क्या प्रतियोगिता में भाग लेने वाले,सभी प्रतियोगी आ चुके हैं ?
जी सर ! आप प्रतियोगिता आरंभ कराइये !आज एक सुंदर विषय दिया गया था ,''प्यार के रंग '' आज तमन्ना का मन भी खुश है और आज इस प्रतियोगिता का विषय भी यही मिला है। वह अपनी पेंटिंग बनानी आरंभ करती है किंतु यहां आकर उसे दिखलाना पड़ा, जैसे उसके पैर में चोट है क्योंकि नित्या ने यही कहकर उन लोगों से तमन्ना के न आने का कारण बताया था। अब तमन्ना आ गई है, तो उन्हें तो यह समझना ही होगा कि चोट ज्यादा नहीं थी इसलिए वह आ गई है। दो-तीन घंटे के अथक प्रयास के पश्चात, बहुत ही सुंदर-सुंदर पेंटिंग्स लाई गईं। जहां पर निर्णायक मंडल पहले से ही उपस्थित था। धीरे -धीरे पेन्टिंग्स की संख्या घटती चली गयी और अंत में ,मुख्य दस पेंटिंग्स रह गयीं।
तब उन पेंटिंग्स को बाहर बैठी जनता के सामने लाया गया ,वहां पर पहले से ही,''कला प्रेमी' उपस्थित थे ताकि जिस भी पेंटिंग्स को ज्यादा पसंद किया जायेगा, उसको ही सर्वश्रेष्ठ ठहराया जायेगा। यह नियम भी ,अबकि बार ही बना है क्योंकि कुछ लोगों को,'' निर्णायक मंडल'' पर संदेह था। उन्हें आपत्ति थी, कि कुछ गिने-चुने कलाकारों की ही कलाकृतियां चुनी जाती हैं, आगे आने वाले लोगों को, मौका नहीं मिल पाता है। इसीलिए यह नियम बना दिया गया था ताकि किसी को भी निर्णायक मंडल पर संदेह न हो। आज का विषय भी बहुत ही सुंदर था। सभी ने प्यार के विभिन्न रंग दिखलाए थे। उस भीड़ में, कुमार भी आया हुआ था और वह तमन्ना की पेंटिंग को खोज रहा था। उसे अन्य पेंटिंग से जैसे कोई मतलब नहीं था, बल्कि वह उसके नाम को खोज रहा था और आज वह तमन्ना को भी खोज रहा था क्योंकि उसने सुना था इस प्रतियोगिता में स्वयं कलाकार उपस्थित होंगे।
अभी वह पेंटिंग्स का चुनाव कर ही रहा था, तभी पीछे से जैसे उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा , उसने मुड़कर देखा तो सामने शिल्पा खड़ी थी, उसे देखकर वह आश्चर्य चकित हुआ और बोला -अरे! तुम भी आई हो।
मुस्कुराते हुए शिल्पा ने कहा -मैं भी तो एक कलाकार ही हूं , मैं कैसे नहीं आती ? इतने बड़े-बड़े कलाकारों की पेंटिंग्स मुझे देखने को मिल रही हैं, उनसे मुझे कुछ न कुछ सीखने को भी मिलेगा। क्या तुमने किसी पेंटिंग का चुनाव किया ?
हाँ, देखो ! वह तमन्ना की पेंटिंग है, तुम उस पर ही वोट डालना।
यह क्या बात हुई ? मैं उस पर वोट क्यों डालूंगी ? जो मुझे पसंद होगी उस पर ही तो वोट डालूंगी।
तुम कहना क्या चाहती हो ? क्या वह पेंटिंग सुंदर नहीं है ?
पेंटिंग सभी सुंदर हैं ? किंतु मैं उनके भाव देख रही हूं, किसने कितने सुंदर भाव से बनाई है , उसका चित्रण क्या कहना चाहता है ? तमन्ना की पेंटिंग में तुम्हें ऐसा क्या लगा ?
मुझे तो उसकी हर कलाकृति सुंदर लगती है, कुमार ने कहा।
और भी तो पेंटिंग्स हैं उन पर भी नजर डालो !
कुमार, उससे झगड़ा नहीं करना चाहता था, वह चाहता था कि प्यार से ही, शिखा , तमन्ना की पेंटिंग पर वोट डाले। तब वह बात को बदलते हुए बोला -क्या तुमने इस प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया ?
