,अंदर से केतकी जी की अम्मा बाहर आकर बोलीं। 

अम्मा !यह सब हमारे सोचने से ही नहीं होता ,दूसरा भी तो सोचे ,उन्हें लड़की सुंदर ,लम्बी ,कमाऊं ,सुघढ़  ,कहना मानने वाली ,बाप से अच्छा सा दहेज़ लाये। माँ -बाप के सामने साडी ,लड़के के साथ वनपीस पहने। वे भी तो लड़की में हर चीज चाहते हैं। अब आप ही बताइये !जब हम अपनी ससुराल में आये थे तो हमें भी तो ,यहां के वातावरण में ढलने में समय लगा था या नहीं किन्तु आजकल की लड़की से उम्मीद रखते हैं आते ही सब सम्भाल ले। 

मैं मानती हूँ ,आजकल जमाना बदल रहा है किन्तु उस समय भी थोड़े से समझौते करने पड़ते थे आज भी यदि अपने बच्चों का घर बसाना चाहते हो तो ये कमियां निकालना छोडो !अच्छे रिश्ते के चक्कर में समय निकलता चला जायेगा। कब ये विवाह करेंगे ,कब बच्चे होंगे और कब अपने उत्तरदायित्व समझेंगे ?ये सब माता -पिता को ही सोचना होगा। मैं तो इतना ही कह सकती हूँ ,समय रहते ही, बिटिया का विवाह कर दो !तुम्हारी नोक -झोंक तो जीवनभर चलती रहेगी किन्तु अपनी' बिटिया का घर बसने दो !' 

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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