Subaha

 उठो , पथिक ! क्यों क्लांत हुए ,थक गए ?

भानु ! नवजीवन,नवीन सवेरा  लेकर आया है। 

पथ पर हो अग्रसर, अब आगे बढ़ते जाना है। 

नई सुबह की उजास से पथ प्रशस्त करना है। 


साहस का दामन थाम, ग़म की कालिख़ जाएगी।

तेरे साहस के आगे,दुःख की अंधियारी छंट जाएगी।

मंज़िल पर पैर जमाएंगे, विजय पताका लहरायेगी।   

उठ ,देख मुसाफिर ! उमंगों भरी नई सुबह आई है।

 

पंछियों के कलरव ने ,नवीन प्रीत की धुन सुनाई है।   

कूकती कोयल,आम्रमंजरी पर अलि की पंक्ति छाई  है। 

प्रातःकाल की बेला सी , जीवन में उमंगें होंगी। 

कोलाहल दूर होगा ,जब मौन में भी वाणी होगी।


अंधकार अज्ञान का दूर होगा ,जब ज्ञान की दृष्टि होगी। 

नवीन सूरज निकलेगा ,जब नई सुनहरी सुबह आएगी।

जीवन सी मडराती तितली ,जब' नीलभ' राग सुनाएगी।

मधु सी जीवन में मिठास होगी, सपनों की सुबह आयेगी।     


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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