Shaitani mann [123]

पुलिस टीम के लोग, रचित के पीछे गए हुए थे, उन्हें लग रहा था, कि अवश्य ही, रचित और नितिन के मध्य कोई सूत्र तो है, जिसे हम लोग नहीं समझ पा रहे हैं इसीलिए वह लोग, रचित को'' रंगे हाथों पकड़ने'' के लिए, उसी कॉलिज के तहखाने में जाते हैं , किंतु उनकी सोच के विपरीत, वहां पर उन्हें'' डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी'' मिलते हैं। जिन्हें वो अभी तक इधर -उधर ही ढूंढ़ रहे थे ,डॉ ० को पकड़कर, पुलिस टीम थाने ले आती है

' इंस्पेक्टर सुधांशु' अपने थाने में, ''डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी ''से वार्तालाप करते हैं, उनके विषय में जानना चाहते हैं कि वो संन्यासी क्यों बने और वे उस स्थान पर क्यों थे,क्या कर रहे थे ?ऐसे स्थान पर, किसी ऐसे व्यक्ति का होना जिसका उस स्थान से दूर -दूर तक का भी वास्ता नहीं है। इंस्पेक्टर सुधांशु , अब तक सोच  रहे थे , कि यह डॉक्टर मानसिक रोगियों का इलाज करते-करते ,कहीं स्वयं तो ही तो ''मानसिक रोगी ''तो नहीं बन गए हैं वरना इस तरह कौन अपने घर और परिवार को,और अपने रोज़गार को छोड़कर, अपना पैसा छोड़कर ,संन्यास लेता है। वो उनके विषय में जानना चाहते थे कि संन्यास लेने के पीछे उनका उद्देश्य क्या था ? और वह उस स्थान पर क्या कर रहे थे ?


पहले तो डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी उनकी बात सुनकर खामोश हो जाते हैं , तब इंस्पेक्टर आगे कहते हैं -कहीं ऐसा तो नहीं, आप लोगों के मन को और उनके विचारों को पढ़ने के साथ-साथ , उनकी भावनाओं को भी नियंत्रित करने लगे। इंसान को अपना मन स्वयं के वश में करना होता है किंतु मुझे लगता है ,आप लोगों के मन को, स्वयं वश में करने लगे। 

यह आप कैसी बातें कर रहे हैं ? भला मैं ऐसा क्यों करूंगा ?

आपने एक विद्या तो सुनी होगी,' सम्मोहन विद्या ! और इसको कुछ मनोवैज्ञानिक भी, अपने मरीज के लिए उपयोग में लाते हैं और कुछ तांत्रिक लोग भी सम्मोहन विधि का प्रयोग करते हैं। क्या मैं सही बोल रहा हूं ? उसने डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी की आंखों में झांकते हुए पूछा और जब आप किसी पर, अपनी ''सम्मोहन विद्या'' का प्रयोग करते हैं तो वह व्यक्ति अपने आप में नहीं रहता। उसे पता ही नहीं होता कि वह कब और क्या कर रहा है ?

इंस्पेक्टर की बातें सुनकर, डॉक्टर चंद्रकांत त्रिपाठी, थोड़ा विचलित होते हैं और कहते हैं -'मोहिनी' अथवा 'वशीकरण विद्या' का हम अपने मरीजों के लिए उपयोग करते हैं किन्तु इन सबसे आप कहना क्या चाहते हैं ?

मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं किंतु मैं जानकारी के लिए आपसे पूछ रहा था, यदि हम किसी को 'सम्मोहित 'कर लेते हैं तो क्या उससे कुछ भी करवाया जा सकता है ? यह मेरे केस के लिए आवश्यक है इसीलिए पूछ रहा हूं। 

हां...  हां....  हड़बड़ाते हुए, डॉक्टर कहता है। 

तो क्या इस वशीकरण विद्या से, हम उस इंसान को अपने वश में करके उससे किसी की हत्या भी करवा सकते हैं। 

इंस्पेक्टर की यह बात सुनकर, डॉक्टर अपनी कुर्सी से उछल पड़ा और बोला  -इस विषय में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। मैंने कभी एक- दो बार, अपने मरीजों पर इसका उपयोग किया है, जब उन्हें कभी बुरे सपने आते हैं या किसी आंतरिक परेशानी से जूझ रहे होते हैं  या कुछ ऐसे विचार, जिन्हें वह किसी और से नहीं बांट सकते। 

अच्छे काम के लिए यह बहुत ही उपयोगी है किंतु क्या ऐसा हो सकता है ? कि इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है जैसे हम किसी को लालच देकर, या किसी को बदले की भावना से, इस विद्या का दुरुपयोग भी कर सकते हैं। 

