Dil ki baaten

भावों भरा दिल, नाजुक सा, कुछ कहता सा...... 

भाव प्रेम के तो कभी, दिल का दर्द बहता सा। 

पत्थर बन जाता, दिल की बात कह न पाता। 

अड़ जाता, जिद पर , कुछ न कह,कर पाता। 


कहे किससे, क्यों ?पूछता सवाल न रह पाता।  

उड़ेल मन के भाव ,अब भार न ये, सह पाता। 

कचरा न कहो !इसे यह भाव हैं , मोहब्बत के... 

 दिखता न कोई अपना, दिल की बात कह पाता। 

कहे जिसे दिल की बात, क्या विश्वास वो पाता ?

दिल का दर्द ले अपना, झूठा हमदर्द बन जाता। 

कहे दिल की बात,उन भावों का क्या अंजाम हो ?

भरे भाव, दर्द ए दिल सहे,  छल न सह पाता। 


दिल की बातें [२]

 कहनी थीं ,तुमसे कुछ दिल की बातें। 

अधरों तक आते ,ठहर जातीं वो बातें।

लब तक आते,ऑंखें भी कह जाती बातें। 

समझें न जो ,कहें क्यों ? दिल की बातें।

  

शायद !कोई समझ सके न...... 

क्यों कहनी है ? दिल की बातें !

शायद ! पर आकर अटकी हैं ,

कुछ ऐसी गहरी दिल की बातें !


प्रेम ,प्रीत नहीं ,राज़ भरी बातें। 

लब तक आते -आते,चुप होती बातें !

गहन अंधकार में छुपी, वो बातें !

यकीं नहीं ,क्यों तुमसे कहनी बातें।


लब पे आते -आते सम्भल जाती, दिल की बातें। 

कभी -कभी दिल पर ही लग जाती दिल की बातें।   

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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