Gam ka sathi

ग़म के साथी भी हैं , बहुत , 

इंसानों जैसी फितरत नहीं,

जो ग़म में भी साथ छोड़ दें। 


ग़म में एकांत सुहाता,भले हीअकेला हो 

अपने आप से मिलने का मौका आता है। 

चहुँ  ओर ''अंधकार'' ही नजर आता है। 

तब उम्मीदों  के दिए भी वही जलता है।


ग़म के तम में,अक़्ल तेज, कभी अलसाता है। 

ग़म के अंधेरों में,रौशनी कहीं नजर आती है।

बेचैनियों से भरा जीवन नश्वर नजर आता है। 

मानव छल दिखला ,रिश्तों को दिखलाता है।

 

जीवन के भटकाव में, वहीं कोई राह सूझती है। 

दुख का भार किसी न किसी मंजिल पर पहुंचे। 

धोखे के ग़म से जीव संभल और संवर जाता है। 

कष्ट देता बहुत , साथ कोई नजर नहीं आता है।

 

जीवन की उलझी डोर को, एकांत सुलझाता है। 

सुख में सब साथी , तो कुछ साथी गम के भी हैं। 

विश्वास, धोखा, बेचैनी, एकांत,तिमिर सुहाता है। 

''अश्रु' नहीं छोड़ते साथ, ''जी'' बहुत घबराता है। 

  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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