Ye un dinon ki baat hai [part 1]

 विभा ने अपनी सहेली सोनी से कहा ,आज मुझे शीघ्र ही घर जाना होगा। 

क्यों ? क्या हुआ ?जो अचानक इस तरह घर जाने की बात करने लगी ?

है ,कोई बात ,विभा नजरें झुकाकर बोली। 

तेरी तबियत तो ठीक है ,क्या तेरे पीरियड तो शुरू नहीं हो गये, सोनी ने उसका चेहरा देखकर अंदाजा लगाया। विभा ने' हाँ' में गर्दन हिलाई ,तब सोनी हँसते हुए बोली -तब इसमें घर जाने की क्या बात है ?मेरे पास''सेनिटरी पैड ''रखा है ,उसे ले जा और वॉशरूम में जाकर बदल ले। क्या तुझे पता नहीं था ? तेरी ''डेट ''नज़दीक आ रही है।


 अंदाजा तो था ,जब भी मेरी तबियत बिगड़ती है ,तो मैं कॉलिज ही नहीं आती किन्तु आज दो दिन पहले ही हो गया। 

अच्छा जा !!पहले इसे लेकर जा ,तब आकर बातें करेंगे। 

विभा को यह सोचकर बहुत बुरा लग रहा था कि उसकी सहेली उसके विषय में क्या सोचेगी ?जब वो ''वॉशरूम ''से बाहर आई तो उसने सोनी से पूछा - क्या तेरी भी''डेट '' आ रही है ?

नहीं, अभी नहीं समय है ,तब तू ये ''पैड ''क्यों लेकर आई थी ?

सोनी हँसते हुए बोली -ये तो, एक -दो मैं हमेशा अपने पास रखती हूँ ,न जाने कब जरूरत पड़ जाये ?जैसे आज तुझे इसकी आवश्यकता आन पड़ी ,आज तुझे इनके चक्कर में घर वापस जाना पड़ जाता। अब यहीं सब सम्भल गया। अच्छा तूने कहा था -कि तू इन दिनों में आती ही नहीं है ,क्या तेरे यहाँ ऐसे में बाहर जाने की मनाही है ?

नहीं, मनाही तो नहीं है किन्तु स्वयं को ही अच्छा नहीं लगता ,अजीब सा महसूस होता है। 

कमाल है ,अब तू कॉलिज से छुट्टी करेगी ,नौकरी करने लगी तो नौकरी से छुट्टी करेगी ,ऐसा नहीं होता है ,इनके कारण ज़िंदगी रूकती नहीं है ,चलती रहती है ,और हाँ एक -दो' पैड 'पर्स में हमेशा रखा कर ,सुरक्षा के साथ -साथ समझदारी से काम लेना चाहिए। 

अरे पर्स में ऐसी चीज !!

कैसी चीज़ ?ये कोई बुरी बात है किसी के सामने उपहास का कारण बनने से पहले सुरक्षा जरूरी है या नहीं। ये हम लड़कियों के लिए आवश्यक चीज है ,इसमें डरने और छुपाने जैसी बात क्या है ? इसे पर्स में ही तो रखना है ,लड़कियों के साथ ऐसी परिस्थिति आती ही रहती है। अच्छा, मैं अभी आती हूँ ,मुझे पुस्तकालय में से एक पुस्तक लेनी है। क्या तू मेरे साथ चलेगी ?

नहीं ,तू जा !सोनी के चले जाने के पश्चात ,विभा मन ही मन सोच रही थी -ये इसी विषय पर कितनी बातें कर रही है ,हर किसी से, कुछ न कुछ सीखने को मिलता है ,जैसे जब मैं छोटी थी ,तब बुआ से भी कितना कुछ सीखने को मिला था ? उसे वे दिन स्मरण हो आये ,जब वो आठवीं कक्षा में ही थी ,अचानक ही दोपहर में जब वो अपनी बेंच से उठी ,उसे तो कुछ पता नहीं चला किन्तु उसके साथ बैठने वाली लड़कियां मुँह बनाने लगीं और हंसने लगीं। विभा को कुछ समझ नहीं आया, ये क्यों हंस रहीं हैं ? दरअसल उसकी सलवार पर और बेंच पर दाग़ आ गया था। जिसके विषय में उसे कोई जानकारी नहीं थी। आज उसकी प्रिय सखी भी नहीं आई थी ,जो उसे कुछ बताती क्योंकि वो उम्र में विभा से बड़ी थी।

तब विभा ने आधे दिन की छुट्टी ली और घर आकर रोने लगी , उसकी बुआ ने विभा की हालत को देखा और उससे पूछा -क्या हुआ ?तब विभा ने उन्हें सारी बातें बताई ,तब वो समझ गईं और उससे बोली -पहले कपड़े बदल लो ! तब उसे साफ -सुथरे कपड़े दिए और अन्य सामान भी दिया। ये सब क्या है ?ये मेरे कपड़ों पर खून कहाँ से आया ?