हाँ... हाँ..... हो तो सकता है हकलाते हुए डॉक्टर बोला। 

और ऐसे में यदि वह इंसान, कोई साधु सन्यासी हो तो उस पर कोई विश्वास भी नहीं करेगा कि वह ऐसी गलत हरकत भी कर सकता है। 

आप कहना क्या चाहते हैं? स्पष्ट रूप से कहिए ! आप मुझ पर शक कर रहे हैं , मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है। 

मैंने तो आपसे कुछ पूछा ही नहीं, मैं तो बस ,आपसे जानकारी ले रहा था , मैं भला, आप पर क्यों शक करने लगा ? जब आपने कुछ ऐसा किया ही नहीं है। वैसे आप कॉलेज के तहखाने में क्या कर रहे थे ? आपने तो अपना घर- परिवार छोड़ दिया। आपको तो कहीं किसी जंगल में या हिमाचल पर चले जाना चाहिए था। आपने अपने घर वालों को भी अपने विषय में नहीं बताया, कि आप कहां पर हैं ? क्या कर रहे हैं ? किस-किस षड्यंत्र में शामिल हैं ? वैसे मैं एक बात पूछना चाहूंगा, आपको कैसे पता चला ? उन खेतों के मध्य एक घर है और घर से होता हुआ एक तहखाना भी है। 

आप यह सब क्या कह रहे हैं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है ?और आप किस षड्यंत्र की बात कर रहे हैं ?

 यह तो आप हमें बताएंगे। 

देखिए ! आप लोगों को कुछ गलतफहमी हो गई है। उस तहखाने की जानकारी तो मुझे अपने एक मरीज के माध्यम से हुई, जो इसी कॉलेज का एक अध्यापक था , वह अपनी पत्नी के साथ मारपीट करता था, अच्छा व्यवहार नहीं करता था इसी कारण से,उसकी पत्नी उसका घर छोड़कर चली गई थी और वह परेशान रहने लगा था।तब मैंने उसका इलाज़ किया था।  

यह बात हम लोग जानते हैं , किंतु मैंने तो सुना है आपसे इलाज करवाने के पश्चात भी , उसके  व्यवहार में कोई सुधार नहीं हुआ था, और वह स्वयं भी एक वर्ष पश्चात यहां से गायब हो गया था। क्या आपको मालूम था वह कहां गए थे ?

मैं एक डॉक्टर हूं, भला मैं क्यों ? किसी की जानकारी रखूंगा। जब तक मरीज अपना इलाज करा रहा है तब तक ठीक है अब वह कहां जाता है, क्या करता है? उसकी जिम्मेदारी तो मेरी नहीं है। 

हमने जो पता लगाया है उसके आधार पर हमें पता चला है, उस अध्यापक ने आत्महत्या कर ली, उसने आत्महत्या क्यों की होगी ?क्या आप इस विषय में जानते हैं ? वह तो आपसे इलाज करा रहे थे, फिर ठीक क्यों नहीं हुए, उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी और आत्महत्या करनी पड़ी, क्या कारण हो सकता है ?

क्या ????उन्होंने आत्महत्या कर ली चौंकने का अभिनय करते हुए डॉक्टर पूछता है।  यह मुझे कैसे मालूम होगा ?

आपको अपने रोगी के विषय में ही मालूम नहीं है, उसकी बीवी उसे छोड़ कर चली गई थी किंतु उसने उस से फिर से मिलने का प्रयास किया, और उसने बतलाया कि मैं अब ठीक हो चुका हूं , उसे साथ रहने के लिए भी बुलाया। हमने सुना है, वह खुशी-खुशी वापस भी आ गयी थी किंतु वह गायब हो गई, कहां गई होगी ? इंस्पेक्टर ने डॉक्टर के चेहरे पर अपनी नज़रें गड़ा दीं । डॉक्टर के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगीं किन्तु अपने को संयत करने का प्रयास कर रहा था, उसका चेहरा बता रहा था, कुछ तो गलत हुआ था। डॉक्टर साहब ! अब सभी बातें आप, हमें स्वयं बताएंगे या हम पता लगा लें यदि हमने पता लगा लिया तो आपके लिए बहुत कठिन हो जाएगा। गुस्से से ''दांत पीसते हुए इंस्पेक्टर कहता है। 

यह आप मुझे धमकी दे रहे हैं , आप मेरे विषय में जानते ही क्या है ? मैंने इतने मरीजों को ठीक किया है। अब मैंने वह सब वहीं छोड़ दिया है तब आप न जाने कौन से'' गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हैं ?'' 

क्या डॉक्टर कुछ बताएगा ?आखिर डॉक्टर ने ऐसा क्या किया है ?उसके विषय में इंस्पेक्टर को कैसे जानकारी हुई और इन्स्पेक्टर सुधांशु उससे क्या स्वीकार करवाना चाहता है ?चलिए जानने के लिए आगे बढ़ते हैं। 



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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