Khoobsurat [part 24]

कुमार ने, अभी शिल्पा से दोस्ती ही की है, वह भी, इसीलिए क्योंकि वह भी चित्रकला में, रुचि रखती है किंतु इस दोस्ती को वह कुछ और ही समझ बैठी है। उसे लगता है, इसी तरह से कुमार धीरे-धीरे उसकी ओर आकर्षित होगा। इस बीच मधुलिका, से भी कुमार की बातचीत होती है और एक दिन तो' मधुलिका' कुमार की मोटरसाइकिल पर बैठकर, कॉलेज ही आ गई थी। जब यह बात शिल्पा को पता चली, तो उसे बर्दाश्त ही नहीं हुआ कि मधुलिका उसकी सहेली होकर भी,उसे धोखा दे रही है ,मेरे ' कुमार' के क़रीब आने का प्रयास कर रही है। 

 अब शिल्पा यह प्रयास करने लगी, कुमार और मधुलिका का कभी, आमना -सामना न हो ,एक -दूसरे से मिलना कम ही हो, इसीलिए वह बहाना करके मधुलिका को अपनी कक्षा में भी ले जाती है और उससे कहती है -अब से तुझे मैं प्रतिदिन अपने साथ ही ले जाया करूंगी और लाया करूंगी और यह नियम वह पंद्रह दिनों से लगातार निभा भी रही है।  


'कुमार' नित्या के कॉलिज जाता है, हालांकि अब नित्या  उससे बचने लगी है क्योंकि वह उससे अक्सर चित्रकारी के विषय में बातें करता है। उसके विषय में अधिक से अधिक जानना चाहता है। एक दिन कुमार फिर से नित्या के कॉलेज पहुंच गया और उसने, नित्या को एक कागज पर छपा विज्ञापन दिखलाया और उससे बोला -यह तुम्हारे लिए बहुत सुनहरा अवसर है , इसमें बहुत से बड़े-बड़े कलाकार, हिस्सा ले रहे हैं। तुम्हें भी, इस प्रतियोगिता में, अपना योगदान अवश्य देना चाहिए। अभी तक तो तुम, अपने शहर की ही प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती आई हो। अब थोड़ा इस  शहर से भी बाहर आओ !

नित्या  को चित्रकारी में तो कोई दिलचस्पी नहीं थी,किन्तु कुमार के लिए , उस विज्ञापन को देखती हैं और कहती है -अबकी बार मैं किसी भी प्रतियोगिता में, हिस्सा नहीं ले पाऊंगी क्योंकि मेरे पास समय ही नहीं है और मुझे अपनी पढ़ाई भी पूरी करनी है। चित्रकारी तो मात्र मेरा शौक है। 

तुम, ऐसा कैसे कह सकती हो ?

सही तो कह रही हूं, यह चित्रकारी मेरा शौक है, मैं शौकिया चित्रकारी करती हूं, इससे जीवन तो नहीं चलेगा ,क्या तुम जानते हो ?रंग ,ब्रश,कैनवास  इत्यादि साधन जुटाने में कितना व्यय हो जाता है ? अब मुझे पढ़ाई पर भी ध्यान देना है। 

 कुमार को, उसके जवाब से, निराशा होती है, किंतु वह समझ रहा था, कि यह अपनी बात छुपाने के लिए ऐसा कर रही है। उस दिन तो, उसे पूर्ण विश्वास हो गया था, जब 'कॉफी हाउस' में उसके दोस्त' विभोर' से नित्या की मुलाकात हुई थी और उसकी सहेली ने बताया था -इसे कोई चित्रकारी नहीं आती है, यह तो ठीक से सीधी लाइन भी नहीं खींच सकती ,उस समय ये, किसी तरह बहाना बनाकर, वहां से चली गई थी। कुमार भी तो यही चाहता था , ताकि नित्या के झूठ की पोल खुले ,किसी और के  परिश्रम का श्रेय यह स्वयं ले रही है। न जाने ,वो' तमन्ना' कौन है ?जो सामने नहीं आना चाहती या फिर उसकी मजबूरी का ये लाभ उठा रही है।  

सच्चाई तो अभी, कुमार से कोसों दूर है ,नित्या तो बेचारी, शिल्पा के कारण, वैसे ही, फंस गई है और उसे सबसे झूठ बोलना पड़ा कि वह' तमन्ना' है किंतु अब यह सब उस पर भारी पड़ रहा था। हालांकि एक अच्छी कलाकार का उसको नाम मिला है लेकिन यह तो वह भी जानती है, कि इसमें तनिक भी सच्चाई नहीं है। कुमार, उसे अच्छा लगने लगा था और वह कुमार से सब बता देना चाहती थी, किंतु न जाने क्या सोचकर, चुप रह जाती है। 

