प्रकाश ऋचा को बहला कर, उसे मगरमच्छों की झील के करीब ले जाना चाहता है। ऋचा, नहीं समझ पाती है कि उसके मन में क्या चल रहा है ? किंतु प्रकाश से उसने दोस्ती की है, दोस्ती के नाते, वह उसकी बात पर विश्वास कर लेती है ,वह उसे यह दर्शाना नहीं चाहती थी कि हमारी जो अभी -अभी दोस्ती हुई है ,उस पर उसे विश्वास नहीं है,तब वह उससे पूछती है -तुमने यह सब किससे देखा या सुना ?
तुम इतनी गहराई में क्यों जाती हो ? जब हम लोग यहाँ आए हैं, तो देखने में क्या जाता है ? देख ही लेते हैं, क्या यह बात सही है या गलत है।
हां, तुम्हारी बात भी अपनी जगह सही है,ठीक है ,देख लेते हैं, मैं सुनंदा को भी साथ ले लेती हूं।
यह क्या बात कर रही हो ? हम दोनों ही चलते हैं। वो शोर मचा देगी ,अन्य लोग भी साथ चलने लगेंगे,हो सकता है ,सर ! को भी पता चले, तो वो कहीं मना ही न कर दें। हम चुपचाप वो नजारा देखकर आ जायेंगे। अब दोस्ती के नाते तो तुम ,इतना कर ही सकती हो। शांत वातावरण में ,चाँद की चांदनी में झील में उतरता चाँद ,वो नजारा देखने का अलग ही मजा होगा।
यह बात सुनने में ,ऋचा को भी अच्छी लगी,तब वो बोली - वो तो ठीक है किन्तु सुनंदा मेरे साथ है ,जब मैं उसके सामने आऊंगी, तब वो पूछेगी कहाँ जा रही है ?तब तो बताना ही पड़ेगा कि तुम्हारे साथ रात्रि के नजारे देखने जा रही हूँ।
देखो !सालल्ला बेचारी बच्ची के साथ कैसी योजना बना रहा है ?और उसका बाप कहता है -'बच्चा है ,नादान है। नादान बच्चे ऐसी योजना बनाते हैं। आगे क्या हुआ ?क्या वो गयी थी ? गयी ही होगी ,मैं भी कैसा प्रश्न पूछ रहा हूँ ? गयी होगी ,तभी तो उस इंसानी जानवर का शिकार हो गयी।
हाँ ,सर ! प्रकाश ने उसे सलाह दी, जब सुनंदा सो जाये तब तुम चुपके से बाहर आ जाना। वहाँ , जो भी कह रहा था कि उसने कोई परछाई देखी थी ,वो उस लड़की की ही परछाई थी ,क्योकि वहां रौशनी इस तरह से पड़ रही थी, उसकी परछाई लम्बी नजर आ रही थी, क्योंकि प्रकाश तो पहले ही घात लगाए बैठा था। जैसे ही ऋचा उन टैंटों से कुछ आगे बढ़ी ,तभी प्रकाश ने उसे झाड़ियों में खींच लिया ,वो डरकर भी चीख़ती तो उसने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और धीमे स्वर में बोला - मैं हूँ ,चलो !आगे चलते हैं कहते हुए वह उसे झील के करीब ले गया। अब वे दोनों टैंट से बहुत आगे आ गए थे ,थोड़ी बहुत आहट भी होती तो किसी को कुछ पता नहीं चलता।
वो पहले ही सब इंतजाम के साथ आया था ,कुछ देर पश्चात प्रकाश ने, उसे पीने के लिए पानी दिया,जिसके कारण,ऋचा को चक्कर आने लगे ,तब उसे एहसास हुआ, कुछ तो गलत हो रहा है ,तब उसने पूछा -प्रकाश !पता नहीं क्यों, मुझे चक्कर आ रहे हैं ?अब हमें वापस चलना चाहिए।
