Sirf tumhare liye

 बाबुल का अंगना छोड़ ! छोड़ ,सभी सखियाँ !

छोड़ आई वो सपने ,खिलती थी,मन की बगिया।

छोड़ दादी की कहानी ,जिसमें थीं सुंदर परियां।  

सुंदर यादों को समेटे, चली आई मैं तेरी गलियां।



हाथों में सजाये मेहँदी से बूँटें ,पहनी थी चूड़ियां। 

खनकाती तेरे अंगना में ,छनकती है पायलिया। 

केशों में वेणी सजी ,धड़कनों की बजे मुरलिया।

आई हूँ ,अंगना में तेरे लिए आ जाओ !सांवरिया !


इस ज़िंदगी पर मेरी ,अब हक़ है ,तुम्हारा। 

अब सपनो में तुम हो ,आई हूँ ,तुम्हारे लिए !

 प्रेम से अपने सराबोर कर दो,हूँ प्यार तुम्हारा।

सितारों वाली चुनर ओढ़े आई हूँ ,तुम्हारे लिए !

 

छूटे न ये साथ , होकर रह जाउंगी सदा के लिए। 

अब जो भी जीवन है , समर्पण है , तुम्हारे लिए। 

सपने देखूंगी तुम्हारे ,उम्मींदे बंधी है ,संग तुम्हारे ,

जीवन धरा पर बहती हूँ, नदिया सी' तुम्हारे लिए !

 



उम्र -

यह उम्र यूं ही नहीं बढ़ी है ,जनाब !

इस उम्र ने  बहुत से अनुभव किए हैं। 

बुढ़ापा -

बुढ़ापा यूं ही नहीं आता,

जिंदगी में इसे बहुत तोड़ा और बेबस  किया है।

 

इस बुढ़ापे ने  बहुत अनुभव कमाए हैं, 

अपनों को गैर और ग़ैरों  को अपना बनते देखा है।

जिंदगी- 

जिंदगी अहम गुरूर लेकर आई थी ,

बढ़ती उम्र ने हौले  से सहला कर समझा दिया। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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