आज ,कुमार ने शिल्पा को, किसी नई लड़की के साथ, पेड़ के नीचे बैठकर ,बातें करते देखा ,तब वो उन दोनों के करीब गया ,वो जानना चाहता था ,ये जो शिल्पा से बातें कर रही है ,आख़िर ये लड़की कौन है ?अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए ,वह उनके करीब गया और शिल्पा से पूछा -ये नई दोस्त कौन है ?
नई नहीं, मैं तो इसकी बहुत पुरानी दोस्त हूँ, हम स्कूल में, साथ में पढ़ते थे ,तुम बताओ !तुम कौन हो ?मुस्कुराते हुए, मधुलिका ने पूछा ,वह 'कुमार' को देख रही थी , और उसके पश्चात वह शिल्पा की तरफ देखकर मुस्कुराती है ,आँखों के इशारे से भोंहे चलाते हुए पूछती है -यह कौन है ?
मधुलिका के इशारों को समझकर और उसकी मुस्कान को समझते हुए , शिल्पा बोली - इससे मिलो, ये 'कुमार' है ,इसी कॉलिज के छात्र हैं। मैं चित्रकारी करती हूं, तो इसलिए इनसे बातचीत हो जाती है क्योंकि ये किसी पेंटर'' तमन्ना'' से बहुत प्रेम करते हैं, तब कुमार की तरफ देखकर बोली -सॉरी ! उसके प्रशंसक हैं, अपनी बात को संभालते हुए वह बोली।
तभी कुमार ने पूछा -क्या तुम्हारी पुरानी दोस्त भी 'तमन्ना 'को नहीं जानती है, कहते हुए उसने आश्चर्य व्यक्त किया।
बात को बदलते हुए उसने, कुमार से पूछा - क्या तुम ''तमन्ना जी'' से मिले थे?
वो इतनी बड़ी कलाकार है, वह हम जैसे छोटे लोगों से कहां मिलती है ? कहते हुए ,उसने शिल्पा से झूठ बोल दिया। यह झूठ उसने क्यों बोला? यह तो वह भी नहीं जानता किन्तु उसे बताना नहीं चाहता था। अच्छा ,अभी मैं चलता हूँ ,तुम अपनी दोस्त से मिलो, कहकर उसने जाने से पहले, एक बार मधुलिका की तरफ देखा।
तब मधुलिका ने शिल्पा से पूछा -ये 'किस तमन्ना की बात कर रहा है ?तू, तो कह रही थी ,यहां मेरा कोई भी दोस्त नहीं है ,फिर ये कहाँ से आया ?बड़ा 'हैंडसम ''है।
तुझे पसंद आया तो तू, उससे बात कर ले, चिढ़ते हुए शिल्पा बोली।
अच्छा ,चिढ क्यों रही है ? मैं उससे बात नहीं कर रही , पहले तू ये बता !ये 'तमन्ना 'कौन है ? जिसे मैं नहीं जानती।
तभी शिल्पा ने घड़ी में समय देखा और बोली - बाद में बताउंगी ,अभी मेरी क्लास है ,मुझे जाना होगा।
ठीक है , देरी से आने के कारण ,मेरा कोर्स भी थोड़ा छूट गया है मुझे भी नोटस बनाने हैं , अभी मैं भी चलती हूं , घर दोनों ही साथ में जाएंगे कहकर वह भी ,वहां से उठ कर चली गई।
तभी कुमार शिल्पा के करीब आया और पूछा -क्या तुम्हारी दोस्त चली गयी ?
