Khoobsurat [part 18]

शिल्पा, प्रतिदिन उसी पेड़ के नीचे अपनी कला का अभ्यास करती नजर आती है। कभी वह इधर -उधर घूमते लड़के -लड़कियों के चित्र बनाने का अभ्यास करती,तो कभी अपनी कल्पनाओं को नए रंग देती।  एक दिन तो उसने, दूर बेंच पर बैठे' कुमार' का चित्र भी बना डाला, किन्तु न जाने क्यों ?उसे दिखाया नहीं।  आज भी वो इसी तरह चित्र बनाने में तल्लीन थी, तभी पीछे से उसकी पीठ पर किसी ने बड़े जोर से हाथ मारा,वो भी इतनी जोर से ,शिल्पा, बुरी तरह हड़बड़ा गयी और उसके चित्र की लाइन भी गड़बड़ा गयी क्योंकि घबराहट में उसकी पेन्सिल ही इधर -उधर हो गयी थी ,उसने इस तरह के अभद्र  व्यवहार के लिए ,आक्रोश में घूमकर देखा,तो ख़ुशी से जैसे झूम उठी, उसके सामने मधुलिका खड़ी मुस्कुरा रही थी ,उसे देखकर शिल्पा बोली -तेरी इस तरह की हरकतें करने की आदत नहीं गयी और बोली -आखिर तू ,आ ही गयी ,कहते हुए ,खड़ी होकर उससे लिपट गयी।  


क्यों ? तूने क्या समझा था ?जो इस तरह घूरकर गुस्से से देख रही थी। 

गुस्सा न करूं, तो क्या करती ? जिस तरह से तूने, मेरे कंधे पर हाथ मारकर मुझे डराया, क्रोध आना तो  स्वाभाविक है ,मेरा चित्र खराब होते -होते बचा।  वो तो अच्छा है ,तू थी वरना आज किसी ओर ने ऐसी हरकत की होती तो, बचता नहीं। अच्छा ये बता ,इतने दिनों के पश्चात यहाँ कैसे ? मैं तो सोच रही थी ,तूने पढ़ाई छोड़ दी या फिर उन दोनों [प्रीत ,रिया ]की तरह कहीं ओर दाख़िला ले लिया। तुझे तो विवाह करना था इसीलिए मैंने सोचा घर -गृहस्थी की' ट्रेनिंग' ले रही होगी ,शिल्पा व्यंग्य से बोली। 

शिल्पा के करीब बैठते हुए ,मधुलिका बोली -यार ! ज़िंदगी इतनी आसान भी नहीं होती ,जो मन में सोचते, हो जाता तो ''दुनिया में इतने लोग हैं ,जो ख़ुशी से जीना चाहते हैं किन्तु दुनिया वालों को कहूं या किस्मत को किसी की खुशियां देखी नहीं जातीं।'' जीवन जीना इतना आसान होता तो किसी को इतना संघर्ष न करना पड़ता कहते हुए मधुलिका ने एक गहरी स्वांस ली जैसे उसे जीवन की सच्चाई का आभास हुआ हो। 

समझ गयी ,क्या तू 'दर्शनशास्त्र' से स्नातक कर रही है ,हँसते हुए शिल्पा ने पूछा। 

तुझे ऐसा क्यों लग रहा है ? जो दर्शनशास्त्र पढ़ेगा, वही ऐसी बातें कर सकता है ,ये हमारा जीवन भी,इतना ज्ञान करा देता है ,दर्शनशास्त्र की तो आवश्यकता ही नहीं। 

ओहो !लगता है ,जीवन के कटु अनुभव लेकर आई है। 

क्या कटु अनुभव ?जीवन में एक -दो लोग ही ऐसे मिल जाएँ, काफी है ,वे अच्छे -बुरे सब अनुभव करा देते हैं ,जो गगन में उड़ रहा हो या उड़ना चाहता हो ,उसे जमीन पर ले आते हैं। 

तूने सारे उदाहरण दे दिए किंतु सही बात अभी तक नहीं बतलाई, आखिर हुआ क्या है ? क्या तू आगे पढ़ना नहीं चाहती थी ,पढ़ना चाहती थी तो इतनी देरी से दाखिला क्यों लिया ?

तू भी क्या बात करती है? भला मैं पढ़ना क्यों नहीं चाहूंगी ? पढ़ना तो चाहती थी किन्तु भाभी ने, कह दिया था -कि इसकी फीस देने के लिए पैसे नहीं हैं , घर का काम न करना पड़े,पढ़ाई के बहाने, यह बाहर पढ़ने  का बहाना कर रही है,सारा दिन तो कॉलिज में अपने दोस्तों संग 'मटरगश्ती 'करती फिरेगी और शाम को  कॉलिज का काम लेकर बैठ जाएगी,इस घर में ,काम के लिए मैं ही नौकरानी रह गयी हूँ, इसी बात पर कई दिनों तक घर में क्लेश रहा। 

उन पर क्या जोर पड़ता है ? पढ़ना तुझे है ? तेरे कॉलिज का शुल्क तेरे पिता को देना है, अभी तो वो कमाते हैं। 

हां यह  बात मैं भी  जानती हूं , किंतु भाभी समझना नहीं चाहती, वो सोच रही थीं  -क्यों, मेरे ऊपर व्यर्थ में पैसा बर्बाद कर रहे हैं, विवाह तब भी करना है तो विवाह करके इसे जल्दी से भेजिए !

