Khoobsurat [part 7]

अक़्सर'' तमन्ना '' अपने आप में ही खोई रहती ,उससे लड़कियां भी कम ही बात करतीं थीं ,या ये कह सकते हैं -वो उनसे भी इतना घुलमिल नहीं पाती थी ,इतनी लड़कियों के साथ रहकर भी, वो अपने को अकेला महसूस करती थी। जब उनसे कोई बात ही नहीं होती तो कुछ ,कहने- सुनने का प्रश्न तो उठता ही नहीं। उसके पड़ोस की लड़की अक्सर उससे बातें करती थी ,तमन्ना को लगता,यह लड़की है जो मुझे समझती है। वो कभी -कभी ,उसे अपने साथ लेकर बाहर जाती ,ये बात तमन्ना को अच्छी लगती और प्रसन्न होती ,कम से कम इसे तो मेरे साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं है।

 श्रावण मास चल रहा था ,एक दिन मौहल्ले में ही एक छोटा सा मेला लगा था,इस मास में मौहल्ले में काफी चहल -पहल सी हो जाती है ,पहले तो ''शिव भक्तों '' का बोलबाला रहता और ये तब तक चलता रहता,जब तक'' शिवरात्रि''नहीं आ जाती, उसके पश्चात सुहागिनें साड़ी ,चूड़ियां ,मेहँदी इत्यादि सामान खरीदतीं क्योंकि'' श्रावण पर तीज'' जो आती है। बाजार में भी खूब चहल -पहल रहती है। बाजार भी मिठाई ,राखी ,साज -सज्जा का सामान, सबसे चमक उठता है। उस दिन ''तीज ''का त्यौहार था।'' तमन्ना ''चल देर हो रही है ,झूलने के लिए ,झूला भी नहीं मिलेगा ,भीड़ हो जाएगी। 


हाँ -हाँ आती हूँ ,कहते हुए तमन्ना उसके साथ चल दी ,उस दिन तमन्ना ने गुलाबी सूट पहना था।

 ओहो !आज तो बड़ी जंच रही है ,कहते हुए वो तेजी से आगे बढ़ जाती है ,तमन्ना को तो बस उसके पीछे जाने से मतलब था ,वो नहीं जानती थी ,अब ये कहाँ जाएगी ?तब वो कुछ आगे चलकर एक घर के सामने रुक जाती है और तमन्ना से कहती है -चंचल को भी साथ ले लेते हैं। 

चंचल कौन ?

उसे तुम नहीं जानती हो ,जब तुम कहीं आती -जाती नहीं हो ,तो तुम क्या किसी को जानोगी और कोई तुम्हें कैसे जानेगा ? इस बात से तमन्ना चुप हो गयी ,वो जानती थी, वो क्यों, किसी से मिलना नहीं चाहती है ?सावी से भी कभी -कभी छत पर मिलती  थी , तो बातें हो जाती थी ,इसीलिए उससे थोड़ा घुल मिल गई थी। वह इस मौहल्ले में तो किसी को नहीं जानती थी।

 चंचल ने भी पहली बार, तमन्ना को देखा था, उसे देखते ही बोली -यह कौन है ? क्या यह भी हमारे साथ चलेगी ?

हां, हमारे पड़ोस में ही रहती है, यह भी मेरी दोस्त है, आओ चलो ! रूपा को ले लेते हैं इस तरह से तीन-चार सखियां साथ हो गईं, उन सबने पहली बार '' तमन्ना'' को देखा था। सावी ने भी, सबसे उसका परिचय कराया किंतु जैसे किसी से मिलकर प्रसन्नता होती है, ऐसे ही किसी ने भी, उससे ज्यादा बातचीत नहीं की , आपस में ही हसती- बोलतीं रहीं । 

तब अचानक चंचल बोली -इसे क्यों साथ ले आई ? तब धीरे से सावी ने, उसके हाथ पर हाथ मारा, इशारे से कह रही थी, कि वह सुन लेगी।

सुन लेगी तो सुन लेगी मेरी बला से..... मैं क्या इससे डरती हूं या मुझे इससे डरना होगा। कहते हुए हंसने लगी हालांकि वह यह बातें, धीरे से कर रही थीं किंतु तमन्ना को स्पष्ट सुनाई दे रही थी। 

