इंस्पेक्टर सुधांशु की जाँच चल रही है किंतु अभी तक पूरी तरह से किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाए हैं ,उन्हें नितिन पर शक़ तो है किन्तु नितिन यह सब स्वीकार नहीं कर रहा है।वो कहता है -वह इन सबके विषय में कुछ नहीं जानता। विकास ने तो सलाह भी दी थी -'ये आराम से अपना अपराध स्वीकार नहीं करेगा ,इसको हवालात की हवा खिलाते हैं।' अभी वह लोग इसी विषय पर बातचीत कर रहे थे , अपनी तस्वीर देखकर भी, नितिन,अपने आपको पहचानने से इनकार कर रहा था।
तभी एक उम्मीद की किरण बनकर' दयाराम' आता है और वह बताता है कि उसे इस कॉलेज में कार्य करते हुए 25 वर्ष हो चुके हैं और वह उस सुरंग और तहखाने से भी अच्छी तरह परिचित है। उस तहखाने को बनाने का कारण भी, वह जानता था। तब इंस्पेक्टर सुधांशु उससे पूछते हैं -क्या वह, ऐसे लोगों की सूची मुझे लाकर दे सकता है, जो उस समय पर, कॉलिज और तहखाने में कार्य कर रहे थे। सूची लाने का आश्वासन देकर दयाराम वहां से चला गया।
तब विकास, इंस्पेक्टर से पूछता है -इतने पुराने लोगों की सूची लेने से क्या लाभ होगा ? यह केस तो अभी का है , उस समय ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था, अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो हमें पता तो चलता ,तब इस तरह लोगों की सूची मंगवाने से क्या लाभ है ?
अभी तो मैं ,कुछ भी नहीं कह सकता किंतु मुझे लगता है , अवश्य ही, कुछ ना कुछ 'क्लू' तो मिल ही जाएगा।जो हमारे , इस केस में सहायक होगा।
अभी वह लोग बैठे, दयाराम की प्रतीक्षा ही कर रहे थे, किंतु उससे पहले ही, सुमित और रोहित वहां आ गए ? उन्हें देखकर इंस्पेक्टर ने कहा -आओ !
सर ! आपने बुलाया था।
हां, बुलाया था , मैं तुम लोगों से एक बात पूछना चाहता हूं , क्या तुमने कभी, नितिन के व्यवहार में कोई परिवर्तन देखा है।
कैसा परिवर्तन ? हम कुछ समझे नहीं।
तुम लोगों ने उसे, शुरू से ही देखा है, जब से वह कॉलेज में नया -नया आया था, तब से ही,तुम लोग उसके साथ हो। उस समय से लेकर, अभी तक के उसके व्यवहार में क्या परिवर्तन आया है ?
उसमें बहुत परिवर्तन आया है, पहले वह घर- परिवार की बातें करता था, संस्कारों की बातें करता था , सही गलत की बात करता था किंतु अब वह थोड़ा मौन रहने लगा है , न जाने क्या सोचता है ? और क्या करता है ?
उसके इस व्यवहार में, तुमने कब से परिवर्तन देखा ?
दोनों ही एक दूसरे को देखते हैं, और अंदाजा लगाकर बताते हैं,' हमें तो लगता है, जब सौम्या ने उसके प्रेम को अस्वीकार किया था और वह कॉलेज से चला गया था।
ह्म्म्मम्म !वही मैं भी सोच रहा था,सुधाँशु मन ही मन बुदबुदाया। तब इंस्पेक्टर, उनके सामने भी वह तस्वीरें रखता है जो उसने नितिन को दिखाई थीं , उन तस्वीरों को देखकर दोनों बुरी तरह चौक जाते हैं और कहते हैं -यह तो नितिन है , यह यहां क्या कर रहा है और यह लड़की कौन है ?
वही तो हम भी जानना चाहते हैं, तुम लोगों ने कहा -'कि वह सौम्या से ही प्यार करता था किंतु यह दूसरी तस्वीर में तो किसी अन्य लड़की के साथ भी है। इस लड़की का नाम 'परी' है। क्या तुमने इससे पहले इस लड़की को नितिन के साथ या यहाँ आस -पास कहीं देखा है ?
दोनों ने, न में गर्दन हिलाई और बोले -पक्का !पक्का !यह तो नितिन ही है, उसने हमें इन लड़कियों के विषय में कुछ भी नहीं बताया।
किंतु नितिन तो इस बात से इनकार कर रहा है, कि वह यह है ,ही नहीं।
ऐसा कैसे हो सकता है ?
वही तो हम भी जानना चाहते हैं, वह हमसे क्या छुपा रहा है ?
सर !''छोटे मुँह, बड़ी बात हो जाएगी ''एक सुझाव दूँ ,सभी रोहित की तरफ देखने लगे ,तब वह बोला -क्यों न आप इन लड़कियों से ही पूछ लें कि इनके साथ जो लड़का है ,यह कौन है और इनका क्या लगता है ?
बहुत सुंदर सुझाव दिया ,कहते हुए शेखर ने ताली बजाई ,रोहित खुश हो गया ,तब शेखर उसकी कमीज़ के कॉलर को ठीक करते हुए बोला -तुम अब तक कहाँ थे ? रोहित को शेखर के व्यवहार से समझ नहीं आ रहा था ,उसकी इस सराहना पर उसे खुश होना चाहिए या नहीं।
तब विकास बोला -बेटे ! ये कार्य हम पहले ही कर लेते किन्तु वे लड़कियां अब यहाँ नहीं हैं।
ओह ! तो फिर जहाँ हैं ,मेरा मतलब है ,दूर हैं तो हम फोन के माध्यम से उनसे सम्पर्क कर सकते हैं ,वह सोच रहा था मेरा सुझाव पुलिसवालों को पसंद आया इसीलिए आत्मविश्वास से उसने कहा।
पहले पूरी बात तो सुन लो !सुधांशु बोला -वो लड़कियां अब इस दुनिया में ही नहीं हैं ,उनकी हत्या और बलात्कार हुआ है।
क्या ????दोनों आश्चर्य से एक साथ बोले - यार !यह तो बडा ,' छुपा रुस्तम निकला' रोहित आश्चर्य से सुमित से कहता है , इसने आज तक हमें, कुछ भी नहीं बताया।
उनकी बातें सुनकर इंस्पेक्टर सुधांशु को उनकी बुद्धि पर तरस आ रहा था और वो समझ गया ,कि इनकी पढ़ाई में इन्हें इतना समय क्यों लगा,तब वह बोला -ये उसकी उस समय की तस्वीरें हैं, जब वह इस कॉलेज से और तुम लोगों से दूर 2 महीने के लिए ',शिमला 'चला गया था। वहीं ऐसा कुछ हुआ है, जो हमारी समझ से परे है, उसी को हम समझने का प्रयास कर रहे हैं चिंतित स्वर में इंस्पेक्टर ने जवाब दिया। अच्छा, तुम्हें और कुछ भी, पता चलता है तो हमें बताना या कोई उसकी नई बात नजर आती है तो बताना, तुम लोग, अब जा सकते हो।
दोनों को ही बड़ा आश्चर्य हो रहा था, नितिन हमारे साथ रहता है किंतु हमें उसके विषय में तनिक भी जानकारी नहीं है, वह कहां क्या कर रहा है ?कुछ भी पता नहीं है। यार !मुझे तो लगता है , इन सब के विषय में सौम्या ! अच्छे से जान गई होगी, तभी उसने, इसकी दोस्ती से इनकार कर दिया।
हां, यह हो सकता है, दोनों ही अटकलें और संभावनाएं लगा रहे थे किंतु सच्चाई किसी को भी मालूम नहीं थी।
कुछ देर पश्चात' दयाराम' अपने हाथों में एक फ़ाइल लेकर आता है, उस फ़ाइल से, एक बहुत पुराना, पीला सा पड़ा कागज निकलता है,जिसकी रंगत से पता चल रहा था ,वह समय के साथ पीला और कमज़ोर हो गया है। लीजिए, साहब ! यह कागज बहुत मुश्किल से मिला है। आपके किसी काम आ जाए , इससे बेहतर और क्या हो सकता है ?वैसे ये पूरी फ़ाइल ही उठा लाया हूँ ,शायद इसमें आपके काम की कोई चीज मिल जाये।