घर जाकर नित्या, शिल्पा को वह विज्ञापन दिखलाती है, तब शिल्पा उत्साहित होते हुए कहती है -यह हमें बहुत बड़ा मौका हाथ लगा है। हमें इसमें हिस्सा लेना चाहिए। 

नहीं, अब मैं और झूठ नहीं बोल सकती, तेरे कारण मुझे बहुत झूठ बोलना पड़ रहा है और एक झूठ [तमन्ना ]का मुखौटा लगाकर घूमना पड़ रहा है और मैं यह भी जानती हूं कि जिस दिन भी यह मुखौटा उतरेगा , उस दिन बहुत अपमान भी झेलना पड़ सकता है , बहुत बदनामी होगी,इसीलिए मैंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया है, अब तुझे जो भी करना है अपने दम पर कर, मेरा नाम नहीं लेना है, क्या तू जानती है ? कुमार, अक्सर मुझसे मिलने आता है। 

क्या बात कर रही है ? उसने तो मुझे एक बार भी नहीं बताया, कि मैं' तमन्ना' से मिलने गया था। 

वह तुमसे क्यों कहेगा? वह कहां जाता है, किससे  मिलता है, यह उसका अपना निर्णय है।तुमसे क्यों कहेगा ? तुम उसकी क्या लगती हो ? वह मुझसे मिलने तो आता है, किंतु हमेशा मेरी छानबीन करता रहता है, मेरे विषय में जानकारी लेने का प्रयास करता है , जैसे उसे मुझ पर विश्वास ही न हो कि मैं चित्रकारी भी कर सकती हूं। ये बात मैंने तुम्हें बताई नहीं , तुम्हारे ही कारण, एक लड़की के सामने मेरी बेइज्जती भी हो गई। यह बहुत ही गलत हुआ है , जिस कार्य को मैं जानती ही नहीं, उसका श्रेय अपने ऊपर लेना गलत है।

 हालांकि कुमार एक प्रभावशाली व्यक्तित्व का मालिक है, हर लड़की उसके करीब जाना चाहेगी  किंतु वह  इतना मूर्ख भी नहीं है, जो कोई भी, उसे बहका ले। मुझे तो लगता है, उसे मुझ पर भी शक है इसीलिए वह मेरे कॉलिज आता है और मेरे विषय में जानकारी लेता रहता है,ज़बरन ही इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दबाब बना रहा है।  

तुम उसे डांट क्यों नहीं देती, उससे बात ही ,क्यों करती हो ?नाराज होते हुए शिल्पा ने कहा -जब तुम उसे डांट दोगी, तो वह अपने आप ही तुम्हारा पीछा छोड़ देगा किंतु मुझे तो लगता है, तुम्हें भी वह अच्छा लगने लगा है, ईर्ष्या और क्रोध से शिल्पा बोली। 

यह तुम क्या कह रही हो ? भला मैं उससे क्यों बात करूंगी ? किंतु कोई' तमन्ना' का प्रशंसक बनकर आता है तो मुझे 'तमन्ना 'बनकर उससे बातचीत तो करनी ही होगी, जब तुमने मुझे' तमन्ना' बना  ही दिया है। यह सब तुम्हारी गलती और झूठ का नतीजा है। तुम अपने आप को छुपाना चाहती थीं , कॉलेज में भी तो तुम उससे बात करती हो, क्या यह बात, मैं नहीं जानती हूं ? तुम उससे प्रभावित हो, और उसे प्रभावित करने का प्रयास भी कर रही हो।मुझे तो लगता है ,तुम उससे प्यार करने लगी हो ,वरना अन्य किसी में तो तुमने कोई दिलचस्पी नहीं दिखलाई।  यही बात, सच्चाई  के साथ तुम कुमार से पहले भी तो बता सकती थीं। इससे तुम्हारा क्या बिगड़ जाता ? तुम्हारी सच्चाई सुनकर  या तो वह तुम्हारे और  नजदीक आ जाता वरना दूर चला जाता, इस तरह की  गलतफहमियां तो नहीं बढ़तीं।

'गलतफ़हमियाँ' क्या मैं बढ़ा रही हूँ ?मैंने कौन सा तुमसे झूठ बोलने के लिए कहा है ?या उससे झूठ बोल रही हूँ। बस, अपने उससे आपको छुपाया है ,अपने प्यार को छुपाये ,उससे उम्मीदें लगा बैठी हूँ। 

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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