कुमार ने, आज पहली बार अपनी कल्पना को , नित्या के रूप में देखा किंतु न जाने क्यों ? उसके मन में अजीब सी बेचैनी हो गई। नित्या को तो, वह पहले भी देख चुका था। जब यही 'तमन्ना' है ,तो उसने अब तक अपना नाम क्यों छुपाया हुआ था ? कुमार के मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे जो आकर्षण उसके मन में तमन्ना के नाम के प्रति था, वह आकर्षण एकदम से न जाने कहां गुम हो गया ?अवसाद और संदेह से उसका ह्रदय भर गया। '
अब क्या सोच रहा है ? क्या तूने' तमन्ना' को नहीं देखा ? मिल तो गई ''तमन्ना '' वह जो स्टेज पर खड़ी है, वही 'तमन्ना' है , उसे देखकर तुझे खुशी क्यों नहीं हुई ? संयम ने पूछा।
पता नहीं क्यों ? कुछ अजीब सा महसूस हो रहा है , इसे तो मैंने पहले भी देखा था, तब इसने अपना परिचय 'तमन्ना 'के नाम से क्यों नहीं कराया ? इससे पहले तो इसने अपना परिचय 'तमन्ना की सखी' के रूप में दिया था फिर यह' तमन्ना' कैसे हो सकती है ?
उसकी तब इच्छा नहीं रही होगी, अब उसे लगा होगा - कि अब मेरा नाम हो गया है, तो मुझे पब्लिक के सामने आना चाहिए, साहिल लापरवाही से बोला।
ऐसा भी कहीं होता है, कोई अपना नाम क्यों छुपाना चाहेगा या अपने आपको क्यों छुपाना चाहेगा ? जिसमें इतना बडी कला छुपी हुई है।
अब यह तो वह जाने, अब तक तू परेशान था कि तुझे 'तमन्ना' नहीं दिख रही थी, अब तमन्ना मिल गई तो इसलिए परेशान है कि उसने अपना नाम क्यों बदला हुआ था ? तुझे यह देखना चाहिए, कि वह सुंदर है, अच्छी लग रही है और सबसे बड़ी बात तो यह है, तेरे इन प्रश्नों का जवाब तो वही दे सकती है।
यह बात तुमने सही कही, मुझे उससे ही मिलना चाहिए और पूछना चाहिए। मंच से उतरने के पश्चात नित्या न जाने कहां चली गई? कुमार उसे खोज रहा था, वह उससे मिलना चाहता था,वह सुंदर थी किन्तु कुमार को कोई ख़ुशी नहीं हुई। न जाने, क्यों उसे लग रहा था ,ये'' तमन्ना ''नहीं हो सकती, नित्या से मिलकर उससे अपने कुछ प्रश्नों के जबाब पूछना चाहता था।
उधर नित्या मंच से उतरकर, सीधे शिखा का हाथ पकड़ कर उसे एक खाली कमरे में ले गई, और नाराज़ होते हुए ,शिखा से बोली - तुमने यह क्या किया ? क्या तुमने इस चीज को खेल समझा हुआ है ? तुमने मेरा परिचय' तमन्ना 'के नाम से क्यों करवाया ? मैं नित्या ही बनी रहना चाहती हूं। तू जानती है ,मुझसे कोई चित्र तो क्या, एक सीधी रेखा भी नहीं खींचती और तूने मेरा परिचय इतनी बड़ी कलाकार के रूप में करा दिया जो कई प्रतियोगिताएं जीत चुकी है। कल को जब लोग, मुझसे सवाल- जवाब करेंगे , तो मैं क्या जवाब दूंगी ? वह प्रश्न पर प्रश्न किये जा रही थी किंतु शिखा ने उसे कोई जवाब नहीं दिया। तब उसने उसके कंधे पकड़कर, उसे जोर से हिलाया और पूछा - क्या सोच रही है ? मेरे प्रश्नों का जवाब क्यों नहीं देती है ? आखिर तेरे मन में क्या चल रहा है ? अभी तक शिखा ने अपना चेहरा झुकाया हुआ था। नित्या ने उसका चेहरा उठाया तो जो आंसुओं से भरा था।
शिखा के आंसू देख कर, नित्या सहम गई और पूछने लगी-क्या हुआ है ? क्या किसी ने कुछ कहा है ? तू ,रो क्यों रही है ?
