मन ही मन शिल्पा खुश थी ,उसे लग रहा था -नित्या के सुंदर होने के बावजूद भी, कुमार ने, नित्या को पसंद नहीं किया हालाँकि इस बात को वह प्रत्यक्ष स्वीकार नहीं कर पा रही थी किन्तु नित्या ने उसके जज्बातों को समझा और जब उनसे 'कॉफी हॉउस' में एक लड़का मिलने आता है। तब उन्हें लगता है ,शायद उसे 'कुमार'ही ने भेजा है। नित्या तब शिल्पा से कहती है - यह सब तेरे झूठ के कारण ही हुआ है।
मैंने कौन सा झूठ बोला है ? क्या एक नाम बदल देने से, क्या इंसान अपराधी हो जाता है ?एक नाम ही तो बदला है।
तू क्या बात कर रही है ? जिसका नाम तुम ले रहे हो , उसके गुण- अवगुण, सबका वह भागीदार बन जाता है , जैसे कि मैं बन गई हूं , अब [तमन्ना ]यानि तुम्हारे प्रशंसक और दुश्मन दोनों को ही मुझे झेलना होगा किंतु यह झूठ ज्यादा दिन नहीं चलेगा, यह बात तुम भी समझ लो ! एक न एक दिन, लोगों को सच्चाई का पता चल ही जायेगा।
मुझसे तो कुमार ने ऐसा कुछ नहीं कहा, वह तो कह रहा था -कि तुमसे मिलना होगा, मिलने का प्रयास करेगा।
वह मुझसे मिलना ही ,नहीं चाहता है, कहते हैं, न' दिल से दिल को राहत होती है'उसे ऐसा कुछ एहसास हुआ ही नहीं, इसीलिए उसे मुझ पर शक है।
जो भी होगा देखा जायेगा ,क्या मालूम, जो हम सोच रहे हैं ? ऐसा कुछ भी न हो,हमें अपने मन में कोई भी धारणा बनाने से पहले, उसकी प्रतिक्रिया देखनी होगी शिल्पा ने कहा।
हाँ ये बात भी सही है , क्या तुझे पता चला ?वो गुलदस्ता किसने भेजा होगा ?
होगा, कोई ,इतनी बड़ी दुनिया है ,कोई न कोई तो प्रशंसक ही होगा केवल' कुमार' ही प्रशंसक नहीं है।
हाँ ,इतनी बड़ी दुनिया में तुझे ही चाहने वाले हैं ,तुमसे भी जो बड़े कलाकार हैं ,उन्हें तो अब कोई पूछता भी न होगा व्यंग्य से नित्या बोली -अच्छा ,क्या तूने एक बात सोची ?
क्या ?
जबसे 'तमन्ना' का नाम बाहर आया है यानि तुम्हारा नाम अब कुछ ज्यादा ही उपहार वगैरह नहीं आ रहे हैं।
इस सबसे क्या होगा ?''तमन्ना ''तो मैं हूँ , तुम अपनी कला पर ध्यान केंद्रित करो ! हँसते हुए नित्या बोली -उन्हें मैं संभाल लूँगी ,अब वो तुम्हारे नहीं मेरे प्रशंसक हैं क्योंकि दुनिया की नजर में अब ,मैं 'तमन्ना 'हूँ। दोनों अपनी बातें करते हुए जा रहीं थीं किन्तु वे ये नहीं जानती थीं कि कोई दो नजरें उनका पीछा कर रहीं हैं।
[नित्या के कॉलिज का दृश्य ]
हैलो ! ये शब्द सुनकर अचानक नित्या ने पलटकर देखा ,वो उस समय अपने कॉलिज के पुस्तकालय में ,खड़ी कोई पुस्तक ढूंढ़ रही थी। जी, आप कौन ?नित्या ने उस अनजान लड़के से पूछा।
जी ,आप मुझे नहीं जानती हैं, किन्तु मैं आपको अच्छी तरह से जानता हूँ किन्तु अपना परिचय देने के लिए ,ये स्थान उचित नहीं है इसीलिए बाहर चलते हैं ,उसने इधर -उधर देखकर धीमे स्वर में कहा।
जी, आप बाहर चलिए !मुझे एक किताब लेनी है ,फिर वो मिलेगी नहीं ,इसीलिए मैं, वो किताब लेकर आती हूँ।
ठीक है ,मैं कॉलिज की 'कैंटीन 'में आपकी प्रतीक्षा करूंगा,कहकर वो तुरंत ही वहां से बाहर निकल गया।
मन ही मन नित्या सोच रही थी ,हो न हो ,ये लड़का 'कुमार' ही हो सकता है ,दिखने में तो काफी जंच रहा है इसीलिए अपनी शिल्पा इससे, अपने को छुपाती होगी ,जब ये इतना सुंदर लग रहा है ,तब तो इसकी कल्पना भी बहुत सुंदर ही होगी। नित्या ने जल्दी से क़िताब ली और बाहर आकर कॉलिज की 'कैंटीन 'में उसे ढूंढने लगी। तुरंत ही उसे एक हाथ उठा हुआ नजर आया और वो उधर की तरफ चल दी। बाहर आकर नित्या ने उसे ध्यान से देखा -'वो एक गोरा -चिट्टा ,आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक था। उसकी ऊंचाई कम से कम छह फ़िट होगी, नयन -नक्श भी आकर्षक थे ,तब नित्या ने शिल्पा के विषय में सोचा और सोचा -उसकी घबराहट गलत नहीं है।
बैठिये ,न..... आप क्या सोच रहीं हैं ?