न बाबा न , मुझसे इस तरह का कार्य नहीं होगा , मैंने तो अभी सिखना ही शुरू किया है , अच्छा, यह बताओ ?क्या तुम्हारी 'तमन्ना' आज आई हुई है। तभी मुस्कुरा कर बोली -सॉरी !मैंने तुम्हारी तमन्ना कहा।
नहीं, मुझे बुरा नहीं लगा , वह एक बार मुझे दिख तो जाए, उसे मेरी होने में से कोई नहीं रोक सकता।
तुम तमन्ना को इतना पसंद करते हो, जबकि तुमने उसे देखा भी नहीं है।
उसे देखने की आवश्यकता नहीं है, मैं उसे मन की आंखों से देखता हूं , जिसकी कलाकृति इतनी सुंदर होगी वह'' तमन्ना'' कैसी होगी ? उसके इस जवाब से शिल्पा उदास हो गई, शिल्पा को उदास देखकर कुमार ने पूछा -तुम क्यों घबरा रही हो ? क्या तुमने तमन्ना को देखा है ?
नहीं, देखा तो नहीं है किंतु कभी-कभी हमारे सपने टूट जाते हैं, तब उस बात से हमें दुख होता है।
तुम कहना क्या चाहती हो ?
मैं यही कहना चाहती हूं ?' तमन्ना' तुम्हारी उम्मीदों पर खरी उतरे, यदि ऐसा न हुआ तो तुम क्या करोगे ?
यह तुम क्या कह रही हो ? तुम जब भी बोलती हो, गलत ही बोलती हो, जाओ ! मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी।
अच्छा, तुम तो नाराज हो गए। मेरे पास एक ऑफर है, मुस्कुराते हुए शिल्पा बोली -तमन्ना भी एक कलाकार है, और मैं भी, यदि वह तुम्हारी उम्मीदों पर खरी न उतरी तो तुम, मुझसे दोस्ती कर लेना, कहते हुए हंसने लगी।
वैसे तुम्हारी कल्पना में, तमन्ना कैसी होगी ?
जिसकी तुम कल्पना नहीं कर सकतीं अपने इन रंगों की तरह ही रंगीन होगी, वह मोेन होगी किंतु उसकी आंखें बोलती होंगीं। उसकी रेशमी महकती जुल्फें ,घनी बादलों जैसी होंगी और उसका रंग दमकता होगा और ....
अरे तू किससे बातें कर रहा है ? तभी कुमार के दोस्तों ने आकर , उससे पूछा।
कुमार ने अपनी आंखें खोलीं और बोला -क्या, वह चली गई ?
क्या बात कर रहा है ? क्या तमन्ना यहां आई थी ? तू उससे बातें कर रहा था।
अरे नहीं यार ! परेशान होते हुए ,कुमार बोला -वह शिल्पा भी यही आई हुई है , जो मेरे कॉलेज में ही पढ़ती है वह भी आर्ट की छात्रा है। मैं' तमन्ना' की प्रशंसा करता रहता हूं। हो सकता है, उससे कुछ प्रेरणा लेने आई हो।
तब वह कहां चली गई ?
मुझे क्या मालूम ?
मुझसे पूछ रही थी -'' कि तुम्हारी' तमन्ना' कैसी है ?तब मैंने उसे बताया, वह कैसी होगी ? मुझे लगता है इसी बात से चिढ़कर चली गई होगी। वोट डालने के पश्चात, कुछ ही देर में, एक पेंटिंग चुनी गई जिस पर 'तमन्ना' लिखा हुआ था। तमन्ना जी को बुलाया गया, उत्सुकता से, सभी का ध्यान मंच पर था। कौन सी ऐसी लड़की है ? जो कलाकारी में इतना कमाल कर रही है और कुमार के लिए तो, उसकी धड़कनें जैसे रुकने वाली हैं किंतु अब तक उसकी धड़कनों की गति तीव्र हो चुकी थी , वह देखना चाहता था कि उसकी कल्पना कैसी है ? तभी नित्या मंच पर आई , कुमार असमंजस में पड़ गया, क्या यह' तमन्ना' है ? इसे तो मैंने पहले भी देखा था , किंतु मैंने तो सुना था -यह 'तमन्ना' की सहेली है। तब यह यहां क्यों आई है ? तमन्ना क्यों नहीं आई ?
तब निर्णायक मंडल में से एक सदस्य ने पूछा -क्या आप ही'' तमन्ना'' हैं।
जी...... क्या यही तमन्ना थी, तो अब तक क्यों झूठ बोल रही थी ? है ,तो.... ये भी सुंदर किन्तु पता नहीं क्यों ? मुझे वो अनुभूति नहीं हो रही।
अब क्या सोच रहा है ?उसे सोचते देखकर कुमार के दोस्त विभोर ने पूछा।