हाँ ,उसकी क्लास थी , मन ही मन शिल्पा सोच रही थी ,ये अभी तो गया था फिर से आ गया ,क्या कुछ कहना चाहता है ,तभी कुमार की दृष्टि शिल्पा की' चित्रकला' की तरफ गयी और उसकी फ़ाइल को उठाकर ध्यान से देखता है ,उसको देखकर, प्रशंसा करते हुए बोला - तुम भी अच्छी चित्रकारी करती हो, वैसे तुमसे दोस्ती करके मैंने कोई गलती नहीं की है। चित्रकार होने के साथ-साथ तुम्हारा, व्यवहार भी बहुत अच्छा है। उसकी इन बातों से, शिल्पा भावविभोर हो उठी और पूछा- क्या सच में मेरी'' चित्रकला '' अच्छी है।
सही तो कह रहा हूं, यदि तुम पेंटिंग्स बनाती तो, बहुत अच्छी पेंटिंग्स बना सकती हो , मन ही मन शिल्पा खुश हो रही थी कि यह मेरी चित्रकारी की प्रशंसा कर रहा है और यह मुझसे उम्मीद करता है कि मैं पेंटिंग भी अच्छी बना सकती हूं,ये बात ,मेरे लिए बहुत अच्छी है, फिर भी उसने कहा- कहां तमन्ना जी और कहां मैं ? उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता , यह कहकर उसने अपना बड़प्पन जतलाया। अच्छा ,अभी मैं चलती हूँ ,मेरी क्लास है, फिर मिलते हैं, कहकर शिल्पा जाने लगी,यह उसने जानबूझकर कहा था।
तब कुमार बोला -चित्रकार के लिए बगीचे में ही नहीं और भी बहुत सारी जगह हैं , जहां तुम अच्छे से चित्रकारी कर सकती हो, अब तो हमारी दोस्ती हो गई है , क्या हम दोनों एक साथ बैठकर, कॉफी पी सकते हैं ?कुछ बात भी करनी है।
शिल्पा तो बहुत ही खुश हो गई और उसने पूछा - क्या तुम, वास्तव में मेरे साथ बैठकर कॉफी पीना चाहोगे ?और क्या बात करनी है ?
हां, हां क्यों नहीं ? तुम्हारे साथ कॉफी पीने में क्या बुराई है ?
क्या तुम्हारे दोस्त नहीं कहेंगे - कि तुमने कैसी दोस्त बनाई है ?
क्यों कहेंगे ? यह मेरा निर्णय है, कि मुझे किसे दोस्त बनाना है और किसे नहीं। हमें दुनिया से क्या लेना है हमें तो अपने आप से लेना है। उसकी बातें सुनकर, शिल्पा जैसे बावरी सी हो गई थी, और मन ही मन सोच रही थी ,यदि इसकी ऐसी सोच है ,तब इसने मुझसे दोस्ती की है, तो निबाहेगा भी ,यदि प्यार हो गया तो...... मुझे इससे सच्चाई नहीं छुपानी चाहिए थी। मैंने व्यर्थ में ही , नित्या का 'तमन्ना 'के रूप में परिचय कराया, क्यों ,मैंने इसे बता नहीं दिया कि मैं ही '' तमन्ना ''हूं , कितना खुश हो जाता, कि मेरी एक दोस्त इतनी अच्छी पेंटर भी है, जिसका मैं पहले से ही प्रशंसक रहा हूँ किंतु यह भी अच्छा ही हुआ , अभी इसने उस ' तमन्ना '[नित्या ] से मिलने का प्रयास नहीं किया है। हो सकता है, धीरे-धीरे हमारी दोस्ती, प्यार में बदल जाए और फिर मैं धीरे-धीरे इसे सब बता दूंगी, कि मैं ही 'तमन्ना' हूं।
मुस्कुराते हुए कुमार ने, शिल्पा की तरफ देखा और उससे पूछा-इस तरह क्यों मुस्कुरा रही हो, क्या कोई खुली आंखों से सपना देख रही हो।
सच में ही ,शिल्पा जैसे कल्पनाओं से बाहर आ गयी और बोली -अभी मैं चलती हूँ ,जब कॉफी पीनी हो तो बता देना। आज उसे लग रहा था ,जैसे उसके पंख लग गए हैं और वो बहुत हल्की और हल्की होती जा रही है और उड़ने लगी है।
कुमार !आजकल तू क्या कर रहा है ,कहाँ रहता है ?अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं है ,उसके कमरे में आते हुए ,विभोर ने पूछा। जब वो कुमार के कमरे में प्रवेश तो करता है ,तो उसे वो कमरा कुछ अलग सा लगा ,ध्यान से देखकर सोचने लगा ,इस कमरे में क्या बदलाव आया है ? तभी उसने पूछा -अरे..... तेरी सभी पेंटिंग्स कहाँ गयीं ? वही तो मैं सोचूं ,तेरा कमरा कुछ अलग लग रहा है। क्या हुआ ?तेरी तमन्ना जी की पेंटिंग्स कहाँ गयीं ?
अरे !क्या करना है ?कुछ ज्यादा ही ,चित्र हो गए थे। ऐसा लगता था ,जैसे मैं उन रंगों में घिरा हुआ हूँ इसीलिए मैं उनसे बाहर निकल आया।
तभी विभोर ,कुमार के क़रीब आया और उसका हाथ पकड़ा फिर माथे पर हाथ लगाया और उससे पूछा -तेरी तबियत तो ठीक है।