Khoobsurat [part 15]

आज मौसम बड़ा सुहावना हो रहा है, हल्की-हल्की बूंदाबांदी भी हो रही है, वैसे तो कई दिनों से, मौसम ऐसा ही चल रहा है, शुरुआत में बरसात ने, गर्मी को बढ़ा दिया था,किन्तु अब सभी पत्ते धुल चुके हैं ,प्रकृति खिली -खिली सी नजर आ रही है ,चहुँ ओर हरियाली ही हरियाली है, अब मौसम की ठंडी फुहारें मन को रोमांचित कर जातीं हैं। आज इस मौसम में, शिल्पा का मन कॉफी पीने का करता है और वो दोनों बहनें मस्ती में ''कॉफी हाउस ''जाती हैं , आज बहुत दिनों पश्चात, आराम से काफी पियेंगे।

 क्या बात है ? आज बड़े मूड में लग रही है ,कुर्सी पर बैठते हुए  नित्या ने शिल्पा से पूछा।

 तुम जानती हो, 'कुमार' तुम्हें लेकर थोड़ा असमंजस में है , उसे लगता है -शायद, तुम झूठ बोल रही हो। 

नित्या, शिल्पा के चेहरे पर नजरें गड़ाते हुए पूछती है- उसे ऐसा क्यों लगता है ? और तुम इतना खुश होकर क्यों बता रही हो ? 


मैं ख़ुश कहाँ हूँ ,कहते हुए उसने अपने आपको संभाला, यह तो मैं भी नहीं जानती, किंतु तुम्हें लेकर थोड़ा असमंजस में पड़ गया है। मैंने आज उससे पूछा था - क्या वो सुंदर नहीं है ,क्या तुम्हारी कल्पना से मेल नहीं खाती है ?

मन ही मन नित्या, शिल्पा की मनःस्थिति समझ रही थी ,मेरे सुंदर होने के बावजूद भी उसने मुझे  पसंद नहीं किया और मुझ पर शक कर रहा है। तब वह क्या बोला ?नित्या ने पूछा। 

  उसने ठीक से ,कुछ जवाब नहीं दिया,

क्या वह ,मुझसे मिलने के लिए उत्सुक नहीं है ?

तुमसे मिलना तो चाहता है, किंतु सोच रहा है- किस तरह अपना परिचय देगा? अभी वह इसी बात को हजम नहीं कर पा रहा है, कि तुम ही' तमन्ना' हो। 

फिर वो क्या चाहता है ?मैं तो तुमसे पहले ही कह रही थी- झूठ से कुछ नहीं होता, जो कुछ भी है, सामने आ जाना चाहिए किंतु न  जाने तुम क्या सोचे बैठी हो ? तुम्हें उसकी इतनी परवाह क्यों है ? वह क्या सोचता है क्या नहीं, यह बात तुम पर क्यों असर डालती है ? कहीं तुम, उससे प्यार तो नहीं करने लगी हो। 

नहीं, नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है,कहते हुए थोड़ा हकलाई जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो।  

ऐसा कुछ नहीं है तो तुम हकला क्यों रही हो ? तुम्हारे मन में अवश्य ही उसके प्रति कुछ भावनाएं पनप रही हैं। यदि ऐसे में वह तुम्हारी हकीकत जान जाता है और फिर तुम्हें नहीं अपनाता है तो तब तुम्हें ज्यादा दुख होगा, इसलिए मैं कहती हूं। जो भी सच्चाई है, उसे बता देने में कोई बुराई नहीं है। 

यह तो मैं भी चाहती हूं , किंतु उस समय उसकी नफ़रत भरी आंखों का मैं सामना नहीं कर पाऊंगी।

तुम ऐसा क्यों सोचती हो ? यदि उसे तुम्हारी सच्चाई मालूम होगी तो वह तुमसे घृणा करने लगेगा ,हो सकता है ,तुम्हारी सच्चाई के लिए तुमसे प्यार न भी करे तो नफ़रत तो नहीं करेगा और जब उसे पता चलेगा कि तुम उससे झूठ बोल रही थीं , तब उसे ज्यादा दुख होगा , हो सकता है, तुमसे घृणा भी करने लगे। 

तुम कब से मेरे पीछे पड़ी हो ? मैं कह तो रही हूं, मुझे थोड़ा सा समय तो दो !कोशिश करती हूं, सब संभल जाये,हो सके तो मैं ,उसे सच्चाई बताने का प्रयास करूंगी। 

तभी पीछे से एक लड़का आकर पूछता है - तुम दोनों में से ''तमन्ना ''कौन है ? दोनों उस लड़के को आश्चर्य से देख रही थीं। 

तुम कौन हो ? दोनों ने एक साथ पूछा। 

 मैं 'तमन्ना जी' का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। 

नित्या को वह झूठा लगा और उसने पूछा -तुम 'तमन्ना जी 'को कैसे जानते हो ?