कुछ नहीं ,कहते हुए नित्या ने उसकी तरफ देखा और पूछा -आप कौन और मुझसे क्यों मिलना चाहते हैं ?मैं तो आपको जानती भी नहीं।
सॉरी ,कहते हुए वो कुर्सी से खड़ा हुआ और बोला -मैं, कुमार !आप ही तमन्ना जी हैं।
ओह ! हाँ कहिये! कैसे आना हुआ ?
जी ,आप बहुत खूबसूरत पेंटिंग्स बनाती हैं और मैं आपकी पेंटिंग्स का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ।
जी धन्यवाद !कहते हुए अब नित्या भी, उसके सामने की कुर्सी पर बैठ गयी ,वो उसके सामने अपने को सामान्य बनाये रखने का प्रयास कर रही थी।
आप क्या लेना पसंद करेंगे ? चाय या ठंडा !यहाँ तो यही मिलता है।
आप चाय मंगवा लीजिये और साथ में समोसे भी ,मैंने सुना है -इस कॉलिज की ''कैंटीन के समोसे''बहुत बढ़िया बनते हैं।
जी ,किन्तु नित्या,उससे छुपकर अपना पर्स देख रही थी ,उसके पास इतने पैसे भी हैं या नहीं ,तब वो बोला -जब मुझे मेरी पसंद से ही खाना है तो मैं ही जाकर ले आता हूँ ,कहते हुए वो, फुर्ती से उठा और चला गया।मुझे अब क्या करना चाहिए ? इस शिल्पा ने मुझे न जाने, किस परेशानी में डाल दिया है ?उसे फोन करती हूँ ,सोचते हुए ,वो उसे नंबर लगाने लगी। छोटा सा फोन है ,इसे देखकर वो मेरी हालत समझ जायेगा। आज के स्मार्ट फोन के समय में, मेरे पास पापा का पुराना बटन वाला फोन है। अब मामी से फोन तो नहीं मांग सकती ,चलते समय पापा ने कहा था -तुम्हें फोन से करना ही क्या है ?देर -सबेर हमें फोन कर लिया करना। तब तक कुमार आकर खड़ा हो गया था। क्या किसी को फोन कर रहीं हैं ?
नहीं तो ,कहते हुए नित्या ने उस फोन को फुर्ती से अपने पर्स में वापस रक्खा और खिसियाते हुए बोली -आप मेरे मेहमान हैं और मैं आपसे ही कार्य करवा रही हूँ।
क्या कार्य ? ये तो हम लड़कों का काम ही है और आपके लिए ऐसा कार्य करके मुझे प्रसन्नता ही होगी। आप इतनी बड़ी कलाकार जो हैं ,उसके ये शब्द सुनकर नित्या को ऐसा लगा जैसे वो उस पर व्यंग्य कर रहा हो। समोसा खाते हुए ,कुमार ने पूछा -आप कब से ये चित्रकारी कर रही हैं ?
नित्या को ,याद है ,शिल्पा बचपन से ही, ड्राइंग के कागजों पर चित्रकारी करती रही है ,बचपन से ही, ,हड़बड़ाते हुए नित्या बोली।
कमाल है ,आप कला की छात्रा भी नहीं ,फिर भी कितनी अच्छी कलाकृति बना लेती है।
इसका कला का छात्र होने से कोई लेना देना नहीं ,ये मेरा शौक़ है ,ये ईश्वर की देन है ,ईश्वर ने मुझे इतना अच्छा गुण दिया है,मैं उनका धन्यवाद !करती हूँ।
हाँ ,ये बात तो सही है ,आप ठीक कह रहीं हैं ,ये भी 'गॉड गिफ़्ट 'आपको मिला है ,ऐसा हुनर हर किसी के पास नहीं होता। अब आपका आगे क्या करने का इरादा है ?
मतलब !
आखिर कुमार का, नित्या के इस तरह कॉलिज में आने का क्या उद्देश्य था ?क्या उनकी प्रेम कहानी आगे बढ़ेगी या उनकी सच्चाई आगे आ जाएगी। शिल्पा और नित्या की ज़िंदगी में क्या -क्या मोड़ आने वाले हैं ?जानने के लिए आगे बढ़ते हैं।