तब बुआ मुस्कुराकर बोली - अब तुम बड़ी हो रही हो। 

इस सबका, मेरे बड़े होने से क्या मतलब है ?पहले तुम कन्या की श्रेणी में आतीं थीं किन्तु अब ये तुम्हारे बड़े होने का सबूत है,अब तुम लड़की कहलाओगी, तुम्हारा तन विकसित हो रहा है अब धीरे -धीरे लड़की से महिला बनने की ओर अग्रसर हो रहा है , तुम्हारे शरीर में कुछ बदलाव आएंगे किन्तु तुम्हें डरने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि किसी भी लड़की में इस तरह के बदलाव आना सामान्य बात है। अंदर ही अंदर विभा को ख़ुशी का एहसास हो रहा था ,वो बड़ी हो रही है।

ये मुझे ही क्यों ?

ये तुम्हें ही नहीं सभी को होता है ,ये कोई परेशानी की बात नहीं है बल्कि ये प्रसन्नता की बात है ,तुम्हारे अंदर सृजनशीलता विकसित हो रही है ,इसके कारण ही तो नवजीवन निर्माण होता है और नारी सम्पूर्ण होती है। 

क्या इसी तरह लड़कियों के बड़े होने का पता चलता है ?ये कब तक होता रहेगा ?

मात्र तीन या चार दिन तक ,किन्तु एक बात है ,ये बात किसी से भी मत बताना। 

मतलब !मैं कुछ समझी नहीं ,बीमारी तो बताई ही जाती है। 

ये बिमारी नहीं है ,तुम्हारी प्रकृति में कुछ बदलाव आ रहे हैं जिनके कारण तुम अपने नारीत्व को समझ सकोगी महसूस कर सकोगी। 

 किससे ये बात छुपानी है और क्यों ?

पापा और भइया से ,

क्यों छुपाना है ? क्या ये गलत है। 

नहीं ,ग़लत तो नहीं है किन्तु बताना भी क्यों है ? हर व्यक्ति के जीवन के कुछ गुप्त रहस्य होते हैं ,जैसे हर बात, हर किसी को नहीं बताई जाती, इसी प्रकार ये बातें अपने तक ही सीमित रखते हैं। पता तो सबको होता है किन्तु' ढिंढोरा क्यों पीटना' ? अब तुम जाओ !आराम करो !ऊंचाई से नहीं कूदना है ,ऊँचे स्थान पर नहीं चढ़ना है ,ऐसे समय में ,नसें कमज़ोर हो जाती हैं और कभी -कभी दर्द भी होता है ,जो हम सभी लड़कियों को सहन करना होता है। तभी तो हमारी तुलना, धरती माँ से की जाती है ,जो सहन करना जानती है। जब एक लड़की पैदा होती है ,वो सिर्फ एक लड़की ही नहीं ,उसके इस जीवन के प्रति कुछ उत्तरदायित्व भी होते हैं जिनको पूर्ण करने के लिए ,इस धरती पर जन्म लेती है। वो एक परिवार को जन्म देती है और संभालती है ,तभी तो यह  स्रष्टि आगे बढ़ती है ,परिवारों से मिलकर एक समाज का निर्माण होता है। इस सबकी जननी  एक नारी ही है। 

विभा ने अपनी बुआ की बातें ध्यान से सुनी और भोजन करके सो गयी ,शाम को उसकी बुआ ने उसे उठाया और बोलीं -कब तक सोती रहेगी ? कुछ परेशानी तो नहीं हो रही। 

पेट में हल्का - हल्का दर्द है ,बुआ ने उसे सिकाई के लिए कहा ,जब  तक सहन कर सकती हो करो !वरना सिकाई कर लेना। 

 आज बुआ -भतीजी में क्या बातें हो रहीं हैं ,हमें भी बताओ ! मम्मी ने पूछा।

बुआ ने मम्मी को बताया और मम्मी ने दादी को इस तरह यह बात घर में सभी को पता चल ही गयी। अगले दिन मेरी तबियत पहले से ज्यादा बिगड़ गई इसीलिए स्कूल जाने का मन ही नहीं किया। मैंने स्वयं ही स्कूल न  जाने का निर्णय लिया। छुट्टी का'' प्रार्थना पत्र ''अपनी सहेली के हाथ भेज दिया। तब मम्मी ने कहा -तुम आराम करो !



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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