यह तो और भी अच्छी बात हुई , तुझे तो विवाह करना था, उसके बाद पढ़ लेती। 

सोचा, तो यही था, कि इस यहां के क्लेश से निपट कर, ससुराल में ही अपनी बाक़ी की पढ़ाई पूर्ण कर लूँगी  कोई ऐसा जीवनसाथी मिल जाए जो मेरी परेशानी को समझे, मुझसे प्यार करने के साथ-साथ , मेरी इच्छा  भी पूर्ण करें ! वहीं पर मैं पढ़ लेती , किंतु आजकल इंटरमीडिएट लड़की से कोई विवाह नहीं करना चाहता है ? सभी को कम से कम स्नातक लड़की चाहिए या फिर नौकरी पेशा ! तभी तो कह रही थी -जिंदगी इतनी आसान भी नहीं, जितना सोचा था - ''विवाह करके इन परेशानियों से दूर , सपनों के महल में चली जाऊंगी किंतु सपनों के महल भी इतनी आसानी से नहीं मिलते, उनके लिए भी सपने देखने पड़ते हैं और परिश्रम करना पड़ता है, तब जाकर वे महल मिलते हैं।''

शिल्पा ,मधुलिका की बातों को ध्यान से सुन रही थी ,तब वो बोली -वो सपने भी तो ,तुम्हारे अपने हैं ,किन्तु जीवन की वास्तविकता कुछ और ही होती है ,जरूरी तो नहीं, जिस राजकुमार के स्वप्न हम देख रहे हैं ,वो वैसा ही हों  ,हो सकता है ,ससुराल या ससुराल वाले अच्छे ही मिलें ,अथवा पति भी बेहद प्यार करने वाला मिले।  जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है, हो सकता है इसमें ही ,तेरी भलाई छुपी हो,आजकल हर लड़की को इतना तो पढ़ा -लिखा होना ही चाहिए ,समय आने पर अपने पैरों पर खड़ी हो सके।  जीवन इतना छोटा भी नहीं है। स्नातक करने की पश्चात ,न जाने जीवन में क्या परिवर्तन आए ?कोई कुछ नहीं कह सकता , जिंदगी किस मोड़ पर ले जाती है, यह तो समय ही बताएगा गंभीरता से शिल्पा बोली। जब उसे लगा ,हम बहुत ही गंभीर विषय पर वार्तालाप कर रहे है ,तब वो माहौल को, अपने मन के बोझ को हल्का बनाते हुए बोली -  मुझे इस बात की खुशी है, अब तक मैं इस कॉलेज में अकेली थी, अब तेरा भी साथ हो जाएगा। अच्छा बता ,तूने कौन सा विषय चुना है ?क्या दर्शनशास्त्र लिया है ?कहते हुए हंसने लगी। 

देख, मैं कोई कलाकार तो नहीं हूँ , इसीलिए मैंने' अर्थशास्त्र' लिया है , देखते हैं आगे क्या होता है?

क्या तू नौकरी करेगी ?

ये तो समय ही बताएगा,पढ़ते समय कोई अच्छा सा लड़का मिल गया तो उससे विवाह कर लूंगी और नहीं मिला तो पढ़ाई के पश्चात, घर में ख़ाली तो नहीं बैठना है वरना भाभी के ताने कौन सुनेगा ? मैं तुझे कई दिनों से ढूंढ रही थी  किंतु तू मिल ही नहीं रही थी। आज अचानक यहां बैठे हुए, तुझ पर मेरी दृष्टि गई और मैं तुरंत ही इधर दौड़कर आ गई। 

हां मैं अक्सर, खाली समय में, इसी पेड़ के नीचे बैठकर, अपने चित्रकारी करती रहती हूं। अब जबकि मैंने यह विषय लिया है तो इसी में आगे बढ़ना है। 

मधुलिका ने इधर -उधर देखते हुए पूछा - क्या तूने यहां आकर अभी तक कोई दोस्त नहीं बनाया, किसी से दोस्ती नहीं हुई। 

उसकी बात सुनकर शिल्पा बोली -मुझसे,  कौन दोस्ती करेगा ? तू तो जानती है, मुझे शुरू से ही अकेले रहने की आदत पड़ गई है , वह तो तुम लोगों का साथ मिला था इसलिए तुम लोग साथ हो गए थे।

 तभी कुमार वहां पर आता है और मधुलिका की तरफ देखकर पूछता है -क्या ये कोई नई दोस्त है ? 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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