वो अच्छी पेंटिंग्स बनाती हैं और कई प्रतियोगिताओं में जीत भी चुकी हैं। 

 यह बात, तुमसे किसने कही ? नित्या ने उसकी तरफ लगभग घूरते हुए देखा। 

इसमें कहने वाली क्या बात है ? कहते हुए ,उसने पूछा- क्या मैं बैठ सकता हूं। 

अभी रुको !पहले मेरे कुछ प्रश्नों के जबाब दो ! जब तुम उसकी पेंटिंग्स के प्रशंसक हो, तो तुम्हें पता होना चाहिए कि तमन्ना कौन है ? कहते हुए नित्या ने शिखा की तरफ उंगली की और शिखा ने नित्या की तरफ। 

यह क्या बात हुई ? तुम दोनों ही मेरे मुझे बहका रही हो, तुम में से अच्छी कलाकार कौन है ?

हर इंसान कलाकार है, जैसे कि तुम कलाकार हो। 

मैं, मैं.....  कैसे कलाकार हो सकता हूं ?

 कुछ कलाएं ऐसी होती हैं जो दिखलाई नहीं देतीं , हाँ समझ में अवश्य आती हैं। 

मतलब ! मैं आपका मतलब नहीं समझा। 

लेकिन मैं आपका मतलब अवश्य समझ चुकी हूं , अच्छा, एक बात बताइए ! आपने तमन्ना जी की पेंटिंग्स कब और कहां देखीं  और उसकी कौन सी पेंटिंग आपको सबसे ज्यादा पसंद है ?

वह लड़का'' बगलें झांकने लगा'' और बोला - वे तो सभी पेंटिंग्स अच्छी बनाती हैं , किसी एक का क्या नाम लूँ। 

बहुत होशियार हो और चतुर भी ,तुम नाम ले ही नहीं सकते, क्योंकि तुमने, उसकी कोई पेंटिंग नहीं देखी है, और तुम्हें यहां पर भेजा गया है वैसे मैं तुम्हारा नाम जान सकती हूं तुम कौन हो और क्या करते हो और किसने तुम्हें भेजा है ?

मैं भी एक छात्र हूं, नाम में क्या रखा है ? आप बता दीजिए ! तमन्ना कौन है ?बस इतनी सी तो बात है। 

उसे शिल्पा के पेंटर होने की तो उम्मीद ही नहीं थी, इसीलिए वह नित्या की तरफ मुंह करके  बैठ गया था। तब नित्या बोली -नाम में क्या रखा है ? आप हमारी पेंटिंग्स देखिए ! और प्रसन्न हो जाइए ! कहते हुए उसने शिल्पा से कहा - चलो ! यहां से चलते हैं।

उन दोनो के जाने के पश्चात , वह लड़का अब अपने माथे पर उभर आये, पसीने पोंछ रहा था, वह लड़का और कोई नहीं कुमार का दोस्त विभोर ही था। कुमार ने, शिल्पा और नित्या उन दोनों को, एक साथ कॉफी हाउस में जाते हुए देख लिया था। तब उसके मन में विचार आया, शिल्पा तो मुझसे कह रही थी -मैंने तमन्ना को नहीं देखा और यह आज उसके साथ' कॉफी हाउस' में कॉफी  पी रही है , अवश्य ही कोई बात है इसलिए उसने विभोर से उनका परिचय लेने के लिए कहा था। विभोर को शिल्पा भी नहीं जानती थी। 

शिल्पा तू कुछ समझ रही है, मुझे लगता है, यह सब कुमार का किया धरा है , कुमार को शायद हम पर शक हो गया है। 

घबराते हुए शिल्पा बोली -यह तू क्या कह रही है ? अभी तो शुरुआत भी नहीं हुई, और समाप्ति का समय आ गया।

 क्या कुमार, शिल्पा और नित्या की संपूर्ण सच्चाई जान जाएगा , और यदि वह उनकी सच्चाई जान जाता है उसका अगला कदम क्या होगा ? जानने के लिए आइये ''खूबसूरत ''के साथ आगे बढ़ते हैं। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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