जब सावी को लगा, ये हमारी बातें सुन ना ले, तब वह बोली - आओ, चलो !झूला झूलते हैं, कहते हुए तमन्ना को झूले पर बैठा दिया किंतु दूसरी तरफ बैठने के लिए, कोई तैयार नहीं हुई। तमन्ना को महसूस हो रहा था, कि वे उससे थोड़ा बच रही हैं। वह भी अलग-अलग, सी उनमें घूलने का प्रयास तो कर रही थी किंतु उनकी बातों के कारण,उनकी सोच के कारण उनसे घुल नहीं पा रही थी। जैसे वह लोग खुलकर हंस रही थीं आपस में बातें कर रही थीं , चाहती तो वह भी यही थी किंतु पता नहीं, वह किसी से इतना खुल क्यों नहीं पाती है ? एक झिझक सी बनी हुई है। वह अकेली ही, झूला झूलने लगी और वे उसे झुलाने लगीं ,धीरे -धीरे उसे वहीँ छोड़कर, एक स्थान पर एकत्र होकर बातें करने लगीं।

 उनका यह व्यवहार तमन्ना को अच्छा नहीं लगा, तब तमन्ना झूले से उतरी और एक पेड़ के करीब जाकर बैठ गई। वह उनकी बातें सुन सकती थी, हो सकता है, जानबूझकर इसीलिए ही वहां बैठी है ताकि वह उनकी बातें सुन सके, कहीं वे उसके विषय में कोई बात तो नहीं कर रही हैं। 

उसका सोचना भी सही था, सावी की एक सहेली कह रही थी- इसे अपने साथ लेकर क्यों आई है ? हम ठीक से मजा भी नहीं कर पा रहे। कैसी अजीब सी लगती है ? क्या तुझे सहेली बनाने के लिए यही मिली थी ?

ठीक ही तो है, अब इसे सहेली बनाया तो तब तुम्हें, सुंदरता का एहसास होगा तभी तो, किसी को बदसूरती और सुंदरता में अंतर नजर आएगा कहते हुए सावी हंसने लगी। उसकी बात सुनकर ''तमन्ना'' को बहुत दुख हुआ , अभी तक तो वह यही सोच रही थी, कि सावी की सोच उसके प्रति अच्छी है किंतु आज उसकी सोच सुनकर, उसके विचार जानकर उसे बहुत दुख हुआ और वह वहां से उठकर ,घर के लिए चल दी।  अपने में ही गुमसुम सी रहती थी, वह स्वयं को जानती थी, कि मैं इतनी सुंदर नहीं हूं किंतु आज जो सभी ने उसके लिए कहा ,सुनकर वह उसका मन  कट कर रह गया ।

 एक ही तो रिश्ता बनाया था, वह रिश्ता भी आज टूट गया।मैं अपने तक ही सीमित होकर रह गयी। बाहरी  दुनिया मतलबी ,एक ढकोसला नजर आती ,अकेले रहने के कारण,उसके अंदर बहुत कुछ चलने लगा और जो कुछ भी उसके अंदर था ,उसकी कला में उभरकर आने लगा। अक़्सर वो अकेली ही ,अपने रंगों और ब्रशों से खेलने लगी। 

तुम्हारी कला में दम तो है ,मैं मानता हूँ किन्तु तुमसे भी अच्छे और भी कलाकार होंगे ,जो अपनी कला की तरह खूबसूरत होंगे ,पता नहीं ,ये रोग तुम्हें कहाँ से लग गया ?शक़्ल -सूरत से तो तुम साधारण ही हो ,घर में बैठकर अपनी मम्मी से काम सीखो ! एक इंसान सुंदर कला के साथ -साथ उसकी सुंदरता को भी आंकता है ,ये तुम्हारे बस की बात नहीं ,होंठ बिचकाकर भाग गया।ये जगत ही तो था,जो उससे स्पष्ट कहता था। 

 उसके जाने के पश्चात ''तमन्ना'' कई दिनों तक रोती रही ,तब उसकी मम्मी ने पूछा -बेटा क्या कुछ हुआ है या फिर किसी ने कुछ कहा है ?

तब 'तमन्ना' रोते हुए अपनी मम्मी  से पूछती है - मैं सुंदर क्यों नहीं हूँ ?मुझे भगवान जी ने सुंदर क्यों नहीं बनाया ?

किसने कहा ?माँ ने धीरे से उसके सर पर हाथ रखकर पूछा। 

सभी कहते हैं। 

जिसने भी कहा है ,वे गलत कहते हैं ,हर इंसान में एक विशेष बात होती है ,ये रंग -रूप तो बाहरी दिखावा है किन्तु तुम तो अंदर से सुंदर हो। 

अच्छा ! तब मुझे, कैसे पता चलेगा ?मैं  अंदर से सुंदर हूँ। तब उन्होंने उसके बनाये  चित्र को उठाकर दिखाया और पूछा ,ये किसने बनाई है ?

मैंने ,तमन्ना खुश होते हुए बोली। 

देखो ! कितनी सुंदर कलाकृति बनाई है ?ये भाव अंदर से ही तो उभरकर आते हैं ,जिसका ह्रदय जितना स्वच्छ और निर्मल होगा उतनी ही उसकी रचना भी स्पष्ट और सुंदर होगी।   

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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