जब सपने टूटते हैं, तो इसी तरह रोना आता है , मैं कितनी भी बड़ी कलाकार क्यों न बन जाऊं ? किसी के 'प्यार की हकदार' नहीं बन सकती है। तू जानती है, कुमार एक सुंदर आकर्षक व्यक्तित्व की, राजकुमारी जैसी लड़की के रूप में 'तमन्ना' को देखना चाहता है , उसकी कल्पना को देख और मुझे देख ! क्या तुझे, मैं तनिक भी, उसकी कल्पना के रूप में कहीं भी दिखलाई देती हूं। मुझसे कभी कोई प्यार नहीं कर सकता , मैं अपने मन को बहलाने के लिए ही मुस्कुरा सकती हूं , किंतु मेरा दिल नहीं मुस्कुरा रहा, मैं खुश रहने का कितना अभिनय करूं लूँ ? कुछ समझ नहीं आता, कहते हुए रोने लगी।
तब तूने, मुझे उसके सामने' तमन्ना' के रूप में प्रस्तुत कर दिया , मैं कोई खिलौना नहीं हूं, मैं जीती -जागती एक लड़की हूं और मेरा नाम नित्या है, तमन्ना नहीं।'' तमन्ना' तुम हो ? जो अपनी कल्पनाओं को जीती हो, मन की सुंदर कल्पनाओं में खो जाती हो, जो शिखा के रूप में साधारण सी लड़की के रूप में कॉलेज में कला का अध्ययन कर रही है। कल को यदि वास्तव में ही मुझे' कुमार' ने अपनी ''तमन्ना''को चाहा तो मैं क्या करूंगी ?
बस ,तू उसकी तमन्ना बनकर रहना ! इसमें क्या बुराई है ? यदि वह तुम्हें तमन्ना समझ कर तुमसे प्यार करता है तो क्या हुआ ?
तेरा दिमाग़ ख़राब हो गया है ,तू समझ नहीं रही है , वह एक कलाकार 'तमन्ना' से प्यार करता है। , मुझसे नहीं, जब उसे सच्चाई मालूम होगी तो वह प्यार नहीं, मुझसे घृणा करेगा,वो इसे धोखा समझेगा ,मुझे उसके सामने' तमन्ना 'बनकर जाना ही क्यों है ?उसके लिए, हमें झूठ क्यों बोलना है ?वो हमारा क्या लगता है ?जो उसके लिए तुमने ये सब किया ,जैसे तुम्हारी कला के अन्य प्रशंसक हैं ,वह भी, उनमें से एक है ,तब उसके लिए इतना बड़ा झूठ क्यों ?
ये तो मैं भी नहीं जानती ,मैंने ऐसा क्यों किया ?
तुम अपने इस' पागलपन'में मुझे शामिल मत करो !उसके लिए' तमन्ना ' उसकी कल्पना ,जो भी थी ,उसको ऐसे ही रहने देती। उस समय मुझे भी अचानक से कुछ नहीं सूझा और मैं भी आगे बढ़ गयी अपने सर पर हाथ मारते हुए नित्या बुदबुदाई ,इसके साथ रहकर मेरे दिमाग़ ने भी काम करना बंद कर दिया।
आज 'तमन्ना ''को बहुत से लोगों ने देखा है ,हो सकता है ,इतनी भीड़ में किसी ने मेरी तस्वीर भी ली हो ,तब क्या होगा ? किस -किस को सफाई देते फिरेंगे ? और वे लोग मुझसे किसी भी चित्र की अपेक्षा रखेंगे ,तब क्या होगा ? सोचकर ही नित्या की रूह काँप गयी। तू जानती नहीं है ,ये जनता जितना किसी को चाहती है ,सिर पर चढ़ाती है ,उतनी ही उससे, अपेक्षा बढ़ जाती हैं और जब उनका वो हीरो उनकी अपेक्षाओं पर ख़रा नहीं उतरता है ,तो उसे नीचे गिराने और बदनाम करने में भी देर नहीं लगाती।