तब प्रकाश ने झट से उसका मुँह बंद कर दिया और उस पर झपट पड़ा ,बोला -'तुमने मेरे प्यार का अपमान किया है। जब तुम मेरी ही नहीं तो किसी और के लायक भी तुम्हें नहीं छोडूंगा' ,कहते हुए उसके साथ जबरदस्ती की और उसे खेंचकर झील के करीब ले गया और उसे जिन्दा ही, मगरमच्छों के सामने डाल दिया।उस खींचतान में उसका कोई कपड़ा उस झील में गिर गया होगा जिससे हम लोगों ने अंदाजा लगाया कि वो झील में गिर गयी और उसे मगरमच्छों ने खा लिया।
ओह ! बेचारी बच्ची, के साथ कितना बुरा हुआ ?अपने पिता का सहारा बनना चाहती थी। सोचते हुए ,इंस्पेक्टर बोला - इसका बाप अपने पैसे का पूरा जोर लगाएगा हालाँकि उसने ये सब स्वीकार कर लिया है ,किन्तु वकील भी तो अपना जोर लगाएगा। न्यायधीश के सामने अपने बयान से पलट सकता है।
वो तो अवश्य ही पलटेगा ,उसका वकील तो अभी यहाँ भी वही कह रहा था और उस लड़के ने भूल से कुछ कहा भी होगा तो अब उसे अच्छे से समझा दिया जायेगा।
हालाँकि हमारे पास अभी कोई पुख़्ता सबूत नहीं है किन्तु अब एक बार दुबारा वहां जाकर अच्छे से छानबीन करनी होगी कोई भी छोटे से छोटा सबूत इसे सजा दिलवाने में सहायक हो सकता है। पैसे के दम पर ये ''राजा बाबू ''कुछ भी करेंगे ,मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।
विकास !तुम एक बार दुबारा उस जगह जो भी बच्चे गए थे ,उनसे फिर से बातचीत करो !कोई तो ऐसा होगा जिसने कुछ तो देखा होगा या फिर उसकी सहेली सुनंदा ! कविता तो स्वयं ही किसी का शिकार हो गयी। हो सकता है ,वो डर के कारण किसी से कुछ नहीं कह रही हो ,उसे विश्वास में लाओ !कि उसे कुछ नहीं होगा और उससे बात करके देखो !
जी ,एक बार और बातचीत होगी ,शायद कुछ मिल जाये।
मिल जाये नहीं ,कैसे भी करके सबूत तो जुटाने ही होंगे वरना ये छूट जायेगा ,जिसकी सोच अभी से ही इतनी ख़तरनाक हो सकती है ,वो आगे क्या ग़ुल खिलायेगा ?आगे तो इसे बहुत सहारा मिल जायेगा ,ऐसे लोग खुले नहीं घूमने चाहिए। वो तो अच्छा हुआ ,तुमने उससे बयान ले लिया।
मैंने क्या लिया ?वो तो आपके यह कहने पर कि वहां के सीसीटीवी कैमरे में उसकी सब हरकतें कैद हो गयीं है इसी डर से सब क़बूल गया ,उस पर मैंने उससे कहा -बड़े अफ़सर आये हैं ,अब तू ,उनकी मार से नहीं बच सकता इसी कारण सब उगल दिया हँसते हुए शेखर बता रहा था।
अच्छा ,उस तहखाने में से जो आदमी पकड़ा गया है ,उसने कुछ बताया ,वो उस मिटटी के कमरे में क्या कर रहा था ?उसका इस तरह वहां छुपकर रहने का क्या उद्देश्य था ?
सर अभी उसने कुछ भी कुबूल नहीं किया है ,वो तो कह रहा है - मैं इन सबके विषय में कुछ नहीं जानता ,मैं तो इस कॉलिज का लाइब्रेरियन हूँ।
आखिर इंस्पेक्टर सुधांशु की टीम ने उस 'मिटटी से घर ''से किसको पकडा है ?क्या वो एक ''लाइब्रेरियन ''ही है या फिर कोई ओर या वो वही हत्यारा तो नहीं ,जिसने उन लड़कियों को को मारा है। क्या नितिन से उसका कोई रिश्ता है या फिर कोई नितिन को फंसाना चाहता है ?इन सवालों के जबाब के लिए चलिए ,आगे बढ